रांची: 21 जून को विश्व संगीत दिवस (World Music Day) मनाया जाता है. इस दिवस की शुरुआत साल 1983 में फ्रांस में हुई थी. तब से इस दिवस को पूरे विश्व में मनाया जाता है. वहीं 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जाता है. हालांकि भारत में जितने धूमधाम से योग दिवस मनाया जाता है. उतने धूमधाम से संगीत दिवस नहीं मनाया जाता है. राजधानी के कुछ ऐसे भी कलाकार हैं, जो संगीत दिवस का नाम सुनते ही चिढ़ने लगते हैं.
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पूरी दुनिया के संगीत प्रेमी और कलाकार संगीत दिवस को बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं, लेकिन झारखंड की राजधानी रांची के संगीत प्रेमी और कलाकार संगीत दिवस को मनाने से गुरेज कर रहे हैं, क्योंकि इन कलाकारों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है. कोरोना काल में भी इन कलाकारों की ओर किसी ने भी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा. हालांकि झारखंड सरकार ने प्रत्येक कलाकारों, संगीतकारों को 1000 रुपये प्रतिमाह कोरोना काल के दौरान देने का वादा जरूर किया था, लेकिन वो वादे भी अब तक सिर्फ वादे बनकर ही रह गए हैं. राज्य के कई कलाकार और संगीतकार फिलहाल भुखमरी की कगार पर हैं.
भुखमरी की कगार पर कलाकार
झारखंड के कई कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया है. इन कलाकारों ने थिएटर के साथ-साथ अपने गानों के माध्यम से कई उपलब्धि हासिल की है, लेकिन आज उनकी स्थिति काफी दयनीय है. उन्हें अपना पेट पालने के लिए सोचना पड़ रहा है. कला और संगीत को एक नई दिशा देने के उद्देश्य से कलाकार ऋषिकेश ने अपने ही घर में एक मंच तैयार किया था, लेकिन कोरोना काल में ऋषिकेश का मंच और साथ ही उनके सपने भी बिखर गए. वो कहते हैं कि जब पेट भरा रहेगा, तभी संगीत निकलता है, जब घर के बच्चे भूख से रोते हैं, तो क्या किसी को गाना गाकर सुनाएंगे, क्या संगीत दिवस मनाएंगे. ऋषिकेश को दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. ऋषिकेश राजमिस्त्री का काम कर किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.
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कलाकारों को नहीं मिल रहा काम
वहीं संगीतकार सूरज खन्ना कहते हैं, कि कोरोना काल के दौरान कलाकारों को काम नहीं मिल रहा है, जिसके कारण कलाकार भुखमरी के कगार पर हैं, संगीतकार हो या संगीत क्षेत्र से जुड़े कलाकार सभी बेरोजगार हो चुके हैं, सरकार की ओर से भी कलाकारों को सहायता नहीं दी जा रही है, इस वजह से लोग पेट चलाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती है, तो संगीत और कला के क्षेत्र से जुड़े कलाकार राज्य से विलुप्त हो जाएंगे.
कलाकारों को मदद की जरूरत
झारखंड के कई कलाकार जो कभी दूसरों का मनोरंजन कराते थे, आज उन कलाकारों की स्थिति काफी दयनीय है, उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है. जरूरत है सरकार को इन कलाकारों की मदद करने की, जिससे धरोहर को बचाया जा सके. ईटीवी भारत की टीम की ओर से भी सभी कलाकारों को विश्व संगीत दिवस की शुभकामनाएं.