रांची: पांचवें और आखिरी चरण के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत संताल में झोंक दी है. कांग्रेस के लिए यह चरण अपने अभेद किले को बचाने के लिए अहम होगा. अंतिम चरण में 16 में से कांग्रेस के 4 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनमें से 3 सीटों पर पार्टी के वर्तमान विधायक चुनाव लड़ रहे हैं. इस लिहाज से कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
पांचवें चरण के चुनाव में पाकुड़ से जहां कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, जामताड़ा से कार्यकारी अध्यक्ष डॉ इरफान अंसारी और जरमुंडी से बादल पत्रलेख चुनावी मैदान में हैं, तो महागामा से दीपिका पांडे सिंह पार्टी की ओर से प्रत्याशी हैं. खासकर पाकुड़ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम की साख दांव पर लगी हुई है. झारखंड के अलग राज्य निर्माण के बाद 2005 के चुनाव में आलमगीर आलम ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2009 के चुनाव में उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के अकील अख्तर ने हरा दिया था. ऐसे में इस बार चुनाव में आलमगीर आलम को आजसू पार्टी प्रत्याशी अकील अख्तर और बीजेपी के बेनी प्रसाद गुप्ता टक्कर दे रहे हैं.
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संताल है कांग्रेस का अभेद किला
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने दावा किया है कि संताल कांग्रेस का अभेद किला है, इसे भेदना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि संताल के 4 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी ही चुनाव जीतेंगे.
वहीं, जामताड़ा विधानसभा में कांग्रेस विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ इरफान अंसारी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. उनका मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी वीरेंद्र मंडल से है. खास बात यह है कि झारखंड बनने के बाद यहां से हर बार नई पार्टी के विधायक रहे हैं. जरमुंडी में कांग्रेस विधायक बादल पत्रलेख चुनावी मैदान में है. 2005 और 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी हरिनारायण राय यहां से विधायक रह चुके हैं. ऐसे में इस बार कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी के देवेंद्र कुंवर और जेवीएम के संजय कुमार से है.
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वहीं, महगामा विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका पांडे सिंह की टक्कर बीजेपी विधायक अशोक कुमार से है, जबकि जेवीएम और आजसू के प्रत्याशी भी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. इस सीट पर भी हर बार विधायक बदल जाते हैं. हालांकि कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा है कि पांचवें चरण की 16 सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी हर हाल में जीत हासिल करेंगे और सरकार बनाएंगे.