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वित्त रहित शिक्षा कर्मियों ने शुरू किया उपवास आंदोलन, राज्य सरकार को चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की दी चेतावनी

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य भर के 10 हजार वित्त रहित शिक्षक कर्मियों ने उपवास आंदोलन की शुरुआत की है. शिक्षा कर्मियों का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए आश्वासन के आलोक में वित्त रहित संस्थानों के मामले को प्रशासनिक सुधार आयोग में भेजा जाना चाहिए. इंटरमीडिएट शिक्षक कर्मचारी सेवा शर्त नियमावली को अविलंब मंत्री परिषद में भेजा जाए.

Financeless education workers in jharkhand
वित्त रहित शिक्षा कर्मियों ने शुरु किया उपवास आंदोलन
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Published : Mar 9, 2021, 11:03 PM IST

रांची: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य भर के 10 हजार वित्त रहित शिक्षक कर्मियों ने उपवास आंदोलन की शुरुआत की है. अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर शिक्षा कर्मियों ने चरणबद्ध तरीके आंदोलन की चेतावनी राज्य सरकार को दी है.

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वित्त रहित संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर राज्य भर में वित्त रहित संस्थाओं में कार्यरत करीब 10 हजार शिक्षाकर्मी अपने विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं. बता दें कि अनुदानित और गैर अनुदानित इंटरमीडिएट कॉलेज, उच्च विद्यालय संस्कृत और मदरसा विद्यालय के शिक्षा कर्मी पहले ही राज्य सरकार को आंदोलन के संबंध में अवगत करा चुके हैं. लेकिन, उनकी मांगों पर किसी ने विचार नहीं किया. इससे खफा होकर कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से उपवास करने का निर्णय लिया है.

शिक्षाकर्मियों का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए आश्वासन के आलोक में वित्त रहित संस्थानों के मामले को प्रशासनिक सुधार आयोग में भेजा जाना चाहिए. इंटर कॉलेजों, उच्च विद्यालय मदरसा और संस्कृत विद्यालयों को तत्काल घाटा अनुदान दिया जाए और सरकारी संस्थानों को अधिग्रहण किया जाए. इंटरमीडिएट शिक्षक कर्मचारी सेवा शर्त नियमावली को अविलंब मंत्री परिषद में भेजा जाए.

रांची: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य भर के 10 हजार वित्त रहित शिक्षक कर्मियों ने उपवास आंदोलन की शुरुआत की है. अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर शिक्षा कर्मियों ने चरणबद्ध तरीके आंदोलन की चेतावनी राज्य सरकार को दी है.

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वित्त रहित संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर राज्य भर में वित्त रहित संस्थाओं में कार्यरत करीब 10 हजार शिक्षाकर्मी अपने विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं. बता दें कि अनुदानित और गैर अनुदानित इंटरमीडिएट कॉलेज, उच्च विद्यालय संस्कृत और मदरसा विद्यालय के शिक्षा कर्मी पहले ही राज्य सरकार को आंदोलन के संबंध में अवगत करा चुके हैं. लेकिन, उनकी मांगों पर किसी ने विचार नहीं किया. इससे खफा होकर कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से उपवास करने का निर्णय लिया है.

शिक्षाकर्मियों का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए आश्वासन के आलोक में वित्त रहित संस्थानों के मामले को प्रशासनिक सुधार आयोग में भेजा जाना चाहिए. इंटर कॉलेजों, उच्च विद्यालय मदरसा और संस्कृत विद्यालयों को तत्काल घाटा अनुदान दिया जाए और सरकारी संस्थानों को अधिग्रहण किया जाए. इंटरमीडिएट शिक्षक कर्मचारी सेवा शर्त नियमावली को अविलंब मंत्री परिषद में भेजा जाए.

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