रांची: ऑनलाइन पठन-पाठन के अलावे उच्च शिक्षा जगत से जुड़ी कई समस्याओं और कोरोना वायरस को लेकर हो रही परेशानियों को लेकर ईटीवी भारत ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के वीसी एस एन मुंडा से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने चांसलर पोर्टल के जरिए ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया के साथ-साथ कोविड-19 के कारण विश्वविद्यालय के पठन-पाठन किस तरह से प्रभावित हो रहे है, क्या कुछ उपाय विद्यार्थियों के बेहतरी के लिए किए जा रहे हैं. इन मामलों को लेकर कुलपति ने अपनी राय साझा की है.
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सितंबर से होगी सत्र की शुरुआत.
यूजीसी के निर्देश पर सितंबर महीने से सत्र की शुरुआत की जाएगी. हालांकि उससे पहले यूजी और पीजी की परीक्षाएं ली जानी है. इसे लेकर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है. हालांकि सॉफ्टवेयर के जरिए एग्जाम लेना भी विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के सभी विद्यार्थियों के पास न तो लैपटॉप है, न एंड्राइड मोबाइल है और ना ही इंटरनेट कनेक्शन समुचित तरीके से उन्हें मिलता है. ऐसे में शत-प्रतिशत परीक्षा लेना इस विश्वविद्यालय के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि वेबसाइट के जरिए डीएसपीएमयू के जरिये पठन-पाठन की सामग्री कुछ हद तक विद्यार्थियों तक पहुंचाई गई है. वहीं विश्वविद्यालय सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए जून महीने में ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को कॉलेज परिसर बुलाकर उन के बीच पठन-पाठन की सामग्री वितरित करने की प्लानिंग कर रही है. इस विश्वविद्यालय में कुछ सेमेस्टर का उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी करा लिया गया है, जल्द ही परीक्षा परिणाम भी प्रकाशित कर दिया जाएगा. डीएसपीएमयू का दावा है कि रूरल क्षेत्र के विद्यार्थियों को किसी भी तरीके से परेशानी नहीं होने दी जाएगी.
कोविड-19 को सिलेबस में किया जाएगा शामिल
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान डीएसपीएमयू के कुलपति एस एन मुंडा ने कई जानकारियां साझा की है. उन्होंने कहा कि जुलाई में सभी स्ट्रीम की परीक्षा दो सिटिंग में आयोजित की जाएगी, छात्रों को मॉडल प्रश्न पत्र के अनुसार ही परीक्षा की तैयारी करने के लिए कहा गया है, यूजी और पीजी के सिलेबस में सभी स्ट्रीम में कोविड-19 को भी शामिल किया जाएगा, इसके लिए पहल भी शुरू कर दी गई है. वहीं लॉकडाउन के चलते लगातार विवि बंद है. क्लास हालांकि ऑनलाइन चल रही है, लेकिन इसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को नहीं मिल रहा है. इसलिए इस वर्ष गर्मी छुट्टी कैंसिल कर सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए कुछ हद तक कक्षाएं चलाने की कोशिश जरूर की जाएगी .
चांसलर पोर्टल के जरिए होगी नामांकन, अन्य गतिविधियों से आ सकती है परेशानी
वहीं चांसलर पोर्टल से शत-प्रतिशत नामांकन के लिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ नामांकन इसके जरिए लिए जाते हैं तो समस्याएं कम होगी, लेकिन अगर विश्वविद्यालय के अन्य गतिविधियां चांसलर पोर्टल के जरिए संचालित की जाएगी तो कई समस्याएं उत्पन्न होगी, क्योंकि विश्वविद्यालय में वैसे एक्सपर्ट नहीं हैं जो इस पोर्टल को सही तरीके से संचालित कर सके. इसलिए इस ओर उच्च शिक्षा विभाग को ध्यान देना होगा और विश्वविद्यालयों के साथ तालमेल बिठाकर ही कदम उठाना होगा.