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अधूरा रह गया 'टाइम स्क्वायर' का सपना, मोरहाबादी मैदान में करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं मिला लाभ

झारखंड में कई ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं. जिसके निर्माण कार्य में या तो देरी हो रही है या फिर उस प्रोजेक्ट्स का काम ही ठप पड़ा हुआ है. मोरहाबादी मैदान को टाइम्स स्वायर बनाने का ड्रीम प्रोजेक्ट भी आज तक अधूरा है. इसको लेकर सियासत हो रही है और कांग्रेस और बीजेपी इसको लेकर आमने-सामने हैं.

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अधूरा रह गया 'टाइम स्क्वायर' का सपना
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Published : Dec 22, 2020, 3:52 PM IST

रांचीः राजधानी के ऐतिहासिक मोरहाबादी में करोड़ों की लागत से निर्माण कराए गए टाइम स्क्वॉयर का कार्य अब तक अधूरा रह गया है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का मोरहाबादी मैदान में टाइम स्क्वॉयर का निर्माण ड्रीम प्रोजेक्ट था. लेकिन वर्तमान गठबंधन सरकार में इसके कार्य को पूरा करने की दिशा में फिलहाल कोई कदम नहीं उठाया गया है. बल्कि सत्ताधारी दल कांग्रेस ने इसे महज लूट का प्रोजेक्ट बताया है. आलम यह है कि राजनीतिक दलों ने इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर मोरहाबादी मैदान को ही बर्बाद कर दिया है और मैदान का दायरा भी छोटा हो गया है. क्योंकि चारों ओर मैदान के अंदर ही बड़े बड़े 11 एलईडी स्क्रीन लगा दिए गए हैं ताकि मैदान न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर जैसा दिखे.

देखें पूरी खबर
कई काम अब तक अधूरा

मोरहाबादी मैदान के टाइम स्क्वायर के लिए दिल्ली की कंपनी हाईटेक ऑडियो विजुअल को काम भी सौंपा गया था. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 22 करोड़ की थी. जो अब तक खर्च भी हो गई होगी, लेकिन कार्य अधूरा ही रह गया है. इसका काम दो फेज में किया जाना था. जिसमें एलईडी लाइट, स्टेज, हाई मास्क लाइट और गोबो लाइटिंग लगाए जाने थे. इसमें तीन काम पूरे कर लिए गए, चौथा गोबो लाइटिंग का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है, वहीं दूसरे फेज में मैदान का सौंदर्यीकरण करना था, जिसके तहत पेड़ पौधे समेत मैदान के चारों ओर हरियाली लाने की दिशा में काम करना था.

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बदहाल मोरहाबादी मैदान
नहीं मिला LED का फायदा

आलम यह है कि मोरहाबादी मैदान में लगाए गए बड़े एलइडी स्क्रीन सरकारी आयोजनों में इस्तेमाल होता है. इसका फायदा राजधानी के लोगों को ना के बराबर मिला है. नेशनल, इंटरनेशनल गेम के लाइव टेलीकास्ट समेत अन्य निजी कार्यक्रम दिखाने की भी योजना बनी थी. वर्तमान में इस स्क्रीन पर कुछ भी कार्यक्रम का प्रसारण नहीं हो रहा है. आखिरी बार इस स्क्रीन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह का लाइव टेलीकास्ट हुआ था. उसके बाद से यह पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है. जनता को अब यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि इस प्रोजेक्ट की आम जनता के लिए क्या उपयोगिता है और क्या फायदा मिला है, बल्कि इसके जरिए सिर्फ घोटाले हुए हैं.

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LED स्क्रीन

इसे भी पढ़ें- अनुमंडल कृषि पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर 2 दिनों तक आयोजित होगी परीक्षा, JPSC ने की तैयारियां


प्रोजेक्ट पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

पिछली सरकार में शुरू किए गए कई प्रोजेक्ट के अधूरे काम को पूरा नहीं किए जाने पर पक्ष विपक्ष भी आमने सामने आ गये हैं. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि गठबंधन सरकार को बेहतर योजनाओं को पूरा करने से कोई लेना-देना नहीं रहा है, ना ही राजधानी को वह सुंदर बनाना चाहते हैं. बल्कि बदले की भावना से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार कार्रवाई कर रही है और योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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मोरहाबादी मैदान में लगा LED स्क्रीन
कांग्रेस ने बताया ड्रीम नहीं स्कैम प्रोजेक्ट

जबकि सत्ताधारी दल कांग्रेस का मानना है कि पूर्व की रघुवर दास की सरकार में ठेकेदारों के मन मुताबिक टेंडर निकाला जाता था, ताकि प्रोजेक्ट के नाम पर लूट हो सके. यही वजह है कि मोरहाबादी में टाइम स्क्वॉयर के काम के नाम पर भी ठेकेदार मालामाल हो गए और जनता को इसका लाभ नहीं मिला.

