रांची,धनबादः झारखंड सरकार ने भाषा विवाद को शांत करने की कोशिश की है. बोकारो और धनबाद जिले में वैकल्पिक भाषा की सूची से भोजपुरी-मगही को हटा दिया है और गढ़वा पलामू जैसे जिलों में इसे शामिल किया है. अब राज्य सरकार भाषा विवाद खत्म दी है. लेकिन यह मामला शांत नहीं हुआ है.
रविवार को रांची के धुर्वा इलाके में अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच की ओर से संकल्प और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में डोमिसाइल विवाद में मारे गए दीपक, बबलू और आरके सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण किया और उनकी प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की. मंच अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका बिहारियों की पहचान है. उन्होंने कहा कि हेमंत की नेतृत्व वाली सरकार भाषाई अस्मिता को समाप्त करने की साजिश रच रही है. इस साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने सभी 24 जिलों में भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने की मांग की.
वहीं, धनबाद में हिंदुत्व संगठन के बैनर तले भुइफोड़ मंदिर से पदयात्रा निकाली गई. यह पदयात्रा रणधीर वर्मा चौक पहुंची, जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया गया. धनबाद विधायक राज सिन्हा ने कहा कि झारखंड को इस्लामिक राज्य बनाने की साजिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि भाषा विवाद को खत्म करने के लिए उर्दू को सभी जिलों में मातृ भाषा के रूप में शामिल कर दिया है. इसका विरोध किया जाएगा.