रांची: वैश्विक महामारी कोरोना काल में अच्छी बारिश होने के कारण किसानों के खेत धान की फसल से लहलहा रहे हैं. खरीफ फसल में मुख्यता धान की फसल झारखंड में सबसे अधिक की जाती है. इसलिए झारखंड में धान की खेती को खरीफ की मुख्य फसल मानी जाती है. झारखंड में 28 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाती है. मॉनसून सही समय पर आने के कारण किसान अपने खेत को सही समय पर जोत सके, जिसका नजारा देखने को मिल रहा है.
किसानों के चेहरों पर मुस्कान
झारखंड में किसानों की मेहनत इस बार रंग ला रही है. धान का फसल तैयार हो गया है. धान की फसल की कटाई अक्टूबर महीने के अंत से शुरू होकर दिसंबर तक चलता है. इस समय किसान अपने खेतों में अच्छी फसल होने से खुश नजर आ रहे हैं और धान की कटाई शुरू कर छटाई के लिए खलियान ले जा रहे हैं. वैश्विक महामारी कोरोना काल के बीच धान की खेती में पैदावार अच्छी होने के कारण किसानों के चेहरों पर मुस्कान वापस लौट आई है. किसानों की मानें तो पिछले कई वर्षों के बाद इस बार मानसून सही समय पर आया, जिससे सही समय पर खेतों को तैयार कर उसमें धान की फसल की बुआई की गई.
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किसानों के 6 महीने का खुराक
किसानों के अनुसार, लॉकडाउन के कारण बीज खरीदने में थोड़ी कठिनाई जरूर हुई, लेकिन समय पर धान की बुआई हो सकी, यही कारण है कि इस बार धान की पैदावार में वृद्धि हुई है. धान की खेती से किसानों के 6 महीने का खुराक निकल जाता है. वहीं, महिला किसान ने बताया कि इस महामारी के बीच धान का फसल ही उनके लिए सहारा बनेगा. पूरे उत्साह के साथ धान की कटाई की जा रही है. छटाई के बाद पता चलेगा कि कितना उत्पाद हुआ.
धान के पैदावार में 20 से 25% की वृद्धि
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कृष्णा प्रसाद की मानें तो पिछले कई वर्षों की तुलना में इस बार धान की अच्छी पैदावार हुई है. धान की पैदावार में लगभग 20 से 25% की वृद्धि हुई है. इसके कई कारण हैं. एक तो समय से मानसून आना. मानसून आने के बाद समय-समय पर बारिश होती रही. बारिश होने के कारण इस बार धान के पौधों में कई प्रकार के होने वाले रोग और कीट पतंगों का भी प्रकोप कम रहा. यही कारण है कि पिछले कई वर्षों की तुलना में इस बार झारखंड में धान की पैदावार अच्छी देखने को मिल रही है. हालांकि, धान की कटाई के बाद दिसंबर के महीने तक किसान धान की छटाई करते हैं, उसके बाद ही सही आकलन लगाया जा सकता है कि धान की पैदावार कितनी हुई, लेकिन पिछले कई वर्षों की तुलना में इस बार धान की पैदावार अच्छी हुई है.
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182 किसानों को दिया जाएगा बोनस
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 4.50 लाख टन धान खरीद की लक्ष्य निर्धारित की है. सरकार ने इसे लेकर साधारण धान पर 1868 रुपए प्रति कुंटल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की है. वहीं, ग्रेड-ए धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रुपए तय की है, साथ ही 182 किसानों को बोनस भी देगी. धान खरीद की प्रक्रिया न्यूनतम मूल्य पर कैबिनेट में प्रस्ताव पारित होने के बाद 15 नवंबर से शुरू कर दी जाएगी. इस बार मानसून सही समय पर आने और अच्छी बारिश होने के कारण किसानों के खेत में धान की पैदावार अच्छी हुई है. झारखंड सरकार की ओर से 15 नवंबर से धान क्रय केंद्र लेंपस के माध्यम से खरीद करने को लेकर तैयारी की जा रही है.
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धान खरीद की प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
वहीं, सहकारिता प्रसार प्रचार पदाधिकारी मिथिलेश कुमार झा ने कहा कि धान की खरीद को लेकर विभाग की ओर से हर साल तैयारी की जाती है. इसे लेकर इस बार भी तैयारी की गई है. इस बार उम्मीद है कि किसानों के खेत में धान की खेती अच्छी हुई है. सरकार की ओर से धान खरीद की प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी. किसानों को अपना धान धान क्रय केंद्र में बेचने के लिए सबसे पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. इसके बाद उनकी धान की खरीद की जाती है और किसानों की धान की गुणवत्ता को जांच करने के बाद उनकी धान खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य सीधे किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेज दी जाती है.
4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य
झारखंड में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2.27 लाख टन धान की खरीद की गई थी. वहीं, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3.24 लाख टन धान की खरीद पूरे राज्य में की गई थी, जबकि रांची में 1 लाख 73 हजार क्विंटल धान खरीदी गई थी, जिसमें 3 हजार 33 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराकर धान क्रय केंद्र में धान बेचा था. इस वर्ष 2020-21में राज्य में 4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.