रांची: झारखंड सरकार ने वर्षों से अधूरी दो मांगों को पूरा करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की है. विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र के दौरान झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 (Reservation Amendment Bill 2022) और झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 (Domicile Bill) को बहुमत से पारित करा लिया है. सबसे खास बात है कि सीएम हेमंत सोरेन ने स्थानीयता विधेयक में संशोधन करते हुए नियोजन शब्द जोड़ दिया है. इसके तहत थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियां सिर्फ स्थानीय को ही मिलेगी. इस बाबत सुझाव भाकपा माले विधायक बिनोद सिंह ने दिया था.
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दोनों विधेयक पर संशोधन प्रस्ताव पर सीएम ने जवाब देते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हमारे विपक्ष के सहयोगी नौंवी अनुसूची के बजाए संकल्प जारी करने की बात कर रहे हैं. उन्हें बताना चाहिए कि कर्नाटक में चल रही उनकी सरकार ने आरक्षण को लेकर केंद्र को क्यो भेजा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार शीशे की तरह ट्रांसपेरेंट होकर काम करना चाहती है. ठगने का काम हमलोग नहीं करते. इनके जवाब के दौरान भाजपा खेमे से शोर शराबा होता रहा. सीएम ने कहा कि भानु प्रताप शाही जी क्या खाकर आते हैं कि इतना हल्ला करते हैं. सीएम ने संशोधन और सुझावों पर चुटकी लेते हुए कहा कि ये लोग कान को इधर से नहीं उधर से पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं. स्थानीय की पहचान के लिए ग्रामसभा को भी अधिकार दिया गया है. उसके लिए नियमावली भी बनेगी.
आरक्षण विधेयक पर किसने क्या कहा: सदन की कार्यवाही शुरू होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक, 2022 पेश किया. इसके कुछ बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए अमित कुमार यादव ने प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा. जबकि लंबोदर महतो ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा का हवाला देते हुए एसटी को 32 और ओबीसी की आरक्षण सीमा को 36 प्रतिशत करने के लिए संशोधन लाया. रामचंद्र चंद्रवंशी ने अपने संशोधन में कहा कि सरकार को नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजने के बजाए संकल्प लाकर लागू करना चाहिए.
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क्या है आरक्षण संशोधन विधेयक में खास: इस विधेयक के कानून बनने पर एसटी को 26 की जगह 28 प्रतिशत, एससी को 10 की जगह 12 प्रतिशत और ओबीसी को 14 की जगह 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. जबकि ईडब्यूएस को पहले की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. इस लिहाज से अब झारखंड की आरक्षण का प्रतिशत 60 से बढ़कर 77 हो गया है. इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि भारत के संविधान की नौंवी अनुसूची में सम्मिलित होने के बाद ही राज्य में लागू होगा.
स्थानीयता विधेयक पर किसने क्या कहा: स्थानीयता से जुड़े विधेयक के कुछ विंदुओं पर सवाल उठाते हुए अमित कुमार यादव, विनोद कुमार सिंह और रामचंद्र चंद्रवंशी ने इसे प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव रखा. जबकि लंबोदर महतो ने अपने संशोधन प्रस्ताव में 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण की अनुपलब्धता की स्थिति में जिले के अंतिम सर्वेक्षण को आधार बनाने का संशोधन रखा. रामचंद्र चंद्रवंशी ने अपने संशोधन में विधेयक के खंड-2 (क) के स्पष्टीकरण (2) अंतिम पंक्ति में शब्द पहचान एवं करने के मध्य वंशावली के आधार पर अंत: स्थापित करने की बात रखी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को भी नौंवी अनुसूची के बजाए संकल्प के जरिए लागू करना चाहिए था.
स्थानीयता विधेयक की मुख्य बातें: झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियम, 2022 संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल होने के बाद प्रभावी होगा. भूमिहीन के मामले में ग्रामसभा द्वारा संस्कृति, स्थानीय रीति रिवाज और परंपरा के आधार पर स्थानीयता की पहचान की जाएगी. इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय लोग कृषि ऋण के मामले में राज्य के लाभ के हकदार होंगे.