रांचीः वित्तीय कमी से जूझ रहे झारखंड बिजली वितरण निगम ने राजस्व बढ़ाने की कवायद शुरू की है. लेकिन यह कवायद अंधेरे में तीर चलाने जैसा है. दरअसल, जेबीवीएनएल ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नये एनुअल रेवन्यू रिक्वायरमेंट यानी नये बिजली टैरिफ दर का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंप लिया है. इस प्रस्ताव पर आयोग जन सुनवाई के बाद टैरिफ दर पर निर्णय लेती है. लेकिन झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग में ना अध्यक्ष हैं और ना ही सदस्य तो नये टैरिफ दर पर कैसे सुनवाई होगी.
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झारखंड बिजली वितरण निगम ने नये एनुअल रेवन्यू रिक्यावरमेंट का प्रस्ताव आयोग के पास जमा तो कर दिया है, जिसमें टैरिफ स्ट्रक्चर की विस्तृत रिपोर्ट नहीं है. यानी प्रति यूनिट कितनी दर बढ़ानी है, इसका उल्लेख प्रस्ताव में नहीं है. जेबीवीएनएल के अधिकारी सूत्रों ने बताया कि 30 प्रतिशत बिजली टैरिफ दर बढ़ाने के प्रस्ताव के साथ विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्ताव रखा गया है. इस प्रस्ताव में 6500 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है. यह नुकसान पिछले दो वित्तीय वर्ष से बिजली दर में बढ़ोतरी नहीं होने से हुआ है.
आयोग में सुनवाई है ठप
नियमानुसार जेबीवीएनएल ने नये बिजली टैरिफ दर का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को सौंप दिया है. लेकिन आयोग के पास ना अध्यक्ष है और ना ही सदस्य. इस स्थिति में नये बिजली टैरिफ दर पर सुनवाई करने के साथ-साथ निर्णय लेना आयोग के लिए मुश्किल है. प्रावधान के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष और दो सदस्यों के पद निर्धारित हैं. चेयरमैन अरविंद प्रसाद ने 12 जून 2020 को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद से अध्यक्ष पद खाली है. इसके साथ ही दो सदस्यों में एक सदस्य का जनवरी में कार्यकाल समाप्त हो गया. वहीं दूसरे सदस्य प्रवास कुमार सिंह केंद्रीय नियामक आयोग के सदस्य बनाए जाने के बाद चले गए. इस स्थिति में आयोग में सुनवाई ठप है. आयोग की बदहाल स्थिति की वजह से पिछले वर्ष भी बिजली टैरिफ पर कोई फैसला नहीं हो सका था.
बिजली दर प्रस्ताव पर राजनीति
बिजली दर अभी बढ़ा नहीं है, सिर्फ जेबीवीएनएल ने दर बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव भेजा है. बिजली दर बढ़ाने के प्रस्ताव पर ही राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि आमलोगों पर अतिरिक्त बोझ डालने की प्रयास किया जा रहा है. बीजेपी प्रदेश महामंत्री बाल मुकुंद सहाय ने कहा कि जनता को परेशान करने के लिए सरकार नये नये हथकंधा अपना रही है. वहीं कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि बीजेपी को बोलने का अधिकार नहीं है. डीवीसी के माध्यम से जबरन राज्य का पैसा केंद्र सरकार काट रही है. उन्होंने कहा कि सरकार जनता के हित में ही अच्छा निर्णय लेगी.