रांची: दसवीं और बारहवीं की परीक्षा को लेकर झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने एक तरफ जहां परीक्षाओं की तिथि घोषित कर दी है, वहीं सीबीएसई की ओर से भी परीक्षा को लेकर तैयारियां की जा रही है. परीक्षाओं के मद्देनजर राज्य के निजी और सरकारी स्कूलों को 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए खोला गया है, लेकिन विद्यार्थियों की उपस्थिति इन स्कूलों में काफी कम दर्ज की जा रही है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रांची के कई स्कूलों की पड़ताल की है.
सभी सरकारी स्कूल हो रहे हैं संचालित
रांची के सभी 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हैं. सीबीएसई पैटर्न पढ़ाने वाले अधिकतर निजी स्कूल भी खोल दिए गए हैं. इन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति फिलहाल कम है. व्यवस्था को बहाल करने में स्कूल प्रबंधकों को कोई परेशानी नहीं हो रही है. बच्चे शिक्षकों के दिए जा रहे निर्देशों का समुचित तरीके से पालन कर रहे हैं. कोविड-19 के गाइडलाइन के तहत ही कक्षा में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए बैठाया जा रहा है. कक्षा में भी मास्क अनिवार्य है.
25 से 30 फीसदी बच्चों की उपस्थिति
ईटीवी भारत की टीम ने जब विभिन्न स्कूलों में जाकर पड़ताल की तब पता चला की स्कूल खुले होने के बावजूद विद्यार्थियों की उपस्थिति कम दर्ज की जा रही है. 25 से 30 फीसद विद्यार्थी ही फिलहाल स्कूल आ रहे हैं और इसके कई कारण हैं. कुछ बच्चों को स्कूल आने की अनुमति अभिभावकों की ओर से फिलहाल नहीं है, तो दूसरी ओर दूरदराज के बच्चे सरकारी स्कूलों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. कुछ बच्चों से जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने बात की तो पता चला ऑटो भाड़ा ज्यादा वसूला जा रहा है, इस वजह से भी बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं. ऑटो भाड़ा कम करने की मांग इन विद्यार्थियों ने सीधे सरकार से की है. कई समस्याओं के कारण फिलहाल बच्चों की उपस्थिति स्कूलों में कम ही दिख रही है.
इसे भी पढ़ें: झारखंड आर्म्ड फोर्स का 141वां स्थापना दिवस, गोरखा जवानों की वीरता को किया गया याद
बच्चों के सुरक्षा का रखा जा रहा ख्याल
ईटीवी भारत के संवाददाता ने स्कूल प्रबंधकों से भी बातचीत की. उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ेगी और मैट्रिक इंटर परीक्षा की तैयारी में जुटेंगे. शिक्षकों की ओर से लगातार उन्हें परीक्षा संबंधित परामर्श दिए जा रहे हैं. स्कूल प्रबंधकों की ओर से बच्चों के सुरक्षा के दृष्टिकोण से सभी सुरक्षात्मक कदम उठाए जा रहे हैं.