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शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल में चल रही सुनवाई पर रोक, दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाया स्टे - Lokpal and Lokayukta Act 2013

झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल में चल रही सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा (Delhi High Court Stay on Shibu Soren hearing) दी है. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकपाल में सोमवार को सुनवाई (Shibu Soren hearing on Lokapal) होनी थी.

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शिबू सोरेन
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Published : Sep 12, 2022, 12:24 PM IST

Updated : Sep 12, 2022, 2:01 PM IST

रांचीः झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल में चल रही सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा (Delhi High Court Stay on Shibu Soren hearing) दी है. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकपाल में सोमवार को सुनवाई (Shibu Soren hearing on Lokapal) होनी थी.

इसे भी पढ़ें- आय से अधिक और बेनामी संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन को लोकपाल का नोटिस, 25 अगस्त को होगी सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने झामुमो (Jharkhand Mukti Morcha) सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन पर भारत के लोकपाल द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है. सोमवार को दिए अपने आदेश में न्यायमूर्ति जसवंत वर्मा ने भारत के लोकपाल द्वारा लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 (Lokpal and Lokayukta Act 2013) के तहत की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट शिबू सोरेन द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लोकपाल की कार्रवाई को कानूनी तौर पर गलत और अधिकार क्षेत्र के हनन के तौर पर बताया गया था.

5 अगस्त 2020 को भाजपा नेता निशिकांत दुबे की शिकायत पर झामुमो प्रमुख पर कार्रवाई प्रारंभ की गई थी. इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक कार्रवाई के लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 20(1)(ए) तहत मुकदमा दर्ज किया था. शिबू सोरेन ने दावा किया कि उनके खिलाफ की गई शिकायत पूरी तरह झूठी है. साथ ही भारत के लोकपाल द्वारा जांच के मामले में लोकपाल अधिनियम की धारा 53 के तहत अपराध के 7 वर्ष बाद की गई किसी भी शिकायत पर जांच नहीं की जा सकती है.

याचिका में कहा गया है कि शिकायत की तारीख से प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए 180 दिनों की अधिकतम अवधि 1 फरवरी, 2021 को समाप्त हो गई है. इस पृष्ठभूमि में कहा गया है कि इस समय तक सोरेन से केवल 1 जुलाई 2021 को ही टिप्पणियां मांगी गई थी जो निर्धारित वैधानिक अवधि की बाद की है. सीबीआई ने 29 जून 2022 को अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट सबमिट की है जोकि वैध अवधि से करीब डेढ़ वर्ष बाद की है. ऐसे में उस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोकपाल के क्षेत्राधिकार पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है ऐसे में इस मामले में अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है कोर्ट ने इस मामले को 14 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है.

रांचीः झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल में चल रही सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा (Delhi High Court Stay on Shibu Soren hearing) दी है. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकपाल में सोमवार को सुनवाई (Shibu Soren hearing on Lokapal) होनी थी.

इसे भी पढ़ें- आय से अधिक और बेनामी संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन को लोकपाल का नोटिस, 25 अगस्त को होगी सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने झामुमो (Jharkhand Mukti Morcha) सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन पर भारत के लोकपाल द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है. सोमवार को दिए अपने आदेश में न्यायमूर्ति जसवंत वर्मा ने भारत के लोकपाल द्वारा लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 (Lokpal and Lokayukta Act 2013) के तहत की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट शिबू सोरेन द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लोकपाल की कार्रवाई को कानूनी तौर पर गलत और अधिकार क्षेत्र के हनन के तौर पर बताया गया था.

5 अगस्त 2020 को भाजपा नेता निशिकांत दुबे की शिकायत पर झामुमो प्रमुख पर कार्रवाई प्रारंभ की गई थी. इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक कार्रवाई के लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 20(1)(ए) तहत मुकदमा दर्ज किया था. शिबू सोरेन ने दावा किया कि उनके खिलाफ की गई शिकायत पूरी तरह झूठी है. साथ ही भारत के लोकपाल द्वारा जांच के मामले में लोकपाल अधिनियम की धारा 53 के तहत अपराध के 7 वर्ष बाद की गई किसी भी शिकायत पर जांच नहीं की जा सकती है.

याचिका में कहा गया है कि शिकायत की तारीख से प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए 180 दिनों की अधिकतम अवधि 1 फरवरी, 2021 को समाप्त हो गई है. इस पृष्ठभूमि में कहा गया है कि इस समय तक सोरेन से केवल 1 जुलाई 2021 को ही टिप्पणियां मांगी गई थी जो निर्धारित वैधानिक अवधि की बाद की है. सीबीआई ने 29 जून 2022 को अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट सबमिट की है जोकि वैध अवधि से करीब डेढ़ वर्ष बाद की है. ऐसे में उस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोकपाल के क्षेत्राधिकार पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है ऐसे में इस मामले में अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है कोर्ट ने इस मामले को 14 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है.

Last Updated : Sep 12, 2022, 2:01 PM IST
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