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Ranchi News: रामनवमी के मौके पर रांची में दिखती है कौमी एकता की मिसाल, मुस्लिम युवकों के चेहरे पर आ जाती है खुशी, जाने क्यों - रांची अपर बाजार

रामनवमी पर रांची में सांप्रदायिक एकता की मिसाल दिखती है. यहां रामनवमी पर इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादातर चीजों की ब्रिक्री करने वाले दूसरे समुदाय से आते हैं. लेकिन वो बड़े ही आत्मीयता से इन्हें बेचते हैं.

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Published : Mar 29, 2023, 11:51 AM IST

Updated : Mar 29, 2023, 6:40 PM IST

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रांची: एक तरफ देश के विभिन्न हिस्सों में कुछ लोगों के द्वारा धार्मिक उन्माद को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर झारखंड की राजधानी रांची में कौमी एकता की मिसाल देखने को मिल रही है. रांची के अपर बाजार में ज्यादातर रामनवमी के झंडा एवं पताका बेचने वाले वैसे लोग हैं जो मुस्लिम समुदाय से आते हैं.

ये भी पढ़ेंः Ranchi Police: रामनवमी को लेकर रांची के संवेदनशील इलाकों में पुलिस का फ्लैग मार्च, देखें वीडियो

महावीरी पताका बेच रहे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनका नाम मुस्लिम समाज से जुड़ा हुआ है. इन्हें तो बस हिंदू समाज के सबसे बड़े पर्व रामनवमी के आने का इंतजार होता है. सभी युवक रामनवमी का साल भर इंतजार करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा झंडा और पताका बनाकर बाजार में बेच सके, जिससे कि उससे पैसे कमा कर अपने घर वालों की मदद कर सके.

रांची के अपर बाजार में रामनवमी का झंडा बेच रहे मोहम्मद इंतामजीउद्दीन बताते हैं कि हिंदू-मुस्लिम के बीच मतभेद वैसे लोग करते हैं जो राजनीति से जुड़े होते हैं. गरीबों के लिए उसकी भूख और परिवार सबसे बड़ा होता है. उन्हें जाति-पाति के बीच मतभेद और धार्मिक उन्माद फैलाने जैसी घटना करने का वक्त नहीं होता. कुछ एक लोग अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए समाज में जाति-धर्म के अंतर को बरकरार रखना चाहते हैं. वैसे लोगों की वजह से पूरा समाज कलंकित होता है वैसे लोगों की सोच से जनता को जागृत कराने की आवश्यकता है ताकि समाज में आपसी भाईचारा बना रहे.

राजधानी में कौमी एकता की मिसाल को देखते हुए पटाखा खरीदने पहुंचे ग्राहक ने बताया कि निश्चित रूप से यह तस्वीर पूरे देश को एक सकारात्मक संदेश देती. है. मोहम्मद सलीम, इंतजामउद्दीन और फारुखउद्दीन जैसे लोगों की इस भावना को देखकर समाज के लोगों को सीखने की आवश्यकता है. यदि आप अपने विकास को प्राथमिकता देते हैं तो धार्मिक उन्माद और आपसी मतभेद की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी.

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रांची: एक तरफ देश के विभिन्न हिस्सों में कुछ लोगों के द्वारा धार्मिक उन्माद को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर झारखंड की राजधानी रांची में कौमी एकता की मिसाल देखने को मिल रही है. रांची के अपर बाजार में ज्यादातर रामनवमी के झंडा एवं पताका बेचने वाले वैसे लोग हैं जो मुस्लिम समुदाय से आते हैं.

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महावीरी पताका बेच रहे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनका नाम मुस्लिम समाज से जुड़ा हुआ है. इन्हें तो बस हिंदू समाज के सबसे बड़े पर्व रामनवमी के आने का इंतजार होता है. सभी युवक रामनवमी का साल भर इंतजार करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा झंडा और पताका बनाकर बाजार में बेच सके, जिससे कि उससे पैसे कमा कर अपने घर वालों की मदद कर सके.

रांची के अपर बाजार में रामनवमी का झंडा बेच रहे मोहम्मद इंतामजीउद्दीन बताते हैं कि हिंदू-मुस्लिम के बीच मतभेद वैसे लोग करते हैं जो राजनीति से जुड़े होते हैं. गरीबों के लिए उसकी भूख और परिवार सबसे बड़ा होता है. उन्हें जाति-पाति के बीच मतभेद और धार्मिक उन्माद फैलाने जैसी घटना करने का वक्त नहीं होता. कुछ एक लोग अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए समाज में जाति-धर्म के अंतर को बरकरार रखना चाहते हैं. वैसे लोगों की वजह से पूरा समाज कलंकित होता है वैसे लोगों की सोच से जनता को जागृत कराने की आवश्यकता है ताकि समाज में आपसी भाईचारा बना रहे.

राजधानी में कौमी एकता की मिसाल को देखते हुए पटाखा खरीदने पहुंचे ग्राहक ने बताया कि निश्चित रूप से यह तस्वीर पूरे देश को एक सकारात्मक संदेश देती. है. मोहम्मद सलीम, इंतजामउद्दीन और फारुखउद्दीन जैसे लोगों की इस भावना को देखकर समाज के लोगों को सीखने की आवश्यकता है. यदि आप अपने विकास को प्राथमिकता देते हैं तो धार्मिक उन्माद और आपसी मतभेद की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी.

Last Updated : Mar 29, 2023, 6:40 PM IST
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