रांची: कोरोना वायरस से बचाव के लिए चल रहे सोशल डिस्टेंसिंग अभियान के बीच रविवार को एक बड़ी लापरवाही सामने आई थी. विभिन्न राज्यों से रविवार को राजधानी रांची पंहुचे यात्रियों की स्क्रीनिंग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई थी. उस दौरान स्टेशनों पर उनकी नाम मात्र जांच की गई.
वहीं, सोमवार को भी झारखंड लॉकडाउन के पहले दिन सैकड़ों यात्री विभिन्न ट्रेन के जरिए खासकर दक्षिण भारत की ओर से रांची रेलवे स्टेशन पहुंचे. इन यात्रियों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था की रियलिटी टेस्ट करने ईटीवी भारत की टीम रांची रेलवे स्टेशन पंहुची.
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश के कई राज्यों को लॉकडाउन कर दिया गया है. झारखंड भी रविवार से लॉक डाउन है. इसके तहत झारखंड में किसी भी बाहर से आए लोगों के प्रवेश पर रोक है. अगर किसी कारण कोई इस राज्य में पहुंचेंगे तो उनकी पूरी स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है.
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रेल यातायात के जरिए भी सूबे में कई यात्री अन्य राज्यों से पंहुचे हैं तो वहीं अन्य राज्यों के कई यात्री झारखंड में ही फंसे हुए हैं. उन तमाम यात्रियों की स्क्रीनिंग को लेकर पब्लिक यातायात सेवाओं में अपने-अपने स्तर पर व्यवस्था की है.
ईटीवी भारत की पड़ताल
वहीं, सबसे बड़े यातायात के साधन रेल यातायात पर इस लॉकडाउन और देशभर के ट्रेनों के रद्द होने पर क्या कुछ प्रभाव पड़ा है. इसकी पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम रांची रेलवे स्टेशन पहुंची. बता दें कि जनता कर्फ्यू के दौरान ही यह निर्णय लिया गया था कि जो ट्रेन अन्य राज्यों से रेलवे द्वारा निर्धारित समय के तहत खुली है, उन ट्रेनों को गंतव्य तक पहुंचाई जाएगी. इसी कड़ी में सोमवार को रांची रेल मंडल में कई ट्रेनें आई. दक्षिण भारत से अधिकतर यात्री झारखंड पहुंचे. इसे देखते हुए रांची और हटिया रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई थी. लेकिन हटिया रेलवे स्टेशन पर इसकी समुचित व्यवस्था नहीं दिखी.
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मुस्तैद दिखी आरपीएफ की टीम
रांची रेलवे स्टेशन के अंदर की तमाम प्रशासनिक व्यवस्थाओं को मुकम्मल तरीके से आरपीएफ ने व्यवस्थित की थी. रेलवे और जिला प्रशासन की चिकित्सीय टीम भी मौजूद दिखी. लेकिन कुछ यात्रियों ने ऐसी भी शिकायत की कि जिस तरीके से स्क्रीनिंग करके उन्हें ट्रेनों पर बिठाया गया है. उस तरीके की स्क्रीनिंग रांची रेलवे स्टेशन पर नहीं हो रही है.
यात्री नहीं दिखे संतुष्ट
इसकी पड़ताल करने हमारी टीम स्क्रीनिंग सेंटर तक पहुंची. उस दौरान देखा गया कि कतारबद्ध होकर तमाम यात्रियों की प्रारंभिक जांच की जा रही है. जिन यात्रियों को सर्दी खांसी, फीवर या फिर कोरोना के सिम्टम्स हैं. उन्हें एंबुलेंस के जरिए संबंधित अस्पताल में आइसोलेशन के लिए भेजा जा रहा है. लेकिन जो यात्री सामान्य पाए जा रहे हैं. उनके हाथ पर एचक्यू (HQ) लिख कर छोड़ दिया जा रहा है और उन्हें 14 दिनों तक घर में रहने की हिदायत दी जा रही है. हालांकि इस तरीके के स्क्रीनिंग जांच से यात्री संतुष्ट नहीं दिखे.
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स्टेशन पर थर्मल स्कैनर और पारा मेडिकल स्टाफ की मांग
जबकि रांची-हटिया स्टेशन पर उचित स्क्रीनिंग की व्यवस्था हो इसे लेकर रांची रेल मंडल ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से थर्मल स्कैनर और पारा मेडिकल स्टाफ मांग की है. लेकिन आज अधिकतर यात्रियों की जांच पारा मेडिकल स्टाफ ने किया. लेकिन थर्मल स्कैनर की व्यवस्था कहीं नहीं दिखी. इससे यात्रियों के मन में थोड़ा डर जरूर दिखा. जबकि प्रशासनिक स्तर पर रेल प्रशासन और आरपीएफ ने तमाम तरह की व्यवस्थाएं मुकम्मल की थी.
कोरोना का कहर
कोरोना वायरस से लड़ने को लेकर हर स्तर पर युद्ध किया जा रहा है. अनजान दुश्मन से किस तरीके से लड़ा जाए, इसे लेकर भी परेशानियां और चुनौतियां जरूर है. लेकिन फिर भी लगातार संबंधित विभाग से जुड़े लोग आमलोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग अभियान के जरिए कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने की कोशिश हो रही है. लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं चूक जरूर हो रही है. इन छोटी-छोटी गलतियों को हमें जल्द से जल्द सुधारने की जरूरत है. नहीं तो एक बड़ा आपदा आने से कोई नहीं रोक सकता है. जन जागरूकता अभियान के जरिए ही इस मुश्किल की घड़ी में हम सब को एक साथ मिलकर कोरोना को हराना होगा.