रांची: राजधानी रांची के नगर निगम कार्यालय में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कार्यालय के अंदर की आपसी सामंजस्य की कमी अब निगम कार्यालय से बाहर भी दिख रही है. क्योंकि निगम के अधिकारी और निगम के जनप्रतिनिधियों में को-ऑर्डिनेशन का घोर अभाव है. इसको लेकर रांची नगर निगम के उपमहापौर और वार्ड पार्षदों ने एक प्रेस वार्ता कर अधिकारियों के खिलाफ अपनी भड़ास (Deputy Mayor Ranchi Vented His Anger On Officers) निकाली.
मासिक बोर्ड की बैठक में नदारद रहते है अधिकारीः रांची नगर निगम के उप महापौर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि जिस तरह से लगातार मासिक बोर्ड की बैठक की मांग हो रही है, लेकिन अधिकारी बोर्ड की बैठक से नदारद रहते हैं. इससे साफ प्रतीत होता है कि नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों की चिंता नगर आयुक्त और उनके पदाधिकारियों को बिल्कुल भी नहीं है.
नगर निगम कार्यालय में अफसरशाही हावीः वार्ड पार्षदों के साथ बैठे उप महापौर संजीव विजयवर्गीय ने आगे कहा कि नगर निगम कार्यालय में अफसरशाही हावी (Bureaucracy Dominates In Municipal Office) है. कोई भी निर्णय जनप्रतिनिधियों की राय नहीं लिया जा रहा है. इससे जनता काफी नाराज है और वह निगम के जनप्रतिनिधियों पर अपना आक्रोश प्रकट कर रही है. लेकिन निगम में कार्यरत अधिकारी बेहोश होकर अपनी आंखें बंद किए हुए हैं.
कार्यक्रम की सूचना जनप्रतिनिधियों को नहीं दी जाती हैः डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने निगम के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि निगम के कोई भी कार्यक्रम की सूचना जनप्रतिनिधियों को नहीं दी जाती है. इस कारण निगम क्षेत्र के विकास का काम बाधित हो (Development Work Interrupted In Ranchi) रहा है. उन्होंने निगम के अधिकारियों पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि निगम के जनप्रतिनिधि डिप्टी मेयर या फिर मैं सिर्फ दिखावे के लिए निगम में हैं. निगम कार्यालय के अंदर उनकी एक भी बात नहीं सुनी जाती है. यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में अफसरशाही से सिर्फ जनप्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि निगम क्षेत्र में रहने वाले आम लोग भी परेशान होंगे.
उच्च अधिकारी और मुख्यमंत्री को दी गई है मामले की सूचनाः वहीं उन्होंने कहा कि नगर निगम कार्यालय में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच मतभेद (Differences Between Officers And Representatives) को लेकर उच्च अधिकारी और मुख्यमंत्री तक को मामले से अवगत कराया गया है, लेकिन इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. वहीं को-ऑर्डिनेशन की कमी से जनता का काम बाधित हो रहा है.