रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम को एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर ही साहिबगंज पुलिस ने क्लीनचिट दे दी थी. 24 घंटे के अंदर क्लीनचिट देने वाले डीएसपी प्रमोद मिश्रा को अब ईडी के सवालों का जवाब देना (ED summons to DSP Pramod Mishra) होगा कि आखिर उन्होंने कैसे मात्र 24 घंटे में दोनों को क्लीन चिट दी.
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सरफुद्दीन खान ने लिया था डीएसपी का नाम: ईडी ने सोमवार को बरहरवा टॉल प्लाजा के टेंडर को लेकर हुए विवाद से जुड़े केस में अनुसंधानकर्ता सरफुद्दीन खान को पूछताछ के लिए बुलाया था. अनुसंधानकर्ता से केस से जुड़े सारे कागजात की मांग ईडी ने की थी. इस दौरान अनुसंधानकर्ता ने ईडी को बताया कि वरीय अधिकारियों के कहने पर केस में पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को अगले ही दिन क्लीनचिट दे दी गई थी.
22 जून को केस हुआ, 23 जून को सुपरविजन में क्लीनचिट: ईडी ने बरहरवा टॉल प्लाजा केस की पड़ताल में पाया है कि 22 जून 2020 को ठेकेदार शंभू नंदन भगत ने पंकज मिश्रा, आलमगीर आलम समेत 11 लोगों पर नामजद केस कराया था. लेकिन केस में 23 जून 2020 को बरहरवा के डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा ने दोनों हाई प्रोफाइल आरोपियों को क्लीनचिट दे दी. इस मामले में डीएसपी ने ना तो वादी का बयान लिया, ना ही वायरल ऑडियो की ही जांच करायी. इस केस में वादी शंभूनंदन भगत के द्वारा दिए गए तथ्यों की जांच भी पुलिस ने नहीं की. ईडी ने केस की समीक्षा के बाद आए तथ्यों व केस के अनुसंधानकर्ता के बयानों के बाद केस के सुपरविजन करने वाले डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा को समन भेजने का फैसला लिया.