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पैरासिटामोल खरीदने वालों पर क्यों रखी जा रही पैनी नजर, देखें झारखंड ड्रग कंट्रोलर से खास बातचीत - ईटीवी भारत पर झारखंड के ड्रग कंट्रोलर

लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों का झारखंड पहुंचने का सिलसिला जारी है. दूसरे प्रदेशों से आए मजदूरों का पैरासिटामोल टैबलेट खाकर बॉडी टेंपरेचर को छिपाने की संभावना जताई जा रही है. इसे लेकर झारखंड का औषधि नियंत्रण निदेशालय सतर्क हो गया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी ने झारखंड के ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय से इसे लेकर खास बातचीत की.

ETV bharat Exclusive interview with Drug Controller of Jharkhand in ranchi
ड्रक कंट्रोलर का EXCLUSIVE इंटरव्यू
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Published : May 20, 2020, 6:37 PM IST

Updated : May 20, 2020, 6:59 PM IST

रांची: कोविड-19 के फैलते संक्रमण के बीच प्रवासी श्रमिकों के झारखंड लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. हालांकि जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से झारखंड पहुंच रहे हैं उनकी स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है, लेकिन संभावना इस बात को लेकर भी बनी है कि पैरासिटामोल टेबलेट खाकर भी लोग बॉडी टेंपरेचर को छिपा सकते हैं. लिहाजा एहतियात के तौर पर झारखंड के औषधि नियंत्रण निदेशालय ने राज्य के सभी ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देश दिया है कि सभी दवा दुकानों में इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि अगर कोई पैरासिटामोल या इस कंपोजीशन से जुड़ी किसी भी कंपनी की दवा अगर कोई लेता है तो उसका नाम और फोन नंबर जरूर रिकॉर्ड किया जाए.

देखें ड्रग कंट्रोलर से खास बातचीत

झारखंड के ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय से कुछ दवाओं के गलत इस्तेमाल को लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने विस्तार से बातचीत की. ऋतु सहाय ने कहा कि फिलहाल ऑन रिकॉर्ड यह बात सामने नहीं आई है कि झारखंड आ रहे श्रमिक थर्मल स्क्रीनिंग में बॉडी टेंपरेचर के पकड़े जाने से बचने के लिए पैरासिटामोल का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसे नकारा भी नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लक्षण में बुखार भी एक कारण है. इसलिए औषधि नियंत्रण निदेशालय की कोशिश है कि क्रोसिन जैसी पैरासिटामोल दवाओं की बिक्री पर नजर रखी जाए.

इसे भी पढ़ें:- हिंदपीढ़ी के रक्षक की दर्द भरी दास्तान, घर-बार छोड़कर कर रहे थे ड्यूटी, लोगों ने किया घायल

ऋतु सहाय ने कहा कि चुकी पैरासिटामोल दवा उन दवाओं की श्रेणी में नहीं आता जिसके लिए डॉक्टर का प्रिसक्रिप्शन जरूरी होता है, लेकिन ताजा हालात को देखते हुए इस दवा की बिक्री पर नजर रखी जा रही है, सभी दवा दुकान के संचालकों को कहा गया है कि वह एक रिकॉर्ड मेंटेन करें, बाद में औषधि नियंत्रण निदेशालय इस रिकॉर्ड को जिला प्रशासन के साथ भी साझा करेगा, अगर कोई कोरोना से संक्रमित हो और जानकारी के अभाव में वह फीवर की दवा के रूप में पैरासिटामोल ले रहा हो तो रिकॉर्ड के आधार पर उसे ट्रेस करने में आसानी होगी.

कफ सिरप की बिक्री पर भी है पैनी नजर
लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री बंद होने से कोरेक्स और फैंसीड्रिल जैसे कफ सिरप की बिक्री बढ़ गई थी. ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय ने कहा कि इस सिरप में कोडिंग फास्फेट होता है, जिसे पीने से नशा होता है. निदेशालय को जानकारी मिली थी कि कई जगह इस सिरप का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए निदेशालय की टीम एक अभियान चलाकर इस सिरप के स्टॉक की भी जांच कर रही है. अब तक कफ सिरप की कई अवैध खेती पकड़ी जा चुकी है और कई लोगों पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई है.

रांची: कोविड-19 के फैलते संक्रमण के बीच प्रवासी श्रमिकों के झारखंड लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. हालांकि जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से झारखंड पहुंच रहे हैं उनकी स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है, लेकिन संभावना इस बात को लेकर भी बनी है कि पैरासिटामोल टेबलेट खाकर भी लोग बॉडी टेंपरेचर को छिपा सकते हैं. लिहाजा एहतियात के तौर पर झारखंड के औषधि नियंत्रण निदेशालय ने राज्य के सभी ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देश दिया है कि सभी दवा दुकानों में इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि अगर कोई पैरासिटामोल या इस कंपोजीशन से जुड़ी किसी भी कंपनी की दवा अगर कोई लेता है तो उसका नाम और फोन नंबर जरूर रिकॉर्ड किया जाए.

देखें ड्रग कंट्रोलर से खास बातचीत

झारखंड के ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय से कुछ दवाओं के गलत इस्तेमाल को लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने विस्तार से बातचीत की. ऋतु सहाय ने कहा कि फिलहाल ऑन रिकॉर्ड यह बात सामने नहीं आई है कि झारखंड आ रहे श्रमिक थर्मल स्क्रीनिंग में बॉडी टेंपरेचर के पकड़े जाने से बचने के लिए पैरासिटामोल का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसे नकारा भी नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लक्षण में बुखार भी एक कारण है. इसलिए औषधि नियंत्रण निदेशालय की कोशिश है कि क्रोसिन जैसी पैरासिटामोल दवाओं की बिक्री पर नजर रखी जाए.

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ऋतु सहाय ने कहा कि चुकी पैरासिटामोल दवा उन दवाओं की श्रेणी में नहीं आता जिसके लिए डॉक्टर का प्रिसक्रिप्शन जरूरी होता है, लेकिन ताजा हालात को देखते हुए इस दवा की बिक्री पर नजर रखी जा रही है, सभी दवा दुकान के संचालकों को कहा गया है कि वह एक रिकॉर्ड मेंटेन करें, बाद में औषधि नियंत्रण निदेशालय इस रिकॉर्ड को जिला प्रशासन के साथ भी साझा करेगा, अगर कोई कोरोना से संक्रमित हो और जानकारी के अभाव में वह फीवर की दवा के रूप में पैरासिटामोल ले रहा हो तो रिकॉर्ड के आधार पर उसे ट्रेस करने में आसानी होगी.

कफ सिरप की बिक्री पर भी है पैनी नजर
लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री बंद होने से कोरेक्स और फैंसीड्रिल जैसे कफ सिरप की बिक्री बढ़ गई थी. ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय ने कहा कि इस सिरप में कोडिंग फास्फेट होता है, जिसे पीने से नशा होता है. निदेशालय को जानकारी मिली थी कि कई जगह इस सिरप का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए निदेशालय की टीम एक अभियान चलाकर इस सिरप के स्टॉक की भी जांच कर रही है. अब तक कफ सिरप की कई अवैध खेती पकड़ी जा चुकी है और कई लोगों पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई है.

Last Updated : May 20, 2020, 6:59 PM IST

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