रांची: जेडीयू झारखंड में राजनीतिक पृष्ठभूमि को तैयार करने के लिए वर्षों से जुटी है. लेकिन अभी तक पार्टी को सफलता हाथ नहीं लग पाई है. पार्टी को लेकर झारखंड के लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि यह बिहार की पार्टी है, जो झारखंड के लोगों की समस्या को नहीं समझ सकती. झारखंड जेडीयू (Jharkhand JDU) ने एक बार फिर से संगठन का विस्तार किया है. जिसमें यह ध्यान रखा गया है कि संगठन में ज्यादातर पदाधिकारी झारखंड राज्य से ताल्लुक रखते हों.
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झारखंड के जनमानस के बीच जनाधार बढ़ाने के लिए जेडीयू आलाकमान ने पूर्व विधायक और राज्य के वरिष्ठ नेता खीरू महतो को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने के बाद खीरू महतो राज्य के सभी कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं और बैठक कर सभी को नई कमिटी के गठन के बाद की जिम्मेदारी भी दे रहे हैं. खीरू महतो से कई मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की. जिसमें उन्होंने बेबाकी से अपनी बातों को रखा.
आदिवासियों की समस्याओं पर विशेष ध्यान: खीरू महतो
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान खीरू महतो ने कहा कि वह पहले भी जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी को किस तरह राज्य में शिखर तक पहुंचाना है इसका अनुभव उनके पास है. इसीलिए उन्हें पार्टी को जनमानस तक पहुंचाने में कोई समस्या नहीं होगी. फिलहाल वो सिर्फ कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं, ताकि शहर से लेकर गांव तक पार्टी का प्रचार प्रसार हो सके. वहीं उन्होंने बताया कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है. इसीलिए उन्होंने आदिवासियों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया है. जैसे सरना धर्म कोड, विस्थापितों की समस्याओं का समाधान और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले अंतिम लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाना उनका लक्ष्य है.
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जनसंख्या नियंत्रण और जातिगत जनगणना पर खीरू महतो की राय
खीरू महतो ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण और जातिगत जनगणना को लेकर कानून से ज्यादा जरूरी है कि लोगों के बीच जागृति लाई जाए, ताकि लोग खुद से यह समझ सकें की जनसंख्या नियंत्रण क्यों जरूरी है. उन्होंने कहा कि आने वाले पंचायत चुनाव में भी जेडीयू लोगों के बीच सक्रिय रहेगी, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मैदान तैयार किया जा सके.