रांची: कोरोना महामारी से बचाव को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन है. झारखंड के भी तमाम शिक्षण संस्थान बंद है. इसमें सरकारी स्कूल भी शामिल है और इन सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन से जुड़े चावल का वितरण भी लगातार किया जा रहा है.
हालांकि, कहीं-कहीं लॉकडाउन का उल्लंघन भी इस दौरान हो रहा है. लेकिन मध्यान भोजन निदेशालय को मिली एक रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन अवधि के दौरान 29 लाख बच्चों को एमडीएम का चावल और पैसा दिया गया है. बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के 12 दिन और वर्ष 2020 -21 के 8 दिनों का चावल बच्चों को दिया गया था. एक से पांचवीं के बच्चों को प्रतिदिन 100 ग्राम और छह से आठवीं के बच्चों को प्रतिदिन 150 ग्राम के हिसाब से चावल दिया गया है. वहीं कुकिंग कॉस्ट 4.48 और 6.71 रुपये के हिसाब से राशि दी गई है. लॉकडाउन के कारण बच्चों को चावल गांव और मोहल्ले में जाकर वितरित किया गया है. हालांकि चावल वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कई जगह नहीं किया जा रहा है. लेकिन जरूरतमंद बच्चों तक मिडडे मील पहुंचा दी गई है.
बता दें कि एहतियातन के तौर पर सरकारी स्कूल भी बंद है और इसी के तहत सरकार ने यह फैसला लिया था कि जरूरतमंद बच्चों के घर-घर जाकर मिडडे मील विभाग के जरिए दिया जाएगा. इसी के तहत राज्य के 29 लाख बच्चों को मध्यान भोजन का चावल दे दिया गया है. जिलों में मध्यान भोजन निदेशालय को अपना यह रिपोर्ट भेजा है. हालांकि अभी भी कई जिलों से रिपोर्ट आनी बाकी है. इसके बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार किया जाएगा.
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लॉकडाउन के दूसरे चरण में भी विभाग के जरिए मध्यान भोजन का चावल और कुकिंग कॉस्ट देने का निर्देश है और इसे लेकर भी सरकार के शिक्षा विभाग और निदेशालय की तैयारी है. बच्चों के पठन-पाठन बाधित न हो इसे लेकर भी उपाय किए जा रहे हैं. गरीब बच्चों और उनके परिवार में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न ना हो इसे देखते हुए मिडडे मील घर-घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है.