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जीवन भी जीविका भी के मंत्र से गांवों में बढ़ेगा रोजगार, जानें क्या है झारखंड सरकार का प्लान

कोरोना काल में लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है. झारखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जीवन भी जीविका भी है को मूल मंत्र बनाया है. इस मंत्र के जरिये ही राज्य सरकार ने मनरेगा योजना के तहत राज्य के ग्रामीण और प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव, टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है.

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झारखंड मंत्रालय
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Published : May 26, 2021, 10:15 PM IST

रांची: कोरोना काल में राज्य सरकार ने जीवन भी जीविका भी है को मूल मंत्र बनाया है. इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढाने के लिए मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है.

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कोरोना के समय लोगों को रोजगार से जोड़े रखना सरकार के लिए चुनौती भरा काम है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार जीविका भी, जीवन भी को मंत्र बनाकर आगे बढ़ रही है. इसी के तहत राज्य सरकार ने मनरेगा योजना के तहत राज्य के ग्रामीण और प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव, टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य में वापस आने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके क्वारंटाइन अवधि के दौरान ही जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है. क्वारंटाइन अवधि पूर्ण होने के साथ उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा सके इसकी कोशिश की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2021- 22 में अब तक मनरेगा के तहत कुल 33 हजार परिवारों को नया जॉब कार्ड निर्गत किया गया है, जिसमें 51 हजार से अधिक मजदूर शामिल हैं.



मनरेगा के तहत 228 लाख मानव दिवस सृजित
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021- 22 में अब तक कुल 13.80 लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने का विभाग ने दावा किया है. इन मजदूरों को 228 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं. हर इच्छुक परिवार व मजदूर को यथासंभव उनके गांव और टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रत्येक गांव टोला में कम से कम 5 से 6 योजनाओं के क्रियान्वयन का लक्ष्य सरकार ने तय किया है. इन मजदूरों को राज्य सरकार द्वारा शुरुआत की गई योजनाओं नीलाम्बर- पीताम्बर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर पोटो हो खेल विकास योजना, दीदी बाड़ी योजना से जोड़ा जाएगा. सभी इच्छुक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई सभी योजनाओं के समयबद्ध तरीके से क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा है. वहीं जल संरक्षण एवं पौधरोपण कार्य को मिशन मोड में वैज्ञानिक ढंग से क्रियान्वित कराया जा रहा है.


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47242 कार्य पूर्ण, 942 लाख चालू
वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक योजना से जुड़े कुल 47, 242 कार्य को पूर्ण होने का दावा किया गया है. वहीं 9.42 लाख योजना कार्य चालू होने की बात कही गई है. जिस पर कुल व्यय का लगभग 81 प्रतिशत राशि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से जुड़ी योजनाओं पर व्यय किया गया है. इसके साथ ग्रामीणों को मनरेगा से जोड़ने और आजीविका के उद्देश्य से कृषि एवं कृषि से संबंधित कार्यों का क्रियान्वयन कराया जा रहा है. वर्तमान में कृषि और कृषि से संबंधित योजनाएं झारखंड में 94.33% प्रतिशत हैं, जो पूरे देश में सर्वाधिक है. महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मनरेगा अंतर्गत मेट के रूप में सखी मंडल की दीदियों का चयन किया गया है. उन्हें प्रशिक्षित कर कार्य कराया जा रहा है.

रांची: कोरोना काल में राज्य सरकार ने जीवन भी जीविका भी है को मूल मंत्र बनाया है. इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढाने के लिए मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है.

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कोरोना के समय लोगों को रोजगार से जोड़े रखना सरकार के लिए चुनौती भरा काम है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार जीविका भी, जीवन भी को मंत्र बनाकर आगे बढ़ रही है. इसी के तहत राज्य सरकार ने मनरेगा योजना के तहत राज्य के ग्रामीण और प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव, टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य में वापस आने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके क्वारंटाइन अवधि के दौरान ही जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है. क्वारंटाइन अवधि पूर्ण होने के साथ उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा सके इसकी कोशिश की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2021- 22 में अब तक मनरेगा के तहत कुल 33 हजार परिवारों को नया जॉब कार्ड निर्गत किया गया है, जिसमें 51 हजार से अधिक मजदूर शामिल हैं.



मनरेगा के तहत 228 लाख मानव दिवस सृजित
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021- 22 में अब तक कुल 13.80 लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने का विभाग ने दावा किया है. इन मजदूरों को 228 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं. हर इच्छुक परिवार व मजदूर को यथासंभव उनके गांव और टोला में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रत्येक गांव टोला में कम से कम 5 से 6 योजनाओं के क्रियान्वयन का लक्ष्य सरकार ने तय किया है. इन मजदूरों को राज्य सरकार द्वारा शुरुआत की गई योजनाओं नीलाम्बर- पीताम्बर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर पोटो हो खेल विकास योजना, दीदी बाड़ी योजना से जोड़ा जाएगा. सभी इच्छुक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई सभी योजनाओं के समयबद्ध तरीके से क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा है. वहीं जल संरक्षण एवं पौधरोपण कार्य को मिशन मोड में वैज्ञानिक ढंग से क्रियान्वित कराया जा रहा है.


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47242 कार्य पूर्ण, 942 लाख चालू
वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक योजना से जुड़े कुल 47, 242 कार्य को पूर्ण होने का दावा किया गया है. वहीं 9.42 लाख योजना कार्य चालू होने की बात कही गई है. जिस पर कुल व्यय का लगभग 81 प्रतिशत राशि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से जुड़ी योजनाओं पर व्यय किया गया है. इसके साथ ग्रामीणों को मनरेगा से जोड़ने और आजीविका के उद्देश्य से कृषि एवं कृषि से संबंधित कार्यों का क्रियान्वयन कराया जा रहा है. वर्तमान में कृषि और कृषि से संबंधित योजनाएं झारखंड में 94.33% प्रतिशत हैं, जो पूरे देश में सर्वाधिक है. महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मनरेगा अंतर्गत मेट के रूप में सखी मंडल की दीदियों का चयन किया गया है. उन्हें प्रशिक्षित कर कार्य कराया जा रहा है.

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