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पंचायत चुनाव 2022ः पिठोरिया में मुखिया पद पर रोमांचक मुकाबला, प्रत्याशी कर रहे जीत का दावा

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Published : May 18, 2022, 2:37 PM IST

रांची से सटे पिठोरिया में मुखिया पद को लेकर काफी रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है. यह रिजर्व सीट है. यहां मुखिया पद के लिए दो उम्मीदवार मैदान में हैं. दोनों अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.

panchayat election
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रांचीः झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हर तरफ होड़ मची हुई है और इसके साथ ही वोटरों के बीच अपने आप को श्रेष्ठ उम्मीदवार बताने में सभी जुट गए. राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव में मुखिया पद के लिए रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. दोनों ही प्रत्याशी पिठोरिया पंचायत के मुखिया रह चुके हैं. एक प्रत्याशी ने 2010 से लेकर 2015 में अपना कार्यकाल पूरा किया तो वहीं दूसरी प्रत्याशी ने 2015 से अब तक मुखिया पद पर रहने का काम किया है. दोनों प्रत्याशी अपने-अपने कामों को श्रेष्ठ बताते हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. इनका कहना है कि इनके कार्यकाल में जो कार्य हुआ है उससे जनता काफी संतुष्ट है. जीत के उद्देश्य के साथ इस बार चुनावी मैदान में दोनों ही प्रत्याशी हैं.


पिठोरिया पंचायत में मुकाबला इसलिए रोचक हो गया है, क्योंकि प्रत्याशी क्षेत्र में काफी अपनी पकड़ रखते हैं. पिछले चुनाव की अगर बात करें तो दोनों ही प्रत्याशी को एक दूसरे से काफी कम वोटों के अंतराल से हार जीत का सामना करना पड़ा है. 2010 में मुखिया पद के लिए चुनाव जीतकर आई भूतपूर्व मुखिया सहोदरा देवी का कहना है कि जो भी मेरा कार्यकाल रहा उसमें क्षेत्र की जनता के हितों को लेकर कार्य किए गए और मुझे लगा कि गांव के विकास के लिए किसी दूसरे को भी भागीदारी लेनी चाहिए, इसलिए मैंने 2015 में पंचायत चुनाव में अपना नामांकन तक नहीं कराया. लेकिन 2015 से लेकर अब तक का जो कार्यकाल रहा यूं कहे तो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का कार्यकाल रहा. हर तरफ जनता के पैसे को दुरुपयोग किया गय और जनता का कोई भी कार्य नहीं हुआ. तब मुझे लगा कि जो मैंने अपने कार्यकाल में गांव के विकास के लिए जो कार्य की उस कार्य को फिर से सुचारू रूप से लाना बेहद जरूरी है. इसलिए मैंने दोबारा पंचायत चुनाव में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. इस बार मैं जीत के जब आऊंगी तो सबसे पहले किसानों, बेरोजगारों, सखी मंडल ये तमाम लोग हैं इन पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा और गांव में विकास की गंगा बहेगी.

मुखिया प्रत्याशी सहोदरा देवी से बातचीत
वहीं वर्तमान मुखिया मुन्नी देवी भी अपने द्वारा किए गए कार्यों का खूब सराहना कर रही हैं. उनका कहना है कि गांव में 2015 से लेकर अब तक बहुत सारे कार्य किए गए. गांव के लोगों तक तमाम योजनाओं को पहुंचाने का काम किया गया. चाहे हर घर नल योजना की बात करें, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन या फिर इंदिरा आवास की बात करें सभी योजनाएं जनता तक पहुंचाने का काम मेरे कार्यकाल में किया गया है. आगे मुझे जनता पर पूरा भरोसा है एक बार फिर से मुझे मौका दिया जाएगा ताकि मैं किसानों, बेरोजगारों, वृद्धा, विधवा के हितों के बारे में सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम करूंगी.
मुखिया प्रत्याशी मुन्नी देवी से बातचीत
आपको बता देगी पिठोरिया पंचायत में मुखिया पद एसटी रिजर्व सीट है. ऐसे में इस बार मुखिया पद के लिए सिर्फ दो ही उम्मीदवार मैदान में है और दोनों ही उम्मीदवार वोटरों के बीच काफी पकड़ रखते हैं, एक भूतपूर्व मुखिया रह चुकी है तो दूसरी वर्तमान मुखिया रह चुकी हैं. दोनों ही प्रत्याशी जनता के बीच अपने द्वारा किए गए कार्यों का खूब सहाना कर रहे हैं. आपको बता दें कि 2010 में लगभग 1035 वोटों से जीत हासिल की थी और अपनी प्रतिद्वंदी मुन्नी देवी को हराने का काम की थी वहीं दूसरी बार 2015 में बहुत पूर्व मुखिया सहोदरा देवी ने चुनाव से खुद को दूर रखी थी वहीं 2015 में वर्तमान मुखिया मुन्नी देवी ने जीत हासिल की थी.