बहरहाल झारखंड में जब भी सरकार बदली है. पिछली सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में काम ना के बराबर हुआ है. बल्कि योजनाओं को बंद कर दिया गया है. ऐसे में कहीं ना कहीं राजनीतिक लड़ाई में जनता को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है जबकि जनता के करोड़ों रुपए भी बर्बाद हो रहे हैं.

रांचीः राजधानी के ऐतिहासिक मोरहाबादी में करोड़ों की लागत से निर्माण कराए गए टाइम स्क्वॉयर का कार्य अब तक अधूरा रह गया है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का मोरहाबादी मैदान में टाइम स्क्वॉयर का निर्माण ड्रीम प्रोजेक्ट था. लेकिन वर्तमान गठबंधन सरकार में इसके कार्य को पूरा करने की दिशा में फिलहाल कोई कदम नहीं उठाया गया है. बल्कि सत्ताधारी दल कांग्रेस ने इसे महज लूट का प्रोजेक्ट बताया है. आलम यह है कि राजनीतिक दलों ने इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर मोरहाबादी मैदान को ही बर्बाद कर दिया है और मैदान का दायरा भी छोटा हो गया है. क्योंकि चारों ओर मैदान के अंदर ही बड़े बड़े 11 एलईडी स्क्रीन लगा दिए गए हैं ताकि मैदान न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर जैसा दिखे.

देखें पूरी खबर
कई काम अब तक अधूरा

मोरहाबादी मैदान के टाइम स्क्वायर के लिए दिल्ली की कंपनी हाईटेक ऑडियो विजुअल को काम भी सौंपा गया था. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 22 करोड़ की थी. जो अब तक खर्च भी हो गई होगी, लेकिन कार्य अधूरा ही रह गया है. इसका काम दो फेज में किया जाना था. जिसमें एलईडी लाइट, स्टेज, हाई मास्क लाइट और गोबो लाइटिंग लगाए जाने थे. इसमें तीन काम पूरे कर लिए गए, चौथा गोबो लाइटिंग का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है, वहीं दूसरे फेज में मैदान का सौंदर्यीकरण करना था, जिसके तहत पेड़ पौधे समेत मैदान के चारों ओर हरियाली लाने की दिशा में काम करना था.

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बदहाल मोरहाबादी मैदान
नहीं मिला LED का फायदा

आलम यह है कि मोरहाबादी मैदान में लगाए गए बड़े एलइडी स्क्रीन सरकारी आयोजनों में इस्तेमाल होता है. इसका फायदा राजधानी के लोगों को ना के बराबर मिला है. नेशनल, इंटरनेशनल गेम के लाइव टेलीकास्ट समेत अन्य निजी कार्यक्रम दिखाने की भी योजना बनी थी. वर्तमान में इस स्क्रीन पर कुछ भी कार्यक्रम का प्रसारण नहीं हो रहा है. आखिरी बार इस स्क्रीन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह का लाइव टेलीकास्ट हुआ था. उसके बाद से यह पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है. जनता को अब यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि इस प्रोजेक्ट की आम जनता के लिए क्या उपयोगिता है और क्या फायदा मिला है, बल्कि इसके जरिए सिर्फ घोटाले हुए हैं.

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LED स्क्रीन

इसे भी पढ़ें- अनुमंडल कृषि पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर 2 दिनों तक आयोजित होगी परीक्षा, JPSC ने की तैयारियां


प्रोजेक्ट पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

पिछली सरकार में शुरू किए गए कई प्रोजेक्ट के अधूरे काम को पूरा नहीं किए जाने पर पक्ष विपक्ष भी आमने सामने आ गये हैं. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि गठबंधन सरकार को बेहतर योजनाओं को पूरा करने से कोई लेना-देना नहीं रहा है, ना ही राजधानी को वह सुंदर बनाना चाहते हैं. बल्कि बदले की भावना से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार कार्रवाई कर रही है और योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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मोरहाबादी मैदान में लगा LED स्क्रीन
कांग्रेस ने बताया ड्रीम नहीं स्कैम प्रोजेक्ट

जबकि सत्ताधारी दल कांग्रेस का मानना है कि पूर्व की रघुवर दास की सरकार में ठेकेदारों के मन मुताबिक टेंडर निकाला जाता था, ताकि प्रोजेक्ट के नाम पर लूट हो सके. यही वजह है कि मोरहाबादी में टाइम स्क्वॉयर के काम के नाम पर भी ठेकेदार मालामाल हो गए और जनता को इसका लाभ नहीं मिला.

बहरहाल झारखंड में जब भी सरकार बदली है. पिछली सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में काम ना के बराबर हुआ है. बल्कि योजनाओं को बंद कर दिया गया है. ऐसे में कहीं ना कहीं राजनीतिक लड़ाई में जनता को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है जबकि जनता के करोड़ों रुपए भी बर्बाद हो रहे हैं.

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