रांची: सरहुल को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है. मेन रोड के साथ-साथ जिन जिन रूटों से सरहुल की शोभायात्रा निकाली जाएगी उन उन रूटों में बाहरी वाहनों की एंट्री दोपहर 12:00 बजे से बंद कर दी जाएगी. सिर्फ सरहुल की शोभायात्रा में शामिल होने वाले वाहन को ही इन रास्तों में जाने की अनुमति जिला प्रशासन की तरफ से दी जाएगी.
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जिला प्रशासन की तरफ से सरहुल के जुलूस को निकालने के लिए जो रूट तय किया गया हैं, उस रूट पर दोपहर 12:00 से किसी भी वाहनों की एंट्री नहीं होगी. वहीं हजारीबाग, जमशेदपुर, गुमला और बाहरी जिलों से रांची प्रवेश करने वाले भारी वाहनों के लिए देर रात से ही रांची शहर में प्रवेश बंद कर दी गई है. सभी इलाकों से आने वाले बड़े वाहनों को रिंग रोड होते हुए शहर से बाहर रहने की अनुमति दी गई है.
जिला प्रशासन की तरफ से रांची उपायुक्त और वरीय पुलिस अधीक्षक के द्वारा आदेश जारी करते हुए शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर 60 मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है. वहीं 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी को भी मुस्तैद किया गया है ताकि किसी भी तरह के असामाजिक तत्वों पर निगरानी रखी जा सके. वहीं सभी इलाकों में जिला प्रशासन ने गश्ती दल की भी तैनाती की है जो समय-समय पर गश्त लगा कर सुरक्षा व्यवस्था को बहाल रखेंगे.
वहीं बिजली विभाग की तरफ से भी गुरुवार दिन के 1:00 बजे से बिजली काट दी जाएगी. क्योंकि जिन जिन इलाकों से शोभायात्रा निकाली जाएंगे उन क्षेत्रों में पावर कट का आदेश जिला प्रशासन के द्वारा जारी किया गया है. बिजली विभाग के अधिकारी पीके श्रीवास्तव ने बताया कि जिन क्षेत्रों में जुलूस निकाले जाएंगे सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में बिजली काटे जाएंगे. बिजली विभाग की तरफ से सूचना जारी करते हुए बताया गया है कि मेन रोड, लालपुर, हरमू, बरियातू, रातू रोड, अरगोड़ा, सिरम टोली, अपर बाजार, बहु बाजार और मोहराबादी में जुलूस निकाले जाएंगे जिस वजह से इन क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार पावर कट किया जाएगा.
विभाग के द्वारा संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि जुलूस निकलने के बाद जब तक वापस ना हो जाए तब तक इन क्षेत्रों में बिजली बहाल नहीं की जा सकेगी. जब तक स्थानीय थानों की तरफ से स्पष्ट नहीं किया जाएगा कि जुलूस की वापसी हो गई है तभी बिजली व्यवस्था इन क्षेत्रों में बहाल की जाएगी. प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर आदिवासी समाज में उत्साह है. राजधानी रांची में आदिवासी समुदाय की अत्यधिक संख्या होने के कारण सरहुल पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. प्रकृति की पूजा करते हुए आदिवासी समाज के लोग भगवान से यह प्रार्थना करते हैं कि देश और दुनिया में प्राकृतिक संपदा की कमी ना हो ताकि लोगों का जीवन स्वस्थ और सुंदर बना रहे.