रांची: डुमरी उपचुनाव 2023 के लिए इंडिया गठबंधन और एनडीए अब पूरी तरह से तैयार हैं. दोनों ओर से नामांकन दाखिल कर दिया गया है. इंडिया की तरफ से जहां बेबी देवी हैं वहीं, एनडीए की तरफ से आजसू पार्टी की यशोदा देवी उन्हें चुनौती दे रही हैं. हालांकि इन सबके बीच राजनीतिक हलकों में AIMIM पार्टी के मौलाना अब्दुल मोबिन रिजवी की भी चर्चा हो रही है. माना जा रहा है कि इनके आने से मुकाबला रोचक हो गया है.
डुमरी उपचुनाव में एआईएमआईएम की तरफ से मौलाना अब्दुल मोबिन रिजवी ने भी पर्चा दाखिल किया है. 2019 की विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाई थी. हालांकि वे चौथे नंबर पर रहे थे, लेकिन फिर भी उन्हें 24 हजार 132 मत मिले थे जो किसी भी मामले में कम नहीं माना जा सकता है. इस चुनाव में आजसू उम्मीदवार यशोदा देवी 36840 मत लेकर दूसरे और भाजपा के प्रदीप साहू 36013 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. जदयू के लालचंद महतो को 5219 मिले थे. इससे पहले मौलाना अब्दुल मोबिन रिजवी ने जेडीयू उम्मीदवार रहते हुए 2014 में 16 हजार 730 वोट हासिल किए थे. उस समय भी ये तीसरे नंबर पर रहे थे.
वहीं दूसरी तरफ आजसू पार्टी की तरफ से यशोदा देवी को टिकट दिए जाने से नाराज बैजनाथ महतो ने भी पर्चा भरा है. ऐसे में माना जा रहा है कि वे एनडीए का ही वोट काटेंगे. इस इलाके में बैजनाथ महतो का अच्छा प्रभाव माना जाता है. पर्चा दाखिल करने के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि क्षेत्र की समस्या के समाधान के लिए हम जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को दूसरे पर निर्भर रहना ठीक नहीं है. यहां शिकारी आते हैं, जाल बिछाते हैं और बड़े बड़े ख्वाब दिखाते हैं. ऐसे शिकारी के जाल से इस क्षेत्र की जनता को बचाने के लिए भी वे मैदान में उतरे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वे 28 साल से राजनीति में हैं. उन्होंने डुमरी विधानसभा क्षेत्र में कई आंदोलन किए हैं, इसके अलावा यहां के लोगों के लिए उन्होंने काफी काम किया है. ऐसे में यहां की जनता उन्हें जरूर अपना आशीर्वाद देगी.
डुमरी उपचुनाव पर इसलिए भी लोगों की नजर है क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले इसे हेमंत सोरेन सरकार के लिए टेस्ट माना जा रहा है. एक तरफ जहां झामुमो की बेबी देवी को पहले ही मंत्री बनाकर बढ़त लेने की कोशिश की गई है. खास बात ये भी है कि इस क्षेत्र से तीन बार के विधायक रहे लाल चंद महतो इस बार चुनाव नहीं लगेंगे. 1977 के बाद ये पहला मौका है जब वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. हालांकि उन्होंने अभी किसी को समर्थन का भी ऐलान नहीं किया है.