रांचीः झारखंड में विद्यार्थियों की परेशानी को देखते हुए कोविड प्रोटोकॉल के साथ स्कूल रिओपन कर दिया गया है. लेकिन अभी-भी झारखंड के सरकारी स्कूल के सैकड़ों शिक्षक कोविड ड्यूटी में तैनात हैं. इसके कारण पठन-पाठन को लेकर परेशानी आ रही है. मैट्रिक और इंटर की परीक्षा की तैयारी में भी कई समस्याएं आ रही हैं.
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झारखंड में शिक्षकों के कोविड ड्यूटी में होने से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रहा है. राज्य के हाई और प्लस टू स्कूलों के शिक्षक विभिन्न जिलों में बने कोविड सेंटर, कोविड कंट्रोल रूम, कोविड अस्पताल, वैक्सीनेशन सेंटर, जांच केंद्र, जन वितरण प्रणाली दुकान, गांव-गांव सर्वे और कोविड की रोकथाम और वैक्सीनेशन के लिए जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से उन्हें ड्यूटी पर तैनात किया गया है. एक एक स्कूल के 4 से 5 शिक्षक ऐसे ड्यूटी में तैनात किए गए हैं.
राजधानी रांची के जिला स्कूल, बाल कृष्णा प्लस टू हाई स्कूल, गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल, मारवाड़ी स्कूल जैसे स्कूलों के 5-5 शिक्षक कोविड ड्यूटी में तैनात हैं. वहीं राज्य के विभिन्न हाई स्कूलों के सीनियर शिक्षक इसी ड्यूटी में तैनात किए गए हैं. शिक्षक कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू होने पर अप्रैल महीने से ही लगातार इन ड्यूटी पर है. इस वर्ष भी कोविड ड्यूटी में शिक्षक को ही लगा दिया गया है. कई स्कूलों के सभी शिक्षकों को कोविड ड्यूटी पर लगा दिया गया था. लेकिन पठन-पाठन सुचारू करने के बाद कुछ शिक्षकों को कोरोना ड्यूटी से हटाया गया है. लेकिन अभी-भी कई विषयों के शिक्षक लोगों को कोविड का टीका दिलवा रहे हैं, यहां तक कि मजिस्ट्रेट की भूमिका में भी यह शिक्षक काम कर रहे हैं. शिक्षकों को ऑक्सीजन सिलेंडर देखने, चेक करने से लेकर कोरोना से जिनकी मृत्यु हुई है. उनके दाह संस्कार तक की जिम्मेदारी दी गई थी.
शिक्षा व्यवस्था पर आ रही रुकावटः राज्य सरकार के निर्देश के बाद ऑफलाइन कक्षाएं राज्य में शुरू की गयी है. मैट्रिक और इंटर की परीक्षा सिर पर है. कई तरह के शिक्षक कार्यों के अलावा स्कूलों में भी पठन-पाठन और कार्यालय से संबंधित काम इन शिक्षकों के भरोसे पेंडिंग है और इसका सीधा प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ रहा है. शिक्षकों का कहना है कि जब भी आपातकाल होता है तो हर जिले से कुछ चुनिंदा स्कूलों के शिक्षकों को ही ड्यूटी पर लगाया जाता है. जब-जब कोरोना की रफ्तार बढ़ी इन शिक्षकों को ड्यूटी में तैनात कर दिया जाता है. लेकिन रफ्तार कम होने के बाद ड्यूटी से रिलीज नहीं किया जाता है यह सबसे बड़ी समस्या है.
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इस मामले को लेकर कई स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने भी सवाल खड़े किए हैं. उनकी मानें तो शिक्षकों को शिक्षकों की भूमिका में ही रहनी चाहिए. दूसरी और छात्र संगठनों ने भी सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े करते जल्द से जल्द शिक्षकों को स्कूलों में सेवा देने की मांग की है और कोविड ड्यूटी से मुक्त करने की अपील भी की गयी है. जिससे प्रभावित हो रहे पठन पाठन एक बार फिर पटरी पर लाया जा सके. सबसे बड़ी बात यह है कि फिलहाल मैट्रिक और इंटर की परीक्षा को लेकर स्कूल प्रबंधक के साथ-साथ झारखंड एकेडमिक काउंसिल और शिक्षा विभाग भी तैयारियों में जुटी है. ऐसे में इस परिस्थिति के दौरान अगर शिक्षक ही दूसरे ड्यूटी में लगे रहेंगे तो पठन-पाठन और परीक्षा से संबंधित काम कौन करेंगे. इस ओर राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि झारखंड के सरकारी स्कूल तो खोल दिए गए हैं लेकिन कोविड ड्यूटी पर शिक्षक अब भी मौजूद हैं जिसका सीधा असर पठन-पाठन में पड़ रहा है.