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अनुबंध प्राध्यापकों का आंदोलन 14वें दिन भी जारी, मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने दिया आश्वासन

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Published : Feb 11, 2021, 2:04 PM IST

रांची में अनुबंध प्राध्यापकों का सत्याग्रह आंदोलन 14वें दिन भी जारी है. आंदोलन को लेकर अनुबंध प्राध्यापकों का एक प्रतिनिधिमंडल मंत्री मिथिलेश ठाकुर से की मुलाकात की.

Delegation of contract professors meets Minister Mithilesh Thakur in ranchi
मंत्री मिथिलेश ठाकुर

रांचीः राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी मांगों को लेकर चौदहवें दिन भी राजभवन के सामने सत्याग्रह आंदोलन पर डटे हैं. बुधवार को जल संसाधन मंत्री मिथिलेश ठाकुर से प्रतिनिधियों ने मुलाकात की है. इस दौरान मंत्री ने आंदोलनरत इन कर्मचारियों को आश्वासन दिया है और कहा कि सरकार आपसबों के लिए काफी चिंतित है.

झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ की सदस्य डॉ. कमला बानरा ने कहा कि पिछले चौदह दिनों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर राजभवन के समक्ष सत्याग्रह आंदोलन पर हैं. इन शिक्षकों के कारण ही राज्य की जीईआर रेट बढ़ी है. ऐसे में तीन वर्षों से कार्यरत 900 अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को हटाकर दोबारा नए सिरे से उसी पद पर शिक्षकों को बहाल करना किसी भी दृष्टिकोण से न्यायसंगत नहीं है. इन 900 शिक्षकों के पदों को छोड़कर जो बड़ी संख्या में अन्य रिक्त पद हैं, उन पर नियुक्ति की जानी चाहिए.

Delegation of contract professors meets Minister Mithilesh Thakur in ranchi
धरने पर बैठे अनुबंध प्राध्यापक

आश्वासन नहीं किया जा रहा है पूरा

झारखंड के उच्च शिक्षा विभाग ने एक जनवरी 2021 को जो संकल्प पारित किया है, वह राज्य सरकार की शिक्षा नीति और अनुबंधकर्मियों को दिए गए आश्वासनों के ठीक विपरीत है. जिसके कारण हम सभी शिक्षक राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर विगत 14 दिनों से बैठे हैं. यह स्पष्ट है कि राज्य अपने लोककल्याणकारी भूमिका को भी निभाने में पूरी तरह असमर्थ सिद्ध हो रहा है.

इसे भी पढ़ें- 12 फरवरी से शुरू होगी हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति में प्राथमिक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच, JSSC ने तिथि की निर्धारित

सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

वर्तमान सरकार ने प्रतिपक्ष में रहते हुए सभी शिक्षकों से वादा किया था कि अगर हमारी सरकार बनेगी तो अनुबंधकर्मियों को सम्मान की जिंदगी मिलेगी, समान कार्य समान वेतन मिलेगा. सम्मान और अधिकार देने के बजाय तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से अनुबंधकर्मी असिस्टेंट प्रोफेसरों को ही हटाने के लिए एक जनवरी 2021 को संकल्प पारित कर दिया गया. उच्च शिक्षा के शिक्षकों को अपनी मांग मनवाने के लिए सड़क पर उतरना पड़े तो निसंदेह यह सरकार की घोर लापरवाही है.

लगातार कर रहे हैं मांग
अनुबंध सहायक प्राध्यापकों का सम्मान करते हुए निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करें. डॉ. मीरा ने कहा कि ये हमारी नैसर्गिक और न्यायोचित मांग है. इन्हीं मांगों को लेकर 28 जनवरी से ही घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठे हैं.

रांचीः राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी मांगों को लेकर चौदहवें दिन भी राजभवन के सामने सत्याग्रह आंदोलन पर डटे हैं. बुधवार को जल संसाधन मंत्री मिथिलेश ठाकुर से प्रतिनिधियों ने मुलाकात की है. इस दौरान मंत्री ने आंदोलनरत इन कर्मचारियों को आश्वासन दिया है और कहा कि सरकार आपसबों के लिए काफी चिंतित है.

झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ की सदस्य डॉ. कमला बानरा ने कहा कि पिछले चौदह दिनों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर राजभवन के समक्ष सत्याग्रह आंदोलन पर हैं. इन शिक्षकों के कारण ही राज्य की जीईआर रेट बढ़ी है. ऐसे में तीन वर्षों से कार्यरत 900 अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को हटाकर दोबारा नए सिरे से उसी पद पर शिक्षकों को बहाल करना किसी भी दृष्टिकोण से न्यायसंगत नहीं है. इन 900 शिक्षकों के पदों को छोड़कर जो बड़ी संख्या में अन्य रिक्त पद हैं, उन पर नियुक्ति की जानी चाहिए.

Delegation of contract professors meets Minister Mithilesh Thakur in ranchi
धरने पर बैठे अनुबंध प्राध्यापक