रांची: झारखंड में सेवा देने वाली सरकारी और गैर-सरकारी डॉक्टर आईएमए के बैनर तले फिर एक बार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग तेज करेंगे. वहीं राज्य में निजी नर्सिंग होम या प्राइवेट अस्पताल के लिए बनीं क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग भी तेज की जाएगी. रविवार को आईएमए झारखंड की प्रदेश कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक में इस प्रस्ताव पर सभी ने एक स्वर से मुहर लगा दी.
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आईएमए कार्यकारिणी के कई सदस्यों ने डॉक्टर्स की लंबी और लंबित पड़ी मांग पर सरकार की टाल मटोल वाले रुख पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि हम लोग जनता की सेवा के लिए इस पेशे में आये हैं लेकिन आज राज्य में डॉक्टरों के साथ जो व्यवहार हो रहा है वह ठीक नहीं है. डॉक्टर्स को न तो कार्यक्षेत्र में कोई विशेष सुरक्षा दी जाती है और उनके आवास पर वो सुरक्षित महसूस करते हैं. जबकि हकीकत है कि गांव और प्रखंड तक पहुंचकर सरकारी डॉक्टर्स रोगियों का इलाज करते हैं. लेकिन उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा भगवान भरोसे है.
रविवार को रांची के प्रदेश आईएमए भवन में एसोसिएशन की प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों की बैठक हुई. जिसमें जिन एजेंडे पर चर्चा हुई, उनमें राज्य में लंबित मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की स्थिति, आईएम के सभी विंगों की कार्यकलाप की चर्चा, राज्य में सरकारी सेवा दे रहे डॉक्टर्स की समस्या और उसे दूर करने में आईएम की भूमिका, आईएम के सभी विंगों में मेम्बरशिप ड्राइव की अद्यतन स्थिति, एनएमसी के सर्कुलर पर चर्चा और आईएम झारखंड के वित्तीय स्थिति पर मुख्य रूप से चर्चा प्रमुख हुई.
इस बैठक के बाद मीडिया के साथ बातचीत करते हुए आईएम झारखंड के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर सरकार लंबे समय से टालमटोल की नीति अपना रही है. वर्तमान सरकार ने कैबिनेट से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को पास कर विधानसभा के पटल पर रखा. लेकिन एक दो विधायकों के चलते वह प्रवर कमेटी में चला गया और अभी तक उस पर सरकार क्या कर रही है, इसकी कोई जानकारी आईएम को नहीं है.
वहीं आईएम झारखंड के प्रदेश महासचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट जिस रूप में सरकार लाना चाहती है. उससे यह सुनिश्चित हो जाएगा की सिर्फ बड़े-बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल ही राज्य में रहेंगे और निजी स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हो जाएंगी. डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि डॉक्टर द्वारा चलाई जाने वाले छोटे नर्सिंग होम और 50 बेड से कम की क्षमता वाले निजी अस्पताल या नर्सिंग होम को क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट से छूट मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने में एक्ट को फिर से विधानसभा के सामने लाने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि पूरे एक्ट में बदलाव नहीं करना है बल्कि उसके कुछ प्वाइंट्स में बदलाव लाना है.
सरकार को एक और मौका देना चाहता है आईएमए झारखंडः आईएमए झारखंड के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. एके सिंह ने कहा कि चिकित्सा समुदाय भी हड़ताल या का बहिष्कार जैसा कारण निर्णय नहीं लेना चाहते हैं. क्योंकि इससे परेशानी हम जनता को होती है, ऐसे में हम सरकार को एक और मौका देना चाहते हैं कि वह जल्द मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट पर फैसला लें.
आईएमए की बैठक में स्टेट कार्यकारिणी के शामिल सदस्यः झारखंड इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की प्रदेश कर समिति की बैठक में प्रेसिडेंट डॉ. अरुण कुमार सिंह, महासचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ. बीपी कश्यप, स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. अजय कुमार सिंह, स्टेट संयोजक डॉ. विमलेश सिंह सहित बड़ी संख्या में अलग-अलग जिलों से आए पदाधिकारी इस मीटिंग का हिस्सा रहे.