रांचीः झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हर तरफ होड़ मची हुई है और इसके साथ ही वोटरों के बीच अपने आप को श्रेष्ठ उम्मीदवार बताने में सभी जुट गए. राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव में मुखिया पद के लिए रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. दोनों ही प्रत्याशी पिठोरिया पंचायत के मुखिया रह चुके हैं. एक प्रत्याशी ने 2010 से लेकर 2015 में अपना कार्यकाल पूरा किया तो वहीं दूसरी प्रत्याशी ने 2015 से अब तक मुखिया पद पर रहने का काम किया है. दोनों प्रत्याशी अपने-अपने कामों को श्रेष्ठ बताते हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. इनका कहना है कि इनके कार्यकाल में जो कार्य हुआ है उससे जनता काफी संतुष्ट है. जीत के उद्देश्य के साथ इस बार चुनावी मैदान में दोनों ही प्रत्याशी हैं.


पिठोरिया पंचायत में मुकाबला इसलिए रोचक हो गया है, क्योंकि प्रत्याशी क्षेत्र में काफी अपनी पकड़ रखते हैं. पिछले चुनाव की अगर बात करें तो दोनों ही प्रत्याशी को एक दूसरे से काफी कम वोटों के अंतराल से हार जीत का सामना करना पड़ा है. 2010 में मुखिया पद के लिए चुनाव जीतकर आई भूतपूर्व मुखिया सहोदरा देवी का कहना है कि जो भी मेरा कार्यकाल रहा उसमें क्षेत्र की जनता के हितों को लेकर कार्य किए गए और मुझे लगा कि गांव के विकास के लिए किसी दूसरे को भी भागीदारी लेनी चाहिए, इसलिए मैंने 2015 में पंचायत चुनाव में अपना नामांकन तक नहीं कराया. लेकिन 2015 से लेकर अब तक का जो कार्यकाल रहा यूं कहे तो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का कार्यकाल रहा. हर तरफ जनता के पैसे को दुरुपयोग किया गय और जनता का कोई भी कार्य नहीं हुआ. तब मुझे लगा कि जो मैंने अपने कार्यकाल में गांव के विकास के लिए जो कार्य की उस कार्य को फिर से सुचारू रूप से लाना बेहद जरूरी है. इसलिए मैंने दोबारा पंचायत चुनाव में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. इस बार मैं जीत के जब आऊंगी तो सबसे पहले किसानों, बेरोजगारों, सखी मंडल ये तमाम लोग हैं इन पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा और गांव में विकास की गंगा बहेगी.

मुखिया प्रत्याशी सहोदरा देवी से बातचीत
वहीं वर्तमान मुखिया मुन्नी देवी भी अपने द्वारा किए गए कार्यों का खूब सराहना कर रही हैं. उनका कहना है कि गांव में 2015 से लेकर अब तक बहुत सारे कार्य किए गए. गांव के लोगों तक तमाम योजनाओं को पहुंचाने का काम किया गया. चाहे हर घर नल योजना की बात करें, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन या फिर इंदिरा आवास की बात करें सभी योजनाएं जनता तक पहुंचाने का काम मेरे कार्यकाल में किया गया है. आगे मुझे जनता पर पूरा भरोसा है एक बार फिर से मुझे मौका दिया जाएगा ताकि मैं किसानों, बेरोजगारों, वृद्धा, विधवा के हितों के बारे में सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम करूंगी.
मुखिया प्रत्याशी मुन्नी देवी से बातचीत
आपको बता देगी पिठोरिया पंचायत में मुखिया पद एसटी रिजर्व सीट है. ऐसे में इस बार मुखिया पद के लिए सिर्फ दो ही उम्मीदवार मैदान में है और दोनों ही उम्मीदवार वोटरों के बीच काफी पकड़ रखते हैं, एक भूतपूर्व मुखिया रह चुकी है तो दूसरी वर्तमान मुखिया रह चुकी हैं. दोनों ही प्रत्याशी जनता के बीच अपने द्वारा किए गए कार्यों का खूब सहाना कर रहे हैं. आपको बता दें कि 2010 में लगभग 1035 वोटों से जीत हासिल की थी और अपनी प्रतिद्वंदी मुन्नी देवी को हराने का काम की थी वहीं दूसरी बार 2015 में बहुत पूर्व मुखिया सहोदरा देवी ने चुनाव से खुद को दूर रखी थी वहीं 2015 में वर्तमान मुखिया मुन्नी देवी ने जीत हासिल की थी.
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