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बजट में रोटी, कपड़ा और मकान पर है जोर, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सदन को दिलाया भरोसा

झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बजट पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कहा कि 10 लाख लोगों को राशन कार्ड से जोड़ा जाएगा और 10 रू में गरीबों को धोती-साड़ी दी जाएगी. साथ ही प्रधानमंत्री आवास के लिए अलग से 50 हजार रु. दिए जाएंगे. उन्होंने बजट पर सरयू राय के वक्तव्य पर कहा कि हम आपकी आलोचना का स्वागत करते हैं और उसे सुझाव के रूप में लेंगे.

Discussion on budget in Jharkhand Legislative Assembly
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Published : Mar 5, 2020, 8:40 PM IST

रांची: 5 मार्च को बजट पर वाद विवाद के दौरान कई विधायकों ने अपनी-अपनी बातें रखी. अंत में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सभी विधायकों के सवालों और सुझावों पर अपना जवाब देते हुए बजट की खासियत गिनायी. अपराह्न 3 बजकर 37 मिनट पर रामेश्वर उरांव ने बोलना शुरू किया. उन्होंने अलग झारखंड की अवधारणा पेश करने वाले जयपाल सिंह मुंडा के सानिध्य बिताए यादगार पल शेयर किए.

विधानसभा में रामेश्वर उरांव

उन्होंने कहा कि एकीकृत बिहार में जयपाल सिंह मुंडा से पूछा गया था कि अलग झारखंड क्यों? इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि हमें पानी चाहिए, हमें वस्त्र चाहिए और हमे भोजन चाहिए. उसी वक्तव्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के पहले बजट में सामाजिक क्षेत्र पर फोकस किया गया है. ताकि यहां के लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान मिल सके.

सभी बंद स्कूल खोले जाएंगे

वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि पूर्व की सरकार ने हजारों स्कूल बंद कर दिए थे. लेकिन उनकी सरकार सभी स्कूलों को खोलेगी. शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके माता-पिता ने शिक्षा नहीं सुनिश्चित करायी होती तो वह आज खेतों में हल चला रहे होते. इसलिए झारखंड के हर बच्चे को शिक्षा मिलेगी. शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने से पहले रिटायर्ड शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने का आग्रह किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री ने सदन में ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर बीजेपी विधायकों के उड़े होश

बजट पर वाद विवाद के दौरान निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अपना मंतव्य रखा. उन्होंने बजट को लेकर कई सुझाव दिए साथ कहा कि बिहार की तरह झारखंड सरकार को भी केंद्र से विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि बजट राशि इस तरह खर्च हो ताकि इसका असर दिखे. उन्होंने अल्प वेतनभोगी की स्थिति सुधारने का भी सुझाव दिया. साथ ही सामान्य प्रशासन को सरकार का हिस्सा बताते हुए कहा कि ऐसी सड़क को चौड़ा करने का कोई मतलब नहीं जिसपर बहुत कम गाड़ियां चलती हों. साथ एक बनी हुई सड़क को बार बनाना भी पैसे की बर्बादी है. नये उद्योग लगाने के बजाए बदहाल पड़े उद्योगों को खड़ा किया जाना चाहिए.

सरयू राय और रामेश्वर उरांव

सुदेश महतो के प्रोमिस एंड परफॉर्मेंश वाले वक्तव्य पर वित्त मंत्री ने कहा कि अभी तो चलना शुरू किया है और कल दौड़ेंगे भी. रामेश्वर उरांव ने कहा कि कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना को क्यों बंद किया गया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उस योजना का लाभ किसानों को नहीं बल्कि वैसे लोगों को दिया गया जो खेती नहीं करते हैं.

आउटकम पर सरकार का जोर

वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि बजट की राशि के खर्च के साथ आउटकम दिखना चाहिए और सरकार का जोर आउटकम पर है. भाजपा ने सबका साथ-सबका विकास का नारा दिया था लेकिन उनकी कथनी और करनी कुछ है. लेकिन हम ऐसा नहीं हैं.

सुदेश महतो और रामेश्वर उरांव

सुदेश महतो ने क्या कहा

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि सीएम कहते है कि निर्माण पर भरोसा नहीं, मानव इंडेक्स पूरा करने पर जोर होना चाहिए. लेकिन बजट में पिछली सरकार की तुलना में कृषि सेक्टर पर 2.2 प्रतिशत की कमी की गई है. जबकि झारखंड की सबसे बड़ी आबादी कृषि पर आश्रित है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास और पेयजल पर भी पिछले बजट की तुलना में राशि में कटौती की गई है. हालाकि शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस करने की बात हो रही है लेकिन यहां भी मामूली बढ़ोतरी हुई है.

