रांची: रिटायरमेंट के स्टेज पर खड़ा किसी भी विभाग का एक चीफ इंजीनियर अपने जीवन भर की कमाई से कितनी संपत्ति अर्जित कर सकता है. इसका अनुमान कोई भी लगा सकता है. लेकिन यहां तो भ्रष्टाचार की ऐसी गंगा बह रही थी कि पूछिए मत. जनाब के पास से ईडी को 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का ब्यौरा हाथ लगा है. ईडी के मुताबिक इन्होंने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम अकूत चल और अचल संपत्ति बनाई है.
अचल संपत्ति की लंबी फेहरिस्त: ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने अपने, अपनी पत्नी राजकुमारी देवी और पिता गेंदा राम के नाम से जमशेदपुर में दो डुप्लेक्स, दिल्ली के साकेत स्थित डी ब्लॉक में घर, दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में फ्लैट, छतरपुर के सतबरी और रांची के पिठौरिया में जमीन खरीद रखी थी. छापेमारी के दौरान चीफ इंजीनियर के घर से करीब 40 लाख रुपए नगद और डेढ़ करोड़ के जेवरात भी जब्त किए गए हैं.
इंजीनियर, उनकी पत्नी और पिता के खाते में अकूत राशि: जांच के दौरान चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम और उनकी पत्नी राजकुमारी देवी के ज्वाइंट अकाउंट में 9.30 करोड़ रुपए मिले हैं. यह राशि 2014-15 से 2018-19 के बीच जमा की गई थी. यही नहीं उनके पिता गेंदा राम के खाते में दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच महज 32 दिन के भीतर चार्टर्ड अकाउंटेंट मोहित मित्तल और मुकेश के परिचितों के खाते से 4.48 करोड़ ट्रांसफर किए गए थे. ईडी का दावा है कि सीए मोहित मित्तल ने स्वीकार किया है कि वीरेंद्र राम ने उनसे संपर्क किया था और कैश को प्रॉपर्टी में कन्वर्ट करने को कहा था.
महंगी गाड़ियों के शौकीन थे जनाब: गिरफ्तार चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के घर से आयुष के नाम से टोयोटा फॉर्च्यूनर कार, आयुष के नाम से ऑडी कार, परमानंद सिंह बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फॉर्च्यूनर कार, राजकुमारी देवी के नाम से ऑडी कार, पानमति देवी के नाम से स्कोडा कार, मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से इनोवा कार और अंकित साहू के नाम से टोयोटा फॉर्च्यूनर कार बरामद की गई है. आपको बता दें कि जिस इनोवा कार से चीफ इंजीनियर अपना बोर्ड लगाकर ऑफिस आया जाया करते थे वह राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से खरीदी गई है.
कमीशन के खेल में कौन-कौन हैं राजदार: ईडी का दावा है कि वीरेंद्र राम टेंडर मैनेज करते थे. उसी आधार पर वर्क अलॉट होता था. एक सुनियोजित तरीके से कमीशन में आए पैसे बांटे जाते थे. बड़े ढंग से राजनेताओं और टॉप ब्यूरोक्रेट्स तक पैसे पहुंचते थे. पूछताछ के दौरान वीरेंद्र नाम ने कई बड़े ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं के नाम भी बताए हैं. ईडी इसकी जांच कर रही है. ईडी ने पीएमएलए, 2002 के सेक्शन 3 के तहत मनी लेंडिंग से जुड़े साक्ष्य का दावा किया है.
अभियंता का सीए था मास्टरमाइंड: जिस तरह पूजा सिंघल मामले में उनके सीए सुमन कुमार के घर से भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ था और यह बात सामने आई थी कि पूजा सिंघल के तमाम अवैध कारोबार की देखरेख सीए सुमन कुमार करते थे. वही स्थिति वीरेंद्र राम के मामले में भी सामने आई है. ईडी के हाथ ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि वीरेंद्र राम से मिले भारी-भरकम कैश को उनके सीए सेल कंपनियों के मार्फत खपाया करते थे.
आपको बता दें कि ईडी की यह कार्रवाई जमशेदपुर में दर्ज FIR संख्या 13/2019 के आधार पर आगे बढ़ी है. इस FIR के मुताबिक जमशेदपुर के ठेकेदार विकास कुमार शर्मा ने पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर सुरेश कुमार वर्मा के खिलाफ यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि वह पेमेंट के बदले घूस मांग रहे थे. इस आधार पर एसीबी ने 15 नवंबर 2019 को तत्कालीन जूनियर इंजीनियर एक घर पर छापेमारी की थी. तब उनके रेंटर के घर से 2.67 करोड़ रुपए बरामद हुए थे. उसी आधार पर ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआईआर दर्ज किया था. उसी समय से ईडी इस खेल पर नजर गड़ाए हुई थी.