देवघरः आगामी 26 फरवरी से 13 मार्च तक 16 दिवसीय हेमंत सरकार का झारखंड विधानसभा का बजट सत्र चलेगा. 1 मार्च को हेमंत सरकार अपना दूसरा बजट पेश करेगी. ऐसे में देवघर के डॉक्टर, बाबा मंदिर के पुरोहित, अधिवक्ता सहित अन्य व्यवसायियों ने कोरोना काल में हुई क्षति को देखते हुए अपनी-अपनी उम्मीदें ईटीवी भारत से साझा की है.
झारखंड सरकार के इस बजट से यही उम्मीद है कि एक आर्थिक पैकेज दे, साथ ही कुछ अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएं. कुछ तीर्थपुरोहित की मांग है कि बाबा मंदिर में जो भी तीर्थपुरोहित हो या पनभरा हो या माली, नाई, भंडारी सभी लोगों का आयुष्मान भारत के तहत सभी का हेल्थ इंश्योरेंस कराया जाए, साथ ही बाबा मंदिर में कार्यरत सभी बुजुर्ग चाहे वह तीर्थपुरोहित हो या पनभरा हो या माली, नाई, भंडारी सभी को 1 हजार रुपया पेंशन की उम्मीद इस बजट में है.
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देवघर के अधिवक्ताओं को बजट से आस
देवघर न्यायालय में 1 हजार से भी अधिक अधिवक्ता हैं. झारखंड सरकार के बजट से वे उम्मीद लगाए बैठे हैं. अधिवक्ता आनंद वत्स, नीरज कुमार सिन्हा आदि का कहना है कि झारखंड सरकार को इसी बजट सत्र में अधिवक्ता प्रोटेक्शन बिल लाना चाहिए. इसके अलावा अजय गुप्ता, शैलेंद्र कुमार जैसे अधिवक्ताओं की मांग है कि हाई कोर्ट की एक खंडपीठ देवघर में स्थापित की जाय. इसके साथ ही वे प्रैक्टिस बिल पास करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अधिवक्ताओं को आयुष्मान योजना से भी जोड़ा जाए.
छोटे उद्मियों के लिए उठाएं विशेष कदम
देवघर में होटल व्यवसाय का बड़ा क्षेत्र है, जहां छोटे बड़े सैकड़ों व्यवसायी कारोबार कर रहे हैं. इस होटल व्यवसायियों को झारखंड सरकार के बजट से काफी उम्मीदें हैं. होटल व्यवसायी जितेश राजपाल कहते हैं कि कोरोना के चलते होटल व्यवसाय काफी प्रभावत हुआ है. इधर नगर निगम ने होटल व्यवसायियों पर पानी समेत कई कर बढ़ा दिए हैं. इससे होटल व्यवसायियों पर अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है. इन्हें उम्मीद है कि बजट में होटल व्यवसायियों के लिए राहत दिलाने वाले कदम उठाए जाएंगे. एमएसएमई के तहत आने वाले व्यवसायी बताते हैं कि छोटे उद्योग लगाने वाले व्यवसायी ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं, क्योंकि वहां कामकाज में मशीन का कम इस्तेमाल किया जाता है. वहीं उद्यमी पंकज मोदी की मांग है कि सरकार छोटे उद्यमियों के लिए विशेष प्रयास करे.
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अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने के नियम सरल हों
देवघर में बड़ी संख्या में क्लिनिक और नर्सिंगहोम हैं. डॉक्टर अनिल कुमार बर्णवाल का कहना है कि झारखंड सरकार के अगले बजट में सरकार को डॉक्टर और मरीजों के लिए अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने के साथ दवाओं को लेकर नियम सरल बनाने पर ध्यान देना चाहिए. डॉ. अमित कुमार और डॉ. आरएन प्रसाद समेत कई चिकित्सकों का कहना है कि क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, छोटे डॉक्टर या क्लिनिक पर लागू न किया जाए. साथ ही जो भी क्लिनिक 50 बेड से ऊपर वाले हॉस्पिटल पर ही इसे लागू किया जाए, वर्ना छोटे क्लिनिक पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा क्योंकि अगर यह एक्ट लागू होता है तो उनका खर्च भी बढ़ जाएगा.