रांची : एक फरवरी को देश का आम बजट पेश होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चौथी बार केन्द्रीय बजट पेश करने जा रही हैं. आम बजट पर देश की नजरें टिकी हुई हैं. ईटीवी भारत ने घरेलू महिलाएं, जो किचेन का जिम्मा हमेशा संभाली रहती हैं, उनसे जानने की कोशिश की कि बजट 2022 से उनकी क्या उम्मीदें हैं.
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आम बजट पेश होने में दो दिन ही रह गए हैं. एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय वर्ष 2022- 23 का सालाना बजट पेश करेंगी. इस केन्द्रीय बजट पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं. पिछले दो सालों से कोरोना की मार झेल रही जनता बजट 2022 से खासे उम्मीदें रख रहा है. कोई सरकार का विजन इस बजट में बेरोजगारी दूर करने के लिए देखना चाह रहा है तो कोई महंगाई की मार से राहत पाने की उम्मीद पाले हुए है. जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं को मोदी सरकार पूरा करने में कितना सफल होगी, वह 1 फरवरी को ही पता चलेगा जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिटारे से आम बजट निकलेगा.
बजट 2022 से गृहणियों को है खास उम्मीदें : हर बार की तरह इस साल भी आम बजट को लेकर घरेलू महिलाएं खासा उम्मीद रख रही हैं. महंगाई से त्रस्त गृहणियों को उम्मीद है कि इस बार मोदी सरकार अपने बजट में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए जरूर खास कदम उठाएगी.
- अरगोड़ा की मीरा शर्मा का मानना है कि एक तरफ कोरोना के कारण लोगों के रोजगार छिन जाने से आमदनी कम गई, वहीं दूसरी तरफ घरेलू गैस से लेकर सरसों तेल के दाम तक आसमान छूने लगे. दो तरफा मार से किचेन का बजट खराब हो गया है. किसी तरह लोग इस महंगाई में जी रहे हैं.
- गृहिणी प्रतिमा सिंह का कहना है कि जनता दो तरफा मार झेलने को विवश है. मोदी सरकार को बजट में महंगाई को कंट्रोल करने के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना चाहिए.
- गृहणी खुशबू का मानना है कि महंगाई ने किचेन का जायका खराब कर दिया है. लोग किसी तरह से एडजस्ट करके घर चला रहे हैं. हर सामान का दाम हर दूसरे दिन पर बढ़ा हुआ मिलेगा. मार्केट पर जब तक कंट्रोल नहीं होगा तब तक लोगों की परेशानी कम नहीं होगी.
- वहीं गृहिणी पुनम कुमारी कहती हैं कि सबसे ज्यादा परेशानी मिडिल क्लास फैमिली को है. इस वर्ग के लोग हमेशा इसी बात को लेकर परेशान रहते हैं कि कहां से स्कूल फीस दें तो कहां से घर का खर्चा चलायें. हर वर्ष री-एडमिशन (Re-Admission) के नाम पर भारी भरकम राशि स्कूलों द्वारा ली जाती है. उस पर से राशन सामान के दाम आसमान छू रहे हैं. आम पब्लिक करे तो करे क्या सरकार को हरेक व्यक्ति के लिए सोचकर बजट बनाना चाहिए.