रांचीः साल 2023 के पहले ही महीने में झारखंड में नक्सलियों को तगड़ा झटका लगा है. तीन महिला नक्सलियों (Women Maoists in Ranchi) सहित आठ माओवादी कैडर के सदस्यों ने आईजी अभियान अमोल वी होमकर के सामने बुधवार को रांची में आत्मसमपर्ण (Eight Maoists surrendered in Ranchi) कर दिया.
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इन नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण: सरेंडर करने वाले आठ नक्सलियों में जय राम बोदरा, सरिता उर्फ मंगली सरदार, मारतम अंगारिया, सोमवारी कुमार टोनी, तुंगीर पूर्ति, किशुन सिरका, संजू पूर्ति और पातर कोड़ा शामिल है. आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली एक करोड़ के इनामी मिशिर बेसरा उर्फ अनल दा के दस्ते के हैं.
जानें किस नक्सली के ऊपर कितने मामले है दर्ज: जयराम बोदरा के ऊपर कुल 11 मामले दर्ज हैं, सरिता सरदार के ऊपर 06 मामले दर्ज है. सोमवारी कुमारी के ऊपर 02 मामले दर्ज हैं. मारतम अंगरिया के ऊपर 05 मामले, तुंगीर पूर्ति के ऊपर 01, पातर कोड़ा के ऊपर 06 मामले दर्ज हैं. जबकि कुसनू सिरका और संजू पूर्ति पिछले तीन साल से नक्सल संगठन में सक्रिय थे, लेकिन अब तक उनके नाम पुलिस फाइल में दर्ज नहीं हो पाए थे.
नक्सली संगठनों के खिलाफ चौतरफा कार्रवाई की जा रही है: आठ नक्सलियों के एक साथ आत्मसमर्पण करने के बाद झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि झारखंड सरकार ने राज्य को नक्सल मुक्त राज्य बनाने का संकल्प लिया है. इसी संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए डीजीपी निर्देशन में झारखंड पुलिस, कोबरा, सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर और अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के द्वारा सभी नक्सली संगठनों के खिलाफ चौतरफा कार्रवाई की जा रही है. इस दिशा में पुलिस को नक्सली संगठनों के विरुद्ध निरंतर सफलताएं भी मिल रही है. झारखंड को पूरी तरह से नक्सल मुक्त करने के लिए भटके नक्सलियों को मुख्य धारा में लौटने के लिए झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत झारखंड पुलिस लगातार कार्य कर रही है, जिसका परिणाम काफी सकारात्मक रहा है. दो सालों के भीतर ही 56 से ज्यादा भाकपा माओवादी सहित अन्य प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के कई बड़े ईनामी नक्सली कमांडरों से लेकर दस्ता सदस्य झारखंड पुलिस एवं केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं. आज का आत्मसमर्पण भी पुलिस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैसे 8 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो लगातार दस्ते में रहकर पुलिस के ऊपर हमले की रणनीति को अंजाम देते थे. आईजी अभियान के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली झारखंड के मोस्ट वांटेड अनल दा के मारक दस्ते के नक्सली है.
क्या है आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का इतिहास: जिन आठ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है, उनमें प्रमुख नाम जयराम बोदरा का है. बोदरा के ऊपर 11 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. 21 वर्षीय बोदरा को माओवादी संगठन में नक्सली कमांडर जीवन कंडुलना ने शामिल करवाया था. बोदरा के अनुसार जीवन अक्सर अपने दस्ते के साथ उसके गांव आया करता था, गांव में उसकी बहुत इज्जत होती थी. धीरे-धीरे वह उससे प्रभावित होता चला गया और फिर संगठन में शामिल हो गया.
महिला नक्सली सरिता का इतिहास: महिला नक्सली सरिता उर्फ मुगली सरदार 16 वर्ष की उम्र में ही नक्सली संगठन में शामिल हो गई थी. सरिता को आत्मसमर्पण कर चुके इनामी नक्सली महाराज प्रमाणिक ने संगठन में भर्ती करवाया था. सरिता के अनुसार उसके गांव में अक्सर बड़े नक्सलियों की मीटिंग हुआ करती थी, जहां वे ग्रामीणों को कई तरह के प्रलोभन देते थे. इसी प्रलोभन में आकर वह महाराज प्रमाणिक के साथ दस्ते में शामिल हो गई.
सोमवारी कुमारी का इतिहास: आत्मसमर्पण करने वाली सोमवारी कुमारी उर्फ टोनी मात्र 21 साल की है. उसे भी महाराज प्रमाणिक में अपने झांसे में लेकर दस्ते में शामिल करवाया था. सोमवारी कुमारी के साथ बोकारो की रहने वाली कई महिला नक्सली संगठन में शामिल हुई थी. फिलहाल वे अभी भी संगठन के लिए काम कर रही हैं.
मारतम अंगारिया का इतिहास: वहीं आत्मसमर्पण करने वाले मारतम अंगारिया, जिसकी उम्र मात्र 19 वर्ष है. उसे माओवादियों के शीर्ष कमांडर सुशांत ने अपने दस्ते में शामिल करवाया था. अंगारिया पूर्व में रोजमर्रा के सामान खरीद कर नक्सली संगठन तक पहुंचाया करता था. नक्सलियों ने मारतम को डरा धमका कर संगठन में शामिल करवाया और उससे हथियार ढोने का काम करवाया करते थे.
महज 18 साल के हैं ये दो नक्सली: आत्मसमर्पण करने वाले तुंगिर पूर्ति की उम्र मात्र 18 साल है. साल 2021 के जुलाई महीने में नक्सली कमांडर कैरा कोड ने उसे प्रलोभन देकर संगठन में शामिल करवा लिया था. इस दौरान वह मारक दस्ते में काम कर रहा था. आत्मसमर्पण करने वाले पातोर कोड़ा की उम्र भी मात्र 18 साल है. साल 2021 के मई महीने में उसे नक्सली गोविंद ने संगठन में जाने के लिए तरह-तरह का प्रलोभन देकर नक्सली कमांडरों के पास ले गया. एक बार संगठन में जाने के बाद उसे वापस नहीं जाने दिया गया ,कोड़ा भी मारक दस्ते में काम कर रहा था.
किशुन सिरका का इतिहास: 22 वर्षीय किशुन सिरका उर्फ कार्तिक को माओवादियों ने अपने संगठन में जबरदस्ती शामिल किया था. कार्तिक के अनुसार कई बार बड़े नक्सली उसे जंगल में रास्ता दिखाने के लिए अपने साथ ले गए थे. उसके बाद उन्होंने उसे जबरदस्ती संगठन में शामिल करवा लिया और वापस घर नहीं जाने दिया. कार्तिक ने संगठन में रहते हुए ही रोशनी पूर्ति नाम की एक महिला नक्सली से शादी भी कर लिया था.
रोशनी पूर्ति का इतिहास: आत्मसमर्पण करने वाली रोशनी पूर्ति ने अपने पति किशुन सिरका उर्फ कार्तिक के साथ आत्मसमर्पण किया है. रोशनी को नक्सली अपने साथ जबरदस्ती उठाकर ले गए थे और संगठन में काम करवा रहे थे. इसी दौरान उसका प्रेम प्रसंग कार्तिक से हो गया. जिसके बाद दोनों ने संगठन में रहते हुए ही शादी कर ली. अब दोनों ने एक साथ सरेंडर भी कर दिया है.