रांचीः पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमत से आम लोग त्रस्त हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार का वैट. यानी इसके लिए दोनों जिम्मेदार हैं. इस बीच असम सरकार की तरफ से वैट में कमी की घोषणा से बहस छिड़ गई है कि झारखंड सरकार वैट में कमी क्यों नहीं कर रही है.
पेट्रोल और डीजल के दाम
ईटीवी भारत की टीम ने जब राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव से सवाल पूछा तो उन्होंने पूरा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ दिया. मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य को चलाने के लिए राजस्व चाहिए. राज्य सरकार के पास है क्या. उन्होंने कहा कि बीजेपी के जो लोग ऐसा कह रहे हैं वो अज्ञानी हैं. राज्य सरकार को आमदनी होती है, वैट से और एक्साइज से. बाकी तो जीएसटी के दायरे में चला जाता है. जिसे भाजपा के लोग वन नेशन-वन टेक्सेसन कहते हैं. ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर वैट नहीं लेंगे तो कहां से राजस्व आएगा. यानी मंत्री रामेश्वर उरांव के हिसाब से झारखंड की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पेट्रोल और डीजल का दाम करने के लिए वैट में कटौती करे.
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केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
रामेश्वर उरांव ने केंद्र सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वादा करके अन्य टैक्सेस को छीन लिया गया. यह कहते हुए कि हम भरपाई करेंगे. 14 प्रतिशत वार्षिक ग्रोथ के हिसाब से कंपनसेशन देना था. बदले में पिछले दिनों केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने कहा कि आपके पास पैसे नहीं हैं तो हम कर्ज देंगे, लेकिन ब्याज भरना होगा. ऐसे में राज्य सरकार क्या कर सकती है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पास अपार पैसा है. केंद्र के पास पैसा कम होगा तो डिफिसिट फाइनेंसिंग के तहत आरबीआई से नोट छपवा लेगी लेकिन हम क्या करेंगे. हमको गरीबों को पेंशन देना है. केंद्र सरकार क्या देती है. दिव्यांग को 200, वृद्धा को 300 और विधवा को 300, जबकि राज्य सरकार सामाजिक पेंशन मद में दिव्यांग को 800 और वृ्द्धा-विधवा को सात-सात सौ रुपये देती है. तब जाकर सभी जरूरतमंदों को एक हजार मिलता है. मंत्री रामेश्वर उरांव ने सीधे-सीधे न कहते हुए यह बताने की कोशिश की कि केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी कम करना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि असम सरकार ने तो पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कर दिया है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वहां चुनाव है, इसलिए झुनझुना बजाया जा रहा है.