रांची: हर साल दीपावली के मौके पर राजधानी में हैदराबाद से कृत्रिम फूल विक्रेता पहुंचते हैं. इस साल भी कोरोना महामारी के बावजूद इन लोगों ने रांची के सेवा सदन के समीप अपना दुकान सजाया है, लेकिन पिछले कई सालों की तुलना में इस साल की स्थिति काफी दयनीय है. बाजारों में भीड़ नहीं है. कस्टमर न के बराबर है. इससे ये फूल विक्रेता मायूस हैं.
दीपावली के अवसर रांची में कृत्रिम हैदराबादी फूलों की डिमांड काफी रहती है. इस डिमांड को पूरा करने के लिए हैदराबाद से सैकड़ों फुल विक्रेता हर साल रांची पहुंचते हैं और सेवा सदन के समीप अपनी दुकान सजाते हैं. हाथों से बनाए इन फूलों की खूबसूरती देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे. हैदराबाद के विभिन्न स्थानों से ये लोग हर साल यहां पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना प्रकोप के कारण इस साल कम संख्या में पहुंचे हैं. रांची पहुंचने के लिए भी इन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. लागत के हिसाब से इस साल मुनाफा नहीं होगा. इससे ये लोग चिंतित हैं.
ये भी पढ़ें-भगवान बिरसा का "उलिहातू", सड़कों की बदली तस्वीर, पर नहीं बदली लोगों की तकदीर
कम संख्या में सजी है दुकानें
ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान इन दुकानदारों ने बताया कि वो करीब 20 सालों से दीपावली के मौके पर यहां आकर दुकान लगाते हैं और कोरोना प्रकोप के बावजूद इस साल भी यहां दुकान लगाने पहुंचे हैं, ताकि कुछ आमदनी हो सके, लेकिन रांची में इस साल कृत्रिम फूल की बिक्री न के बराबर ही है. कोरोना की वजह से लोग घरों से कम निकल रहे हैं. पिछले साल की तुलना में कम संख्या में दुकानें भी सजी है. इसके बावजूद इन दुकानों पर लोगों की भीड़ नहीं हो रही है.
पिछले साल सजा था 100 दुकान
हर साल रांची में कृत्रिम फूल के 100 से अधिक दुकानदार दुकान सजाते हैं, लेकिन इस बार मात्र सात दुकानें सजाई गई है. लोगों का कहना है कि हैदराबादी फूलों के बिना रांची की दीपावली फीकी लगती है. हालांकि, इस साल बाजार में रौनक कम है. फूल विक्रेता भी हैदराबाद से कम ही पहुंचे हैं. लोग भी कोरोना महामारी के डर से घरों से कम निकल रहे हैं. ऐसे में इन्हें इस साल मुनाफा भी कम होगा.