रांचीः झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हर तरफ होड़ मची हुई है और इसके साथ ही वोटरों के बीच अपने आप को श्रेष्ठ उम्मीदवार बताने में सभी जुट गए. राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव में मुखिया पद के लिए रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. दोनों ही प्रत्याशी पिठोरिया पंचायत के मुखिया रह चुके हैं. एक प्रत्याशी ने 2010 से लेकर 2015 में अपना कार्यकाल पूरा किया तो वहीं दूसरी प्रत्याशी ने 2015 से अब तक मुखिया पद पर रहने का काम किया है. दोनों प्रत्याशी अपने-अपने कामों को श्रेष्ठ बताते हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. इनका कहना है कि इनके कार्यकाल में जो कार्य हुआ है उससे जनता काफी संतुष्ट है. जीत के उद्देश्य के साथ इस बार चुनावी मैदान में दोनों ही प्रत्याशी हैं.
पिठोरिया पंचायत में मुकाबला इसलिए रोचक हो गया है, क्योंकि प्रत्याशी क्षेत्र में काफी अपनी पकड़ रखते हैं. पिछले चुनाव की अगर बात करें तो दोनों ही प्रत्याशी को एक दूसरे से काफी कम वोटों के अंतराल से हार जीत का सामना करना पड़ा है. 2010 में मुखिया पद के लिए चुनाव जीतकर आई भूतपूर्व मुखिया सहोदरा देवी का कहना है कि जो भी मेरा कार्यकाल रहा उसमें क्षेत्र की जनता के हितों को लेकर कार्य किए गए और मुझे लगा कि गांव के विकास के लिए किसी दूसरे को भी भागीदारी लेनी चाहिए, इसलिए मैंने 2015 में पंचायत चुनाव में अपना नामांकन तक नहीं कराया. लेकिन 2015 से लेकर अब तक का जो कार्यकाल रहा यूं कहे तो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का कार्यकाल रहा. हर तरफ जनता के पैसे को दुरुपयोग किया गय और जनता का कोई भी कार्य नहीं हुआ. तब मुझे लगा कि जो मैंने अपने कार्यकाल में गांव के विकास के लिए जो कार्य की उस कार्य को फिर से सुचारू रूप से लाना बेहद जरूरी है. इसलिए मैंने दोबारा पंचायत चुनाव में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. इस बार मैं जीत के जब आऊंगी तो सबसे पहले किसानों, बेरोजगारों, सखी मंडल ये तमाम लोग हैं इन पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा और गांव में विकास की गंगा बहेगी.
पंचायत चुनाव 2022ः पिठोरिया में मुखिया पद पर रोमांचक मुकाबला, प्रत्याशी कर रहे जीत का दावा - रांची न्यूज
रांची से सटे पिठोरिया में मुखिया पद को लेकर काफी रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है. यह रिजर्व सीट है. यहां मुखिया पद के लिए दो उम्मीदवार मैदान में हैं. दोनों अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
रांचीः झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हर तरफ होड़ मची हुई है और इसके साथ ही वोटरों के बीच अपने आप को श्रेष्ठ उम्मीदवार बताने में सभी जुट गए. राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव में मुखिया पद के लिए रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. दोनों ही प्रत्याशी पिठोरिया पंचायत के मुखिया रह चुके हैं. एक प्रत्याशी ने 2010 से लेकर 2015 में अपना कार्यकाल पूरा किया तो वहीं दूसरी प्रत्याशी ने 2015 से अब तक मुखिया पद पर रहने का काम किया है. दोनों प्रत्याशी अपने-अपने कामों को श्रेष्ठ बताते हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. इनका कहना है कि इनके कार्यकाल में जो कार्य हुआ है उससे जनता काफी संतुष्ट है. जीत के उद्देश्य के साथ इस बार चुनावी मैदान में दोनों ही प्रत्याशी हैं.
पिठोरिया पंचायत में मुकाबला इसलिए रोचक हो गया है, क्योंकि प्रत्याशी क्षेत्र में काफी अपनी पकड़ रखते हैं. पिछले चुनाव की अगर बात करें तो दोनों ही प्रत्याशी को एक दूसरे से काफी कम वोटों के अंतराल से हार जीत का सामना करना पड़ा है. 2010 में मुखिया पद के लिए चुनाव जीतकर आई भूतपूर्व मुखिया सहोदरा देवी का कहना है कि जो भी मेरा कार्यकाल रहा उसमें क्षेत्र की जनता के हितों को लेकर कार्य किए गए और मुझे लगा कि गांव के विकास के लिए किसी दूसरे को भी भागीदारी लेनी चाहिए, इसलिए मैंने 2015 में पंचायत चुनाव में अपना नामांकन तक नहीं कराया. लेकिन 2015 से लेकर अब तक का जो कार्यकाल रहा यूं कहे तो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का कार्यकाल रहा. हर तरफ जनता के पैसे को दुरुपयोग किया गय और जनता का कोई भी कार्य नहीं हुआ. तब मुझे लगा कि जो मैंने अपने कार्यकाल में गांव के विकास के लिए जो कार्य की उस कार्य को फिर से सुचारू रूप से लाना बेहद जरूरी है. इसलिए मैंने दोबारा पंचायत चुनाव में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. इस बार मैं जीत के जब आऊंगी तो सबसे पहले किसानों, बेरोजगारों, सखी मंडल ये तमाम लोग हैं इन पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा और गांव में विकास की गंगा बहेगी.