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20 सूत्रीय क्रियान्वयन और निगरानी समिति के गठन की कवायद तेज, जानिए समिति में एंट्री का क्या हो सकता है आधार

झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने के बाद आखिरकार 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति और निगरानी समिति बनाने को लेकर कवायद शुरू हो गई है. इसको लेकर गठबंधन के दलों में समिति के चयन के लिए फार्मूला तैयार करने के लिए मंथन शुरू कर दिया गया है.

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Published : Jan 19, 2021, 3:12 PM IST

Updated : Jan 19, 2021, 3:21 PM IST

implementation and monitoring committee in jharkhand
20 सूत्रीय क्रियान्वयन और निगरानी समिति के गठन की कवायद तेज

रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने के बाद आखिरकार 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति और निगरानी समिति बनाने को लेकर कवायद शुरू हो गई है. गठबंधन के दलों में सामंजस्य बनाकर समितियों में कार्यकर्ताओं की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाए. इसको लेकर फार्मूला तैयार किया जा रहा है. हालांकि इन समितियों का गठन आसान नहीं माना जा रहा है. बल्कि किस दल को क्या जिम्मेदारी मिले, यह तय करना चुनौती भरा काम होगा.

देखें पूरी खबर
दरअसल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने रांची प्रवास के दौरान घोषणा की है कि जनवरी महीने के अंत तक 20 सूत्रीय क्रियान्वयन और निगरानी समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. इसको लेकर उन्होंने 4 सदस्यीय कमेटी बनाई है, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर और केशव महतो कमलेश शामिल हैं. उन्हें गठबंधन के घटक दलों से बातचीत कर सुनिश्चित करना है कि इन समितियों में किस दल के कितने लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.


इस आधार पर मिल सकती है जिम्मेदारी
इन दोनों समितियों के गठन को लेकर राजनीतिक सुगबुगाहट भी तेज हो गई है. सत्ताधारी दलों के नेता इसमें जगह पाने के लिए जोर लगा रहे हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के वक्त सीट बंटवारे, सरकार में शामिल सहयोगी दलों के विधायकों की संख्या, हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट बंटवारे, सत्ताधारी दल के सीटिंग सीट पर सहयोगी दल के कार्यकर्ताओं को मौका, जिला और प्रखंड स्तर पर संगठन का कामकाज और राजनीतिक फार्मूले के तहत इस समिति में कार्यकर्ताओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-प्रदेश के विश्वविद्यालयों में गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भी भारी कमी, प्रभावित हो रहे काम

यह भी हो सकता है आधार
ऐसे में 20 सूत्रीय और निगरानी समिति के पदों और सदस्यों के बंटवारे में इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि सहयोगी दलों के अंदर नाराजगी नह हो. ऐसे में सत्ताधारी दल कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा इन दोनों समितियों के गठन के लिए फार्मूले पर होमवर्क करने में जुट गए हैं. इस मामले में जल्द ही गठबंधन दलों की बैठक होने की उम्मीद है ताकि इस महीने के अंत तक इन समितियों का गठन कर लिया जाए.


फार्मूला तय नहीं

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जो फार्मूला बनाया जाएगा. उसमें कार्यकर्ताओं की भागीदारी को प्रमुखता दी जाएगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सके. इसको लेकर गठबंधन गंभीर है और जिस तरह से कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने घोषणा की है वह तय समय के अंदर पूरा भी कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मुलाकात भी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से हुई है और सरकार के 1 साल में लिए गए निर्णय और कार्यों को साझा किया गया है. ऐसे में जल्द ही इन समितियों का गठन हो जाएगा.

रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने के बाद आखिरकार 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति और निगरानी समिति बनाने को लेकर कवायद शुरू हो गई है. गठबंधन के दलों में सामंजस्य बनाकर समितियों में कार्यकर्ताओं की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाए. इसको लेकर फार्मूला तैयार किया जा रहा है. हालांकि इन समितियों का गठन आसान नहीं माना जा रहा है. बल्कि किस दल को क्या जिम्मेदारी मिले, यह तय करना चुनौती भरा काम होगा.

देखें पूरी खबर
दरअसल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने रांची प्रवास के दौरान घोषणा की है कि जनवरी महीने के अंत तक 20 सूत्रीय क्रियान्वयन और निगरानी समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. इसको लेकर उन्होंने 4 सदस्यीय कमेटी बनाई है, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर और केशव महतो कमलेश शामिल हैं. उन्हें गठबंधन के घटक दलों से बातचीत कर सुनिश्चित करना है कि इन समितियों में किस दल के कितने लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.


इस आधार पर मिल सकती है जिम्मेदारी
इन दोनों समितियों के गठन को लेकर राजनीतिक सुगबुगाहट भी तेज हो गई है. सत्ताधारी दलों के नेता इसमें जगह पाने के लिए जोर लगा रहे हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के वक्त सीट बंटवारे, सरकार में शामिल सहयोगी दलों के विधायकों की संख्या, हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट बंटवारे, सत्ताधारी दल के सीटिंग सीट पर सहयोगी दल के कार्यकर्ताओं को मौका, जिला और प्रखंड स्तर पर संगठन का कामकाज और राजनीतिक फार्मूले के तहत इस समिति में कार्यकर्ताओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-प्रदेश के विश्वविद्यालयों में गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भी भारी कमी, प्रभावित हो रहे काम

यह भी हो सकता है आधार
ऐसे में 20 सूत्रीय और निगरानी समिति के पदों और सदस्यों के बंटवारे में इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि सहयोगी दलों के अंदर नाराजगी नह हो. ऐसे में सत्ताधारी दल कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा इन दोनों समितियों के गठन के लिए फार्मूले पर होमवर्क करने में जुट गए हैं. इस मामले में जल्द ही गठबंधन दलों की बैठक होने की उम्मीद है ताकि इस महीने के अंत तक इन समितियों का गठन कर लिया जाए.


फार्मूला तय नहीं

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जो फार्मूला बनाया जाएगा. उसमें कार्यकर्ताओं की भागीदारी को प्रमुखता दी जाएगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सके. इसको लेकर गठबंधन गंभीर है और जिस तरह से कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने घोषणा की है वह तय समय के अंदर पूरा भी कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मुलाकात भी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से हुई है और सरकार के 1 साल में लिए गए निर्णय और कार्यों को साझा किया गया है. ऐसे में जल्द ही इन समितियों का गठन हो जाएगा.

Last Updated : Jan 19, 2021, 3:21 PM IST
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