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झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र: सदन में राज्य के आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने की उठी मांग

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन भी हंगामा भरा रहा. इस दौरान आजसू विधायक सुदेश महतो ने झारखंड अलग राज्य बनाने वाले आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा (Freedom fighter status to Jharkhand Agitators) देने की मांग सदन से की.

Jharkhand Assembly Winter Session
आजसू विधायक सुदेश महतो
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Published : Dec 21, 2022, 5:13 PM IST

Updated : Dec 21, 2022, 10:55 PM IST

आजसू विधायक सुदेश महतो

रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य के आंदोलनकारियों के लिए मांग सदन में छायी रही. बुधवार को शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन आजसू विधायक सुदेश महतो ने सदन में अलग राज्य के लिए आंदोलन करनेवाले आंदोलनकारियों की सुविधा को काफी कम बताते हुए, उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने की मांग की (Freedom fighter status to Jharkhand Agitators).



ये भी पढ़ें: ईडी के शपथ पत्र पर सियासत तेज, बाबूलाल मरांडी ने की राष्ट्रपति शासन की मांग

सरकार की ओर से इस मांग पर दिए गए जवाब पर नाराजगी जताते हुए, सुदेश महतो ने कहा कि अन्य राज्यों की बात करना कहीं से भी उचित नहीं है. झारखंड के आंदोलनकारियों को जिला दौरे के क्रम में सर्किट हाउस में एक कमरा तक नहीं मिल पाता है, ऐसे में उनके सम्मान का हनन सरकार के पदाधिकारी कर रहे हैं.



हंगामे के बीच चली सदन की कार्यवाही: शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही पिछले दो दिनों की अपेक्षा शांतिपूर्ण चली. हालांकि, इस दौरान नियोजन नीति को लेकर भाजपा विधायक सदन में शोरगुल मचाते रहे. भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने सदन में सरकार से पूछा कि और किस नीति के तहत युवाओं को रोजगार मिलेगा. प्रश्नकाल में भाजपा विधायक अमित मंडल ने सरकार से पूछा कि मुख्यमंत्री किस आधार पर खतियानी जोहार यात्रा में लोगों को कह रहे हैं कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो गई है. दूसरी तरफ सरकार जवाब दे रही है कि विधायक की प्रस्तावित धारा 1(3) के तहत यह अधिनियम संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत प्रभावी होगा.

अमित मंडल ने विधि विभाग की संचिका का हवाला देते हुए कहा कि उसमें स्पष्ट किया है कि सरकार ने जो बिल पास किया है वह नियम संगत नहीं है. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि माननीय के पास कहां से ऐसा कागज है इसकी जानकारी नहीं है. इस पर अमित मंडल ने विधि विभाग से जुड़े कागजात को आसन को उपलब्ध कराया. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार गंभीर है. इसी वजह से कल एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला है. राज्यपाल ने कहा कि वह इस पर कुछ करेंगे. संसदीय कार्य मंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस पर जल्द परिणाम आएगा. भोजनावकाश से पहले सदन में शून्यकाल और ध्यानाकर्षण के जरिए सूचनाएं आती रही.

आजसू विधायक सुदेश महतो

रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य के आंदोलनकारियों के लिए मांग सदन में छायी रही. बुधवार को शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन आजसू विधायक सुदेश महतो ने सदन में अलग राज्य के लिए आंदोलन करनेवाले आंदोलनकारियों की सुविधा को काफी कम बताते हुए, उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने की मांग की (Freedom fighter status to Jharkhand Agitators).



ये भी पढ़ें: ईडी के शपथ पत्र पर सियासत तेज, बाबूलाल मरांडी ने की राष्ट्रपति शासन की मांग

सरकार की ओर से इस मांग पर दिए गए जवाब पर नाराजगी जताते हुए, सुदेश महतो ने कहा कि अन्य राज्यों की बात करना कहीं से भी उचित नहीं है. झारखंड के आंदोलनकारियों को जिला दौरे के क्रम में सर्किट हाउस में एक कमरा तक नहीं मिल पाता है, ऐसे में उनके सम्मान का हनन सरकार के पदाधिकारी कर रहे हैं.



हंगामे के बीच चली सदन की कार्यवाही: शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही पिछले दो दिनों की अपेक्षा शांतिपूर्ण चली. हालांकि, इस दौरान नियोजन नीति को लेकर भाजपा विधायक सदन में शोरगुल मचाते रहे. भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने सदन में सरकार से पूछा कि और किस नीति के तहत युवाओं को रोजगार मिलेगा. प्रश्नकाल में भाजपा विधायक अमित मंडल ने सरकार से पूछा कि मुख्यमंत्री किस आधार पर खतियानी जोहार यात्रा में लोगों को कह रहे हैं कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो गई है. दूसरी तरफ सरकार जवाब दे रही है कि विधायक की प्रस्तावित धारा 1(3) के तहत यह अधिनियम संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत प्रभावी होगा.

अमित मंडल ने विधि विभाग की संचिका का हवाला देते हुए कहा कि उसमें स्पष्ट किया है कि सरकार ने जो बिल पास किया है वह नियम संगत नहीं है. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि माननीय के पास कहां से ऐसा कागज है इसकी जानकारी नहीं है. इस पर अमित मंडल ने विधि विभाग से जुड़े कागजात को आसन को उपलब्ध कराया. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार गंभीर है. इसी वजह से कल एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला है. राज्यपाल ने कहा कि वह इस पर कुछ करेंगे. संसदीय कार्य मंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस पर जल्द परिणाम आएगा. भोजनावकाश से पहले सदन में शून्यकाल और ध्यानाकर्षण के जरिए सूचनाएं आती रही.

Last Updated : Dec 21, 2022, 10:55 PM IST
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