रांची: झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए 'दीदी बगिया' योजना को जमीन पर उतारने का फैसला लिया है. इसके जरिये राज्य में नर्सरी के काम में लगी महिलाओं को सरकार की ओर से बढ़ावा दिया जाएगा. इन नर्सरियों में तैयार किए गए इमारती पौधे (Timber plants) की खरीद भी सरकार ही करेगी. मनरेगा आयुक्त बी. राजेश्वरी ने इस संदर्भ में सभी जिलों के उपायुक्त, उपविकास आयुक्त सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है.
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करोड़ों रुपये की होगी बचत
'दीदी बगिया' योजना से पौधों की खरीद पर करोड़ों की बचत की संभावना जताई जा रही है. योजना के मुताबिक पौधों की दर का निर्धारण जिला कार्यक्रम समन्वयक करेंगे, जो प्राक्कलित राशि (Estimated Amount) से 35 फीसदी कम दर पर होगी. इसकी सहमति भी जेएसएलपीएस (JSLPS) के साथ हुई बैठक में ली गई है. दीदी बगिया योजना से इमारती पौधे तैयार करने में मजदूरी और सामग्री का खर्च मनरेगा योजना से वहन किया जाएगा. ऐसे में इनके दर का निर्धारण प्राक्कलित राशि (Estimated Amount) से कम पर होगा. ढुलाई का खर्च मनरेगा में प्रावधान, प्राक्कलन (Estimate) के अनुरूप दिया जाएगा. दीदी बगिया से इमारती पौधे उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में सरकारी या निजी नर्सरी से पौधों की खरीद की जाएगी. ग्रामीण विकास विभाग ने दीदी नर्सरी से पौधों की खरीद पर करोड़ों रुपये के बचत की संभावना जताई है.
दीदी बगिया के लिए वित्तीय सहायता
मनरेगा के अंतर्गत दीदी बगिया योजना के लिए डेढ़ साल तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. इसलिए जिस अवधि तक नर्सरी उद्यमी को दीदी बगिया के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है उस अवधि तक दीदी बगिया योजना से लगाए गए इमारती पौधों का क्रय मनरेगा योजना के लिए किया जाएगा.
किन-किन पौधों की होगी खरीद
इस योजना के तहत शीशम, नीम, बकेन, गम्हार, कटहल के पौधों की खरीद होगी. पौधों की खरीद में ये देखा जाएगा कि पौधे की लंबाई कम से कम 1.5 फीट हो. पौधे काले पॉलीथिन में उगाए जाने चाहिए. पौधा का कॉलर डायमीटर 0.5 इंच से कम नहीं हो. पौधा में किसी प्रकार की बीमारी न लगी हो.
बिरसा हरित ग्राम योजना में होगा उपयोग
दीदी बगिया योजना से तैयार टिम्बर प्लांट को खरीदने के बाद बिरसा हरित ग्राम योजना में पौधरोपण के लिए उपयोग किया जाएगा.राज्य में अभी जिला और प्रखंड स्तर पर स्वयं सहायता समूहों की ओर से 320 दीदी नर्सरी की शुरुआत की गई है, जिसमें बड़े पैमाने पर पौधों को तैयार किया जा रहा है.