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आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों का हेमंत सरकार से सवाल, क्या विदेशों में पढ़ने का मेरा सपना नहीं होगा पूरा

झारखंड में मरांग गोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जनजाति के छात्रों को विदेशों में पढ़ने का मौका मिल रहा है. हेमंत सरकार ने इस योजना का दायरा बढ़ा दिया है और इसमें अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के मेधावी छात्रों को शामिल किया है. लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के बच्चों को शामिल नहीं किया गया है.

Marang Gomke Pardeshi Scholarship Scheme
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों का हेमंत सरकार से सवाल
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Published : Mar 7, 2022, 7:52 PM IST

रांचीः मरांग गोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का लाभ अबतक सिर्फ अनुसूचित जनजाति के छात्रों को मिल रहा था. लेकिन हेमंत सोरेन सरकार ने इस योजना की दायरा बढ़ाया है. अब अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के मेधावी छात्रों को भी मरांग मोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलेगा. इस स्थिति में आर्थिक रूप से कमजोर राज्य के मूलवासी सामान्य वर्ग के बच्चों में आक्रोश है. विद्यार्थियों ने हेमंत सरकार से सवाल पूछा है कि क्या गरीब सवर्ण के मेधावी बच्चों का विदेश में पढ़ने का सपना पूरा नहीं होगा.

यह भी पढ़ेंःसरकारी खर्चे पर विदेश में पढ़ेंगे झारखंड के आदिवासी युवा, सरकार देगी स्कॉलरशिप

हेमंत सोरेन की सरकार ने राज्य के आदिवासी विद्यार्थियों को वर्ष 2021 से ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर दिया है. मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से मेधावी छात्र-छात्राओं को विदेशों में पढ़ने का मौका दिया जा रहा है. लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाया गया है. अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के मेधावी छात्र-छात्राएं इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

देखें वीडियो

हालांकि, राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मूलवासी सामान्य वर्ग के बच्चों में इस निर्णय के बाद काफी आक्रोश है. इन विद्यार्थियों का कहना है कि मैं भी इस राज्य का मूल निवासी हूं. उन्होंने कहा कि राज्य में हजारों की संख्या में मेधावी छात्र हैं, जो सामान्य वर्ग से आते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के बच्चों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है.

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा झारखंड के पहले आदिवासी थे, जिन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर राज्य का सम्मान बढ़ाया था. उन्होंने भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहते हुए भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाया. वह संविधान सभा के सदस्य रहे और झारखंड आंदोलन की नींव भी रखी थी. उन्हीं के नाम से हेमंत सरकार ने छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की, ताकि झारखंड के आदिवासी विद्यार्थियों को विदेशों में पढ़ने का मौका मिले. हालांकि, अब इस योजना की दायरा बढ़ा दिया गया है.

रांचीः मरांग गोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का लाभ अबतक सिर्फ अनुसूचित जनजाति के छात्रों को मिल रहा था. लेकिन हेमंत सोरेन सरकार ने इस योजना की दायरा बढ़ाया है. अब अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के मेधावी छात्रों को भी मरांग मोमके पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलेगा. इस स्थिति में आर्थिक रूप से कमजोर राज्य के मूलवासी सामान्य वर्ग के बच्चों में आक्रोश है. विद्यार्थियों ने हेमंत सरकार से सवाल पूछा है कि क्या गरीब सवर्ण के मेधावी बच्चों का विदेश में पढ़ने का सपना पूरा नहीं होगा.

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हेमंत सोरेन की सरकार ने राज्य के आदिवासी विद्यार्थियों को वर्ष 2021 से ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर दिया है. मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से मेधावी छात्र-छात्राओं को विदेशों में पढ़ने का मौका दिया जा रहा है. लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाया गया है. अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के मेधावी छात्र-छात्राएं इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

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हालांकि, राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मूलवासी सामान्य वर्ग के बच्चों में इस निर्णय के बाद काफी आक्रोश है. इन विद्यार्थियों का कहना है कि मैं भी इस राज्य का मूल निवासी हूं. उन्होंने कहा कि राज्य में हजारों की संख्या में मेधावी छात्र हैं, जो सामान्य वर्ग से आते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के बच्चों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है.

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा झारखंड के पहले आदिवासी थे, जिन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर राज्य का सम्मान बढ़ाया था. उन्होंने भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहते हुए भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाया. वह संविधान सभा के सदस्य रहे और झारखंड आंदोलन की नींव भी रखी थी. उन्हीं के नाम से हेमंत सरकार ने छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की, ताकि झारखंड के आदिवासी विद्यार्थियों को विदेशों में पढ़ने का मौका मिले. हालांकि, अब इस योजना की दायरा बढ़ा दिया गया है.

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