रांची: राज्य में मंदिर खोलने को लेकर राज्य सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. इसको लेकर मंदिर से जुड़े लोगों को कई तरह की समस्याएं होने लगी है. उनका कहना है कि जिस प्रकार से राज्य सरकार ने राजस्व के लाभ को देखते हुए शराब की दुकान, राशन की दुकान और परिवहन व्यवस्था को चालू किया है, उसी प्रकार मंदिर खोलने पर भी निर्णय लेनी चाहिए.
मंदिर खोलने का निर्णय
दुर्गा मंदिर के संयोजक रंजीत वर्मा बताते हैं कि जिस प्रकार से सभी चीजों में रियायतें दी गई है. मंदिरों में भी सरकार को रियायत देनी चाहिए. कई राज्यों में एहतियात के साथ सरकार ने मंदिर खोलने का निर्णय लिया है तो झारखंड में भी सरकार को मंदिरों को सुरक्षा और एहतियात के साथ खोलने का निर्णय लेना चाहिए. लगभग 3 महीने से मंदिर के पुजारी और मंदिर से जुड़े अन्य लोग भुखमरी के कगार तक पहुंच गए हैं.
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जीवन यापन करने में हो रही है परेशानी
मंदिर में फूल बेचने वाले सुरेश मालाकार ने कहा कि सरकार को मंदिर परिसर में फूल वाले, प्रसाद बेचने वाले और पूजारी के बारे में सोचाना चाहिए. मंदिर में प्राप्त होने वाले दान-दक्षिणा से ही उनका जीवन यापन होता है. मंदिर बंद रहने से न फूल वालों का कोई व्यापार चल रहा है और न ही प्रसाद बेचने वाले लोगों का.
मंदिर खोलने का आदेश जारी
मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों ने बताया कि देश के अति संक्रमित राज्यों में भी मंदिर खोलने का आदेश जारी कर दिया गया है, लेकिन झारखंड सरकार ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. झारखंड सरकार को जल्द से जल्द मंदिर खोलने पर फैसला लेना चाहिए, ताकि फूल बेचने वाले, प्रसाद बेचने वाले और मंदिर में पूजा करने वाले लोगों का जीवन यापन फिर से सुचारू रूप से चल सके.