रांची: कहते हैं सावन में बारिश से खेत पानी से भर जाते हैं और किसानों की उम्मीदें हरियाली से, लेकिन झारखंड में किसानों के मन की ये आस्था अब खंडित होने लगी है. अन्नदाता का भरोसा बादलों पर से डगमगाने लगा है. ऐसा लग रहा है कि जैसे इस बार भी बादलों ने खेत के बदले किसानों की आंखों में बरसात की है. फिलहाल बारिश के आसार दूर दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं. जिससे किसान परेशान हैं.
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झारखंड के किसानों की आंखें अब बारिश के इंतजार में पथराने लगीं हैं. जिन किसानों को उम्मीद थी कि पिछली बार के सूखे के बाद इस बार आसमान से बारिश होगी, खेत में हरियाली होगी और फसल लहलहाएंगे. मानसून की बेरुखी के बाद अब वे उमंग विहीन हो गए हैं. प्रदेश में अब तक धान की रोपाई और खरीफ की फसलों की बुवाई नहीं हो पाई है. हालांकि एक आध बार आसमान से बादलों ने झमाझम बारिश की, लेकिन अधिकतर बार ललचाकर चले जा रहे हैं. मौसम वैज्ञानिकों ने कुछ महीने पहले सामान्य बारिश की बात की थी लेकिन सावन के महीने में खेत जेठ की तरह तप रहा है. बारिश के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं. बादल और धूप की लुकाछिपी जारी है.
24 में से 21 जिलों में कम बारिश: मौसम केंद्र, रांची के अनुसार राज्य में 24 में से साहिबगंज, गोड्डा और सिमडेगा जिले को छोड़कर सभी 21 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. वहीं, चतरा, गिरिडीह, धनबाद और जामताड़ा ऐसे चार जिले हैं, जहां सामान्य से बहुत ही कम बारिश हुई है. चतरा में जहां सामान्य से 75% कम बारिश हुई है, वहीं गिरिडीह में सामान्य से 67% कम. धनबाद में सामान्य से 68% कम और जामताड़ा में सामान्य से 69% कम वर्षा हुई है. बाकी के जिलों में भी 19% से लेकर 65% तक कम वर्षा हुई है.
25 जुलाई से स्थिति और खराब होने की आशंका: कृषि निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में देर से मानसून आने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि जुलाई महीने में अच्छी बारिश होगी और स्थितियां अनुकूल हो जाएंगी. लेकिन जुलाई महीने में 22 जुलाई तक हुई बरसात चिंता बढ़ाने वाली है. राज्य में जुलाई महीने में सामान्यतः 319.4 मिली मीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार सिर्फ 108.5 मिली मीटर वर्षा हुई है. यानी सामान्य से 66% कम वर्षा. मौसम केंद्र रांची के अनुसार 25 जुलाई तक राज्य में अच्छी वर्षा की उम्मीद भी बेहद कम है. 22 से 25 जुलाई तक राज्य में कहीं कहीं हल्की से मध्यम दर्जे की वर्षा की ही अनुमान है.
फिर सुखाड़ की दहलीज पर झारखंड: सुखाड़ की दहलीज पर खड़े राज्य झारखंड में 01 जून से लेकर 22 जुलाई तक हुई सामान्य से 45% कम वर्षा का असर खेती किसानी पर पड़ा है. राज्य में वर्ष 2023-24 के लिए 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाने का लक्ष्य है. राज्य में कम वर्षा के चलते 18 लाख हेक्टेयर की जगह अभी सिर्फ 02 लाख 01 हजार 548 हेक्टेयर यानी 11.20 फीसदी में ही धान का आच्छादन हो पाया है. गढ़वा, चतरा सहित कई जिलों में जहां धान की रोपनी इतना भी नहीं हुआ है कि उसका डाटा मिल पाए. वहीं लोहरदगा में 1.3%,पलामू में 1.082%,लातेहार में 1.875%, देवघर में 0.065%,जामताड़ा में 0.006% धान का आच्छादन हुआ है.
अगर खरीफ के तौर पर राज्य में लगाई जानेवाली मक्का, तिलहन, दलहन और अन्य मोटे अनाज के साथ कुल आच्छादन का आंकड़ा देखें तो वह भी 2827 हजार हेक्टेयर की तुलना में 415.853 हजार हेक्टेयर यानी सिर्फ 14.7 फीसदी ही है.
2022 में भी पड़ा था भयंकर सूखा: झारखंड में पिछले साल भी बादलों ने दगेबाजी की थी. पिछले साल भी 24 में से 22 जिले में अकाल जैसे हालात थे. जिसके बाद 11 लाख 21 हजार 556 किसानों के नुकसान का आकलन किया गया था. किसानों के धान की तैयार पौध के बर्बाद हो जाने के बाद सरकार ने इसके नुकसान के लिए सूखा राहत स्कीम चलाई थी.
2022 में हेमंत सरकार ने किसानों को दिए थे 3500 रुपए: भयंकर सूखे का सामना करने के बाद मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना चलाई गई. जिसके जरिए किसानों के बैंक खाते में डीबीटी के जरिए 3500 रुपए ट्रांसफर किए है. किसानों को सूखे से राहत के लिए हेमंत सरकार ने करीब 1200 करोड़ की राशि खर्च की थी.