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लेह में फंसे झारखंड के मजदूर किए गए एयरलिफ्ट, सीएम से कहा था- 'हमको निकालिए भैया'

झारखंड ही पहला राज्य बना जहां पहली बार ट्रेन से मजदूरों को लाया गया और फिर हवाई जहाज से भी झारखंड ने अपने राज्य के मजदूरों को लाना शुरू किया है. इसे लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि कई राज्यों से लोगों का सिलसिला जारी है. झारखंड के सभी लोगों को लाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है.

Exclusive interview of cm hemant soren
ब्यूरो चीफ राजेश सिंह के साथ सीएम हेमंत सोरेन
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Published : May 29, 2020, 3:28 PM IST

रांची: लॉकडाउन में बड़ी संख्या में झारखंड के प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं. लगातार मजदूरों को लाया भी जा रहा है, लेकिन कारगिल में बटालिक सेक्टर के लेह में फंसे झारखंड के मजदूरों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके घर वापसी विशेष विमान से होगी. झारखंड सरकार की पहल पर लेह में फंसे 60 प्रवासी मजदूरों को रांची लाया जा रहा है.

ब्यूरो चीफ राजेश सिंह के साथ सीएम हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खास बातचीत की ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस दिशा में पहल बहुत पहले शुरू की थी लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला, बाद में डोमेस्टिक फ्लाइट जब शुरू हुई, तब लद्दाख प्रशासन से संपर्क साध कर मजदूरों को लाने की रूपरेखा बनाई गई. उन्होंने कहा कि लेह में रहने वाले लोग ही समझते हैं कि वहां जिंदगी कितनी कठिन है. यह पूछे जाने पर कि क्या मजदूरों से उनकी बात हुई है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मजदूरों से बात हुई है और सभी का यही कहना था कि 'हम लोगों को यहां से निकालिए भैया.'

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत से ज्यां द्रेज ने कहा- झारखंड-बिहार में सरप्लस हो गए हैं मजदूर, बार्गेनिंग कैपेसिटी होगी कम

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि लेह में फंसे झारखंड के मजदूर अपने घर लौट रहे हैं. रविवार यानी 31 मई को अंडमान में फंसे मजदूरों को भी विशेष विमान से झारखंड लाया जाएगा.

मजदूरों के लौटने के बाद उनके रोजगार को लेकर आने वाली चुनौतियों पर भी मुख्यमंत्री से सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन किया जा रहा है और इसे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर देखा भी जा सकता है. आने वाले दिनों में शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर तैयार किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार दिया जा सके.

रांची: लॉकडाउन में बड़ी संख्या में झारखंड के प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं. लगातार मजदूरों को लाया भी जा रहा है, लेकिन कारगिल में बटालिक सेक्टर के लेह में फंसे झारखंड के मजदूरों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके घर वापसी विशेष विमान से होगी. झारखंड सरकार की पहल पर लेह में फंसे 60 प्रवासी मजदूरों को रांची लाया जा रहा है.

ब्यूरो चीफ राजेश सिंह के साथ सीएम हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खास बातचीत की ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस दिशा में पहल बहुत पहले शुरू की थी लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला, बाद में डोमेस्टिक फ्लाइट जब शुरू हुई, तब लद्दाख प्रशासन से संपर्क साध कर मजदूरों को लाने की रूपरेखा बनाई गई. उन्होंने कहा कि लेह में रहने वाले लोग ही समझते हैं कि वहां जिंदगी कितनी कठिन है. यह पूछे जाने पर कि क्या मजदूरों से उनकी बात हुई है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मजदूरों से बात हुई है और सभी का यही कहना था कि 'हम लोगों को यहां से निकालिए भैया.'

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि लेह में फंसे झारखंड के मजदूर अपने घर लौट रहे हैं. रविवार यानी 31 मई को अंडमान में फंसे मजदूरों को भी विशेष विमान से झारखंड लाया जाएगा.

मजदूरों के लौटने के बाद उनके रोजगार को लेकर आने वाली चुनौतियों पर भी मुख्यमंत्री से सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन किया जा रहा है और इसे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर देखा भी जा सकता है. आने वाले दिनों में शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर तैयार किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार दिया जा सके.

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