रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना काल के बीच में अच्छी बारिश होने से धान की बंपर पैदावार हुई है. खरीफ फसल में धान की फसल झारखंड में सबसे अधिक होती है. इसलिए झारखंड में धान की खेती को खरीफ की मुख्य फसल मानी जाती है. झारखंड में 28 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाती है. मॉनसून के सही समय पर आने से इस बार किसानों की मेहनत रंग लाई है. दूसरी तरफ सरकार ने भी उनकी फसल का समर्थन मूल्य तय कर उनके खाते में 50% भेजने की घोषणा की है. धान अधिप्राप्ति केंद्र से धान का उठाओ नहीं होने से किसानों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है.
किसानों की मानें तो धान अधिप्राप्ति में सरकार को धान बेचने के बाद 50% रकम ही खाते में भेजा जा रहा है. बाकी का आधा पैसा कब मिलेगा, इसका अब तक कोई सूचना नहीं मिल पा रही है. धान अधिप्राप्ति केंद्र से जवाब मिलता है कि जब तक धान गोदाम से नहीं उठेगा, तब तक बाकी का पैसा उनके खाते में नहीं भेजा जा सकता है. इसको लेकर बाकी का धान बेचने में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो अभी नकदी फसल लगाने का समय है, ऐसे में सरकार की ओर से उनके खाते में पैसे भेज दिए जाते तो उन्हें बाहर से कर्ज लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
कांके प्रखंड के अरसंडे धान अधिप्राप्ति केंद्र के प्रभारी मनोज राजवार ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना काल के मद्देनजर इस साल किसानों के लिए सरकार की ओर से तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं. बोरा खरीदने से लेकर किसानों के खाते में आधा पैसा भेजने की कवायद की गई है. राइस मिल से धान उठाओ नहीं होने से किसानों से धान नहीं खरीदा जा रहा है. जब तक राइस मिल से गोदाम का धान नहीं लिया जाता है, तब तक किसानों से धान नहीं खरीदा जाएगा. गोदाम पूरी तरह से भर गया है और जिसकी वजह से गोदाम में चूहों का भी आक्रमण बढ़ गया है.
कांके के प्रखंड के प्रचार-प्रसार पदाधिकारी मिथलेश झा ने बताया कि सरकार की ओर से किसानों को उनकी धान का आधी कीमत उनके खाते में भेज दिया जाता है. 32 पंचायत के कांके प्रखंड में दो सरकारी धान क्रय केंद्र है. पहला कांके अरसंडे में तो दूसरा उरुगुटु में, दोनों धान क्रय केंद्र में 625 किसानों ने अब तक रजिस्ट्रेशन कराया है. वहीं दोनों केंद्र में 105 किसानों ने धान अधिप्राप्ति केंद्र में जमा किया है. जिनके खाते में उनकी राशि का 50 प्रतिशत पैसा भेज दिया गया है. अरसंडे धान अधिप्राप्ति में 75 किसानों से अब तक 2682.40 क्विंटल धान खरीदा जा चुका है. वहीं उरुगुटु में 30 किसानों से लगभग 8सौ क्विंटल धान खरीदा गया है, दोनों धान क्रय केंद्र से बालाजी राइस मिल को धान उठाना है. मिल की उदासीन रवैया से गोदाम भरा पड़ा हुआ है और किसानों से धान नहीं खरीदा जा रहा है, इस वजह से किसान मायूस हैं. लेकिन अधिकारियों भरोसा दिया है कि इस समस्या का जल्द समाधान कर लिया जाएगा.
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सरकार ने इस बार धान क्रय को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर ली है. जो साधारण धान पर 1868 रुपए प्रति क्विंटल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की है. वहीं ए ग्रेड धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रुपए तय की है, इसके साथ ही 182 किसानों को बोनस भी देगी. यानी बात करें तो 2050 रुपए सरकार किसानों के धान की कीमत रखी है. धान क्रय केंद्र में किसानों का धान ना बिकने की वजह से बिचौलिया ओने-पौने दाम में किसानों से धान खरीद रहे हैं. ऐसे में सरकार का जो धान क्रय करने का लक्ष्य वह कैसे पूरा होगा. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2.27 लाख टन धान की खरीद की गई थी, वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3.24 लाख टन धान की खरीद हुई थी, इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य में 4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.