रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए तेजी से वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है. कम समय में अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन देने की कोशिश की जा रही है. ताकि कोरोना के खतरे को कम किया जा सके. लेकिन इस अभियान के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए अपनायी जाने वाली तकनीक फेस ऑथेंटिकेशन का (Face Authentication) का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, जिससे वैक्सीनेशन सेंटर पर ही संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है.
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क्या है फेस ऑथेंटिकेशन? (Face Authentication)
इस तकनीक में टीकाकरण के लिए पहुंचे व्यक्ति की एक मीटर की दूरी से तस्वीर ली जाती है. फोटो लेने के साथ ही यह आधार से वेरीफाई हो जाता है. इसमें लाभुक को न तो थंब इंप्रेशन ( Thumb Impression) लगाने की आवश्यकता होती है. और न ही किसी तरह के डॉक्यूमेंट (Document) को जमा करने की जरूरत होती है. जिससे इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का स्वत: पालन हो जाता है. इससे बूथ पर संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है.
अभी कैसे होता है टीकाकरण?
वर्तमान समय में किसी भी टीकाकरण सेंटर पर लाभुक को टीका लेने के लिए अपना पहचान पत्र, आधार कार्ड, वोटर कार्ड या पैन कार्ड में किसी एक की कॉपी जमा करना होता है जिससे फिजिकल कॉन्टैक्ट (Physical Contact) की संभावना बनी रहती है जिससे वैक्सीनेशन सेंटर पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
अपर मुख्य सचिव का अधिकारियों को आदेश
संक्रमण के इसी खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह ने राज्य के सभी डीसी को पत्र लिखकर कोविड टीकाकरण के लाभुकों का फेस ऑथेंटिकेशन करने का निर्देश दिया है.
अरुण कुमार सिंह ने बताया कि बुधवार तक राज्य में 51 लाख 37 हजार 387 लोगों को पहला डोज और 9 लाख 60 हजार 743 लोगों को दूसरी डोज दिया जा चुका है जबकि मात्र 43 हजार 587 लोगों का ही फेस ऑथेंटिकेशन किया गया है. फेस ऑथेंटिकेशन की कम संख्या को देखते हुए इसे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.
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तीसरी लहर की तैयारी में सरकार
संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन सेंटर पर जहां फेस ऑथेंटिकेशन की तकनीक का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं तीसरी लहर के दौरान राज्य में डॉक्टरों की कमी न हो इसके लिए भी तैयारी की जा रही है. इसी को लेकर झारखंड सरकार ने इस वर्ष मई से अगले वर्ष मार्च तक रिटायर होने वाले डॉक्टरों की अवधि विस्तार का संकल्प पत्र जारी कर दिया है.
जिन 54 डॉक्टरों की सेवा अवधि को बढ़ाया गया है उनकी सूची भी जारी की गई है. संकल्प पत्र में कहा गया है कि सेवानिवृत्त होने वाले झारखंड स्वास्थ्य सेवा के सभी शैक्षणिक एवं गैर- शैक्षणिक चिकित्सकों का अवधि विस्तार मार्च 2022 या सेवानिवृत्ति की तिथि से छह माह की अवधि, जो भी बाद में हो, वह मान्य होगा. अवधि विस्तार दिए गए 54 चिकित्सकों में 42 गैर शैक्षणिक संवर्ग के हैं वहीं 12 शैक्षणिक सेवा संवर्ग के चिकित्सक शामिल हैं.