रांचीः लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सोमवार को रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया गया है. इस आह्वान का असर झारखंड की राजधानी रांची में भी दिखा. वाम दलों ने किसान नेताओं के साथ मिलकर रांची टाटा ईएमयू ट्रेन को लगभग 1 घंटे तक नामकुम स्टेशन पर रोक दिया. ट्रैक पर वाम दल के कार्यकर्ता के साथ किसान नेता और राजद के कई नेता भी मौजूद रहे.
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संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले झारखंड के वामदल के कार्यकर्ताओं ने नामकुम रेलवे स्टेशन पहुंचे और प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान रांची स्टेशन से 11ः40 बजे खुलने वाली रांची-खड़गपुर-आसनसोल पैसेंजर ट्रेन नामकुम स्टेशन पहुंची. इस ट्रेन को प्रदर्शनकारियों ने एक घंटे तक स्टेशन पर रोके रखा. इससे एक घंटे तक ट्रेनों के परिचालन बाधित रहा. हालांकि, नामकुम स्टेशन पर बड़ी संख्या में आरपीएफ के जवान मौजूद थे. आंदोलनकारियों के ट्रैक पर आते ही आरपीएफ ने सभी को अपने घेरे में ले लिया. इससे थोड़ी देर में ही आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक से हट गए. फिलहाल, रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों के परिचालन सामान्य है.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी की मांग
इस प्रदर्शन में राजद के कार्यकर्ता भी शामिल थे. आंदोलनकारियों ने लखीमपुर खिरी हिंसा मामले का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक गृह राज्यमंत्री पद पर बने रहेंगे, तब तक लखीमपुर खीरी मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मासस नेता सुशांतो ने बताया कि जिस प्रकार से लखीमपुर खीरी में देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने किसानों की हत्या की है, इसकी हमारी पार्टी घोर निंदा करती है और अजय मिश्रा को पद से हटाने की मांग करती है.
कृषि कानून वापस लेने की मांग
भाकपा माले के नेता भुवनेश्वर केवट ने बताया है कि किसानों के खिलाफ जो 3 नए कानून लाए गए हैं, उसे सरकार वापस लें. यदि सरकार यह कानून वापस नहीं लेती है तो उन्हें यह भी समझ लेना चाहिए कि किसानों ने भी अपने आंदोलन को नहीं समाप्त करने का प्रण ले लिया है. जब तक कानून वापस नहीं होगा तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और वाम दल उनके आंदोलन को समर्थन करते रहेंगे. वहीं किसान नेता सुफल महतो और प्रफुल्ल लिंडा ने बताया कि किसानों के आंदोलन का लगभग 1 साल होने जा रहा है. सरकार अगर किसानों के बातों को नहीं मानती है, तो जल्द ही लखनऊ में लाखों की संख्या में किसान पहुंचेंगे और अपनी ताकत का परिचय देंगे.