रांची: राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने झारखंड की नौकरियों में पिछड़ा वर्ग समुदाय से आने वाले लोगों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने की सिफारिश की है. आयोग ने सदन मोर्चा के आवेदन पर सुनवाई के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. आयोग की ओर से प्रदेश सरकार को भेजी गई अनुशंसा में तमिलनाडु सरकार के आरक्षण मामले और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया है.
ऐसे में राज्य सरकार इस अनुशंसा पर मुहर लगाने की तरफ बढ़ती है तो कैबिनेट की मंजूरी लेने के बाद उसे जरूरी प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसके लिए आयोग ने अपनी अनुशंसा को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया है.
नौकरियों में अभी पिछड़ों के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण
झारखंड में पिछड़ा वर्ग से आने वाले लोगों को सरकारी नौकरियों में अभी 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. आयोग ने सदन मोर्चा के आवेदन पर सुनवाई करने के बाद इसको बढ़ाने की अनुशंसा मुख्यमंत्री से की है. इससे पहले मोर्चा ने आयोग में आवेदन देकर झारखंड में पिछड़ा वर्ग की आबादी 56 प्रतिशत होने का दावा किया था और उसके अनुरूप आरक्षण की मांग की थी. ऐसे में आयोग इसका विस्तृत प्रतिवेदन जल्द ही राज्य सरकार को भेजेगा. इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों में पिछड़ी जाति के लोगों के आरक्षण के लिए किए गए प्रावधानों की कॉपी भी देगा. साथ ही आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के सरकार के अधिकार के बारे में भी मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराएगा.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
आयोग का मानना है कि प्रदेश में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी पिछड़ा वर्ग से अधिक है. इसलिए उसी अनुपात में इसे बढ़ाया जाय. आयोग ने अपनी अनुशंसा में तमिलनाडु में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है. अभी तक झारखंड में अनुसूचित जाति को 10, अनुसूचित जनजाति को 26, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 8, पिछड़ा वर्ग को 6 और आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को 10 प्रतिशत आरक्षण है.