ये भी पढें- आदिवासियों को मिल सकता है सरना धर्म कोड की सौगात, बंधु तिर्की ने कहा- मुख्यमंत्री से मिला है आश्वासन

सुदेश महतो ने बजट में आंदोलनकारियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने पर सवाल खड़े किए. साथ ही श्वेत पत्र और आर्थिक सर्वेक्षण पर कहा कि दोनों का बजट से कोई तालमेल नहीं दिखता. सुदेश महतो ने राष्ट्रीय मानक का हवाला देते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में सुविधाओं के अभाव को आंकड़ों के जरिए पेश किया. साथ ही घोषणा पत्र में किए गए कई वादों का जिक्र नहीं होने पर भी सवाल उठाए.

रांची: 5 मार्च को बजट पर वाद विवाद के दौरान कई विधायकों ने अपनी-अपनी बातें रखी. अंत में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सभी विधायकों के सवालों और सुझावों पर अपना जवाब देते हुए बजट की खासियत गिनायी. अपराह्न 3 बजकर 37 मिनट पर रामेश्वर उरांव ने बोलना शुरू किया. उन्होंने अलग झारखंड की अवधारणा पेश करने वाले जयपाल सिंह मुंडा के सानिध्य बिताए यादगार पल शेयर किए.

विधानसभा में रामेश्वर उरांव

उन्होंने कहा कि एकीकृत बिहार में जयपाल सिंह मुंडा से पूछा गया था कि अलग झारखंड क्यों? इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि हमें पानी चाहिए, हमें वस्त्र चाहिए और हमे भोजन चाहिए. उसी वक्तव्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के पहले बजट में सामाजिक क्षेत्र पर फोकस किया गया है. ताकि यहां के लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान मिल सके.

सभी बंद स्कूल खोले जाएंगे

वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि पूर्व की सरकार ने हजारों स्कूल बंद कर दिए थे. लेकिन उनकी सरकार सभी स्कूलों को खोलेगी. शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके माता-पिता ने शिक्षा नहीं सुनिश्चित करायी होती तो वह आज खेतों में हल चला रहे होते. इसलिए झारखंड के हर बच्चे को शिक्षा मिलेगी. शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने से पहले रिटायर्ड शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने का आग्रह किया जाएगा.

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बजट पर वाद विवाद के दौरान निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अपना मंतव्य रखा. उन्होंने बजट को लेकर कई सुझाव दिए साथ कहा कि बिहार की तरह झारखंड सरकार को भी केंद्र से विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि बजट राशि इस तरह खर्च हो ताकि इसका असर दिखे. उन्होंने अल्प वेतनभोगी की स्थिति सुधारने का भी सुझाव दिया. साथ ही सामान्य प्रशासन को सरकार का हिस्सा बताते हुए कहा कि ऐसी सड़क को चौड़ा करने का कोई मतलब नहीं जिसपर बहुत कम गाड़ियां चलती हों. साथ एक बनी हुई सड़क को बार बनाना भी पैसे की बर्बादी है. नये उद्योग लगाने के बजाए बदहाल पड़े उद्योगों को खड़ा किया जाना चाहिए.

सरयू राय और रामेश्वर उरांव

सुदेश महतो के प्रोमिस एंड परफॉर्मेंश वाले वक्तव्य पर वित्त मंत्री ने कहा कि अभी तो चलना शुरू किया है और कल दौड़ेंगे भी. रामेश्वर उरांव ने कहा कि कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना को क्यों बंद किया गया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उस योजना का लाभ किसानों को नहीं बल्कि वैसे लोगों को दिया गया जो खेती नहीं करते हैं.

आउटकम पर सरकार का जोर

वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि बजट की राशि के खर्च के साथ आउटकम दिखना चाहिए और सरकार का जोर आउटकम पर है. भाजपा ने सबका साथ-सबका विकास का नारा दिया था लेकिन उनकी कथनी और करनी कुछ है. लेकिन हम ऐसा नहीं हैं.

सुदेश महतो और रामेश्वर उरांव

सुदेश महतो ने क्या कहा

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि सीएम कहते है कि निर्माण पर भरोसा नहीं, मानव इंडेक्स पूरा करने पर जोर होना चाहिए. लेकिन बजट में पिछली सरकार की तुलना में कृषि सेक्टर पर 2.2 प्रतिशत की कमी की गई है. जबकि झारखंड की सबसे बड़ी आबादी कृषि पर आश्रित है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास और पेयजल पर भी पिछले बजट की तुलना में राशि में कटौती की गई है. हालाकि शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस करने की बात हो रही है लेकिन यहां भी मामूली बढ़ोतरी हुई है.

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सुदेश महतो ने बजट में आंदोलनकारियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने पर सवाल खड़े किए. साथ ही श्वेत पत्र और आर्थिक सर्वेक्षण पर कहा कि दोनों का बजट से कोई तालमेल नहीं दिखता. सुदेश महतो ने राष्ट्रीय मानक का हवाला देते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में सुविधाओं के अभाव को आंकड़ों के जरिए पेश किया. साथ ही घोषणा पत्र में किए गए कई वादों का जिक्र नहीं होने पर भी सवाल उठाए.

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