रांची: झारखंड में कोरोना के कहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विकास की रफ्तार अब रुक गई है. सरकार की अभी सिर्फ एक ही प्राथमिकता है कि कैसे मरीजों की जान बचे और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले. पूरे राज्य की विकास योजनाओं का खाका जहां तैयार होता है और सारी नीतियां बनती हैं वहां सन्नाटा पसरा है. सचिवालय में स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग को छोड़कर अधिकांश दफ्तर बंद हैं. हर समय अधिकारियों और कर्मचारियों से भरे रहने वाले सचिवालय के कई विभागों में ताला लटका है.
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कोरोना से 24 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी की गई जान
सचिवालय के 24 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है. 200 से अधिक कर्मचारी संक्रमित हैं. मंत्री बादल पत्रलेख ने बताया कि ऐसे कई कर्मचारी हैं जिनके घर के सदस्य कोरोना से संक्रमित हैं. इसके चलते कर्मचारी भी आइसोलेट हैं और दफ्तर नहीं आ रहे हैं. कई ऐसे हैं जो कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए और इसके चलते अभी आइसोलेट हैं. स्थिति ऐसी है कि पहले जान बचाना ज्यादा जरूरी है.
सचिवालय में संक्रमण ना फैले, इसके लिए सरकार ने रोस्टर ड्यूटी लगाई है. इसके बावजूद संक्रमण तेजी से फैल रहा है. स्वास्थ्य विभाग में रोस्टर ड्यूटी के तहत आ रहे कर्मचारी भी डरे सहमे हैं. सहायक मनोज कुमार का कहना है कि कोरोना के कारण सभी कमरों में एक से दो कर्मचारी ही बैठते हैं. सहायक जूली और लक्ष्मी सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते ज्यादातर विभाग अभी बंद हैं.
कोरोना के चलते धीमी हो गई विकास की रफ्तार
कोरोना संक्रमण के कारण मंद पड़ी विकास की रफ्तार ने सरकार की चिंता बढा दी है. विभागीय सचिव रैंक के कई उच्च पदस्थ अधिकारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इसके चलते नीति निर्धारण करने में काफी दिक्कत हो रही है. वहीं राज्य सरकार के अधिकांश विभागीय मंत्री घर से ही सरकार का काम किसी तरह चला रहे हैं. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है कि कोरोना के चलते सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है. किसी तरह काम को निपटाया जा रहा है.