रांचीः झारखंड के 145 प्रखंड पूरी तरह सुखाड़ जैसी स्थिति का सामना कर रहा है. दूसरी ओर राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से हो रहे सूकरों की मौत ने सूकर फार्म के साथ साथ छोटे छोटे सुकर पालकों को अभी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है. अब गौवंशीय पशुओं में होने वाला संक्रमण लंपी स्किन डिजीज भी पांव पसार रहा है और कई पशुओं की मौत भी लंपी से हुई है. ऐसे में सुखाड़ के साथ साथ पशुपालन के नुकसान की मार झेल रहे अन्नदाताओं और पशुपालकों के लिए सरकार क्या कर रही है और कैसे सरकार की योजनाओं का लाभ पशुपालक ले सकते हैं. यह जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता उपेंद्र कुमार ने एक्सक्लूसिव बात की झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख (interview with Agriculture Minister) से.
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अफ्रीकन स्वाइन फीवर और लंपी स्किन डिजीज को लेकर सरकार गंभीरः राज्य में कृषि के साथ साथ पशुपालन पर भी दो वायरल डिजीज स्वाइन फीवर और लंपी के खतरे (Lumpy skin disease in Jharkhand) को स्वीकारते हुए कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने कहा कि हालांकि इन दोनों बीमारियों से पूरा देश जूझ रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने इसे नियंत्रित करने और पशुपालकों को हो रही आर्थिक क्षति कैसे कम हो, क्या राहत दी जाए, इसके लिए पशुपालन निदेशक को निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए सभी जिलों के जिला पशुपालन अधिकारी से रिपोर्ट मंगाई गई है. जिन पशुपालकों की बीमारी से पशुओं की मौत बीमारी की वजह से होगी, उन्हें मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत 75 फीसदी अनुदान पर दो पशु देने की योजना बनाई (compensation to cattle ranchers) गई है. इसके अलावा पशुपालकों को और क्या क्या मदद पहुंचाई जा सकती है, इस पर भी सरकार गंभीरता से मंथन कर रही है.
बीमारी से मरने वाले पशुओं का पोस्टमार्टम कराने से राहत मिलने में होगी सुविधाः अफ्रीकन स्वाइन फीवर या लंपी स्किन डिजीज से होने वाली पशुओं मौत को लेकर कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने पशुपालक और सुकर पालकों से अपील है. उन्होंने कहा है कि पशुओं की मौत होने पर तत्काल जिला पशुपालन अधिकारी को सूचना दें और पशुओं के शव का पोस्टमार्टम जरूर कराएं ताकि पशुपालकों को राहत उपलब्ध कराने में सरकार को सुविधा हो.
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145 प्रखंडों में सुखाड़ की वजह से स्थिति भयावहः झारखंड में मानसून के दगा देने और औसत से कम बारिश ने सभी को सकते में डाला है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख (Agriculture Minister Badal Patralekh) ने कहा कि जो आंकड़ें सरकार के पास हैं और जो रिपोर्ट अलग अलग जिलों के प्रखंडों से आई है, वो काफी भयावह है. इन आंकड़ों के अनुसार मानसून के शुरुआती दिनों में बारिश नहीं होने से खेती की स्थिति विकट हुई है. लेकिन बाद में हुई अच्छी बारिश का कोई फायदा खरीफ की फसल को नहीं मिला. जिससे बिचड़े सूख गए और इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ा है.
कृषि मंत्री ने राज्य के 145 प्रखंडों में सुखाड़ की वजह से भयावह स्थिति की (drought condition in jharkhand) जानकारी देते हुए कहा कि विशेषज्ञों ने एक आकलन किया है कि राज्य में ऐसा ट्रेंड है कि हर चार साल में एक बार सुखाड़ की स्थिति से राज्य को सामना करना पड़ता है. वर्ष 2014-15, 2018-2019 और अब 2022-23 में झारखंड में सुखाड़ की स्थिति बनी है. यह ट्रेंड चला तो चार साल बाद फिर राज्य को सुखाड़ का सामना करना पड़ेगा. इसलिए आज जैसी स्थिति चार साल बाद ना हो, इस सोच के साथ राज्य में रोड मैप बनाया गया (relief to farmers) है.
बड़े और छोटे जल स्त्रोतों को बढ़ाने की पहलः प्रदेश के हर जिले में बड़े तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. इसके अलावा छोटे तालाब, कुआं का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाएगा. जिससे आने वाले समय में वर्षा जल का संचयन हो और भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाया जा सके. कृषि, पशुपालन और अन्य अलाइड कार्य के लिए कंटीजेंसी प्लान तैयार किया गया है. कम वर्षा वाले फसलों के लिए 90 से 100 प्रतिशत अनुदान पर बीज किसानों को देने की योजना बनी है और ग्राम सभा के बाद बीज बांटने का काम शुरू हो जाएगा. कृषि मंत्री ने कहा कि 145 ब्लॉक में सुखाड़ की रिपोर्ट केंद्र को भेज दी गयी है. उन्होंने कहा कि सुखाड़ का कुप्रभाव नवंबर दिसंबर तक दिखेगा. ऐसे में कृषि क्षेत्र के मजदूरों को राज्य में ही रोकने के लिए मनरेगा के साथ समन्वय स्थापित कर 05-05 योजनाएं बनाने को कहा गया है ताकि कृषि मजदूरों का पलायन ना हो और उन्हें रोजगार से संबंधित कोई परेशानी ना हो.
15 लाख से अधिक किसानों ने कराया फसल राहत योजना के लिए निबंधनः कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में 15 लाख से अधिक किसानों द्वारा उपज कम होने की स्थिति में किसानों को मिलने वाली राहत के लिए निबंधन कराया है. अब उस पोर्टल को फिर से खोलने की मांग हो रही है, जिसपर उच्चस्तरीय बैठक कर किसानों के हितों में फैसला लिया जाएगा. किसानों को वर्तमान हालात से निराश ना होने का आग्रह करते हुए भरोसा दिलाया कि राज्य की सरकार उनके साथ खड़ी है. राज्य में कम बारिश और देर से तालाब भरने की स्थिति में मत्स्य उत्पादन में कमी की विशेषज्ञों के अंदेशे को मंत्री ने खारिज कर दिया है. कृषि मंत्री ने कहा कि तालाबों का जीर्णोद्धार, उन्नत मत्स्य पालन के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था कर वह कोशिश कर रहे हैं. जिससे की पिछले वर्ष से कम मछली उत्पादन इस वर्ष राज्य में ना हो.