रांची: कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार का दावा है कि वो पूरी तरह से तैयार हैं. प्रशासन के द्वारा तीसरी लहर से बचने के लिए सभी लोगों को कोरोना का टीका लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. साथ ही अस्पतालों में भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
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वर्तमान में सिर्फ 65 एक्टिव केस
राज्य में धीरे-धीरे दूसरी लहर का प्रकोप खत्म होता जा रहा है. वर्तमान परिस्थिति की बात करें तो पूरे झारखंड में कोरोना के कुल 65 मरीज संक्रमित हैं जिनका इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है. आंकड़ों को देखें तो बुधवार को भी पूरे राज्य में कोरोना के सिर्फ 7 नए मरीज मिले. वहीं, मंगलवार को 14 नए मरीजों की पुष्टि हुई. सोमवार को भी मरीजों की संख्या केवल 9 थी. मरीजों की लगातार कम होती संख्या को देखते हुए राज्य में धीरे-धीरे सभी संस्थाओं को अनलॉक कर दिया है ताकि राज्यवासियों को सभी सुविधाएं सुचारू रूप से मिल सके.
तीसरी लहर का खतरा बरकरार
कोरोना को लेकर हमने जब राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डीके सिन्हा से बात की तो उन्होंने बताया कि सितंबर के बाद त्योहारों का महीना आ रहा है जिसमें दुर्गा पूजा, दीपावली और छठ जैसे बड़े त्योहार हैं और इस त्योहार में बिहार-झारखंड के लोग अपने परिवार के साथ पर्व मनाने के लिए अपने पैतृक घर पहुंचते हैं. इस दौरान तीसरी लहर का खतरा है.
स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां पूरी
राजधानी के वरिष्ठ चिकित्सक और सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एस मंडल बताते हैं कि तीसरी लहर को लेकर आशंका जताई गई थी लेकिन फिलहाल जो झारखंड के आंकड़े हैं उससे यह प्रतीत होता है कि तीसरी लहर के आसार फिलहाल कम हैं. लेकिन, उसके बावजूद भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से तैयारियां रखी गई है ताकि अगर त्योहारों के समय में संक्रमण बढ़ता है तो संक्रमित मरीजों को एडमिट किया जा सके.
झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन(झासा) के सचिव डॉक्टर बिमलेश सिंह बताते हैं कि भले ही वर्तमान में रांची समेत पूरे राज्य में संक्रमित मरीजों के आंकड़े कम रहे हों, लेकिन अभी भी हमें एहतियात बरतने की जरूरत है क्योंकि अब त्योहारों का मौसम आ रहा है जिसमें ज्यादातर बाहर के राज्यों में रहने वाले लोग झारखंड लौटेंगे. इसीलिए जरूरी है कि लोग ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा का ध्यान रखें ताकि तीसरी लहर के प्रकोप से बचा जा सके. देश के दूसरे कई राज्यों में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं लेकिन अच्छी बात ये है कि झारखंड में अभी ऐसी स्थिति नहीं है.