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आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर केंद्रीय मंत्री से मिला प्रतिनिधिमंडल, कुलस्ते ने पीएम मोदी से बात करने का दिलाया भरोसा

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Published : Mar 17, 2021, 1:27 AM IST

राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति की अगुवाई में कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से मुलाकात की. इस दौरान कुलस्ते ने लोगों की मांग पीएम मोदी के सामने रखने का भरोसा दिलाया.

Delegation of tribal community met Union Minister Faggan Singh Kulaste to demand for adivasi dharm code
आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर केंद्रीय मंत्री से मिला प्रतिनिधिमंडल

रांचीः राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति की अगुवाई में कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से मुलाकात की. इस दौरान सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्री को आदिवासी धर्म कोड की मांग से संबंधित पत्र सौंपा. इस दौरान पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा समेत कई लोग मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें-लोकलुभावन दिख रही 'एग्रीकल्चर लाइन' की व्यवस्था, खेत में सूख रहे फसल

सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री कुलस्ते ने कहा कि देशभर में 781 तरह की जनजाति हैं, इन्हें एकजुट करिए. ये सभी जनजातियां समाज में अलग-थलग पड़ी हैं . उनको एक मंच पर लाने का प्रयास करें. निश्चित तौर पर धर्मकोड मिलेगा. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया कि धार्मिक पहचान की इस मांग को अपने मंत्रिमंडल एवं प्रधानमंत्री के समक्ष रखूंगा.

बता दें कि जनजातीय समाज पिछले कई दशकों से धार्मिक पहचान की मांग कर रहा है. राज्य सरकार ने जब से विशेष सत्र आहूत कर सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा है तभी से अलग-अलग गुटों में बंटे सामाजिक धार्मिक संगठन के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है. देश के कई अलग-अलग राज्यों का दौरा कर जनजातीय समुदाय को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है. मौजूदा समय में अलग धर्म कोड की उठी मांग दिल्ली के जंतर मंतर पर भी गूंज रही है.

क्या है मांग

आदिवासी समाज हर हाल में चाहता है कि 2021 के जनगणना प्रपत्र में अलग सरना धर्म कोड अंकित किया जाए, ताकि जनजातीय समुदाय को धार्मिक मान्यता मिल सके. आदिवासियों का कहना है कि देश भर में 781 तरह की जनजातियां निवास करती हैं, जो अलग-अलग नाम से अपने धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इसके आधार पर अलग अलग नाम से धार्मिक पहचान की मांग कर रहे हैं. झारखंड प्रदेश में ही धार्मिक पहचान की मांग को लेकर को लेकर कई तरह की विसंगतियां देखने को मिल रही है. कुछ सामाजिक धार्मिक संगठन सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं तो वहीं कुछ संगठन आदिवासी धर्मकोड की. हालांकि राज्य सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेज दिया है. अब इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के मुहर का इंतजार है.

रांचीः राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति की अगुवाई में कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से मुलाकात की. इस दौरान सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्री को आदिवासी धर्म कोड की मांग से संबंधित पत्र सौंपा. इस दौरान पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा समेत कई लोग मौजूद रहे.

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सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री कुलस्ते ने कहा कि देशभर में 781 तरह की जनजाति हैं, इन्हें एकजुट करिए. ये सभी जनजातियां समाज में अलग-थलग पड़ी हैं . उनको एक मंच पर लाने का प्रयास करें. निश्चित तौर पर धर्मकोड मिलेगा. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया कि धार्मिक पहचान की इस मांग को अपने मंत्रिमंडल एवं प्रधानमंत्री के समक्ष रखूंगा.

बता दें कि जनजातीय समाज पिछले कई दशकों से धार्मिक पहचान की मांग कर रहा है. राज्य सरकार ने जब से विशेष सत्र आहूत कर सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा है तभी से अलग-अलग गुटों में बंटे सामाजिक धार्मिक संगठन के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है. देश के कई अलग-अलग राज्यों का दौरा कर जनजातीय समुदाय को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है. मौजूदा समय में अलग धर्म कोड की उठी मांग दिल्ली के जंतर मंतर पर भी गूंज रही है.

क्या है मांग

आदिवासी समाज हर हाल में चाहता है कि 2021 के जनगणना प्रपत्र में अलग सरना धर्म कोड अंकित किया जाए, ताकि जनजातीय समुदाय को धार्मिक मान्यता मिल सके. आदिवासियों का कहना है कि देश भर में 781 तरह की जनजातियां निवास करती हैं, जो अलग-अलग नाम से अपने धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इसके आधार पर अलग अलग नाम से धार्मिक पहचान की मांग कर रहे हैं. झारखंड प्रदेश में ही धार्मिक पहचान की मांग को लेकर को लेकर कई तरह की विसंगतियां देखने को मिल रही है. कुछ सामाजिक धार्मिक संगठन सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं तो वहीं कुछ संगठन आदिवासी धर्मकोड की. हालांकि राज्य सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेज दिया है. अब इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के मुहर का इंतजार है.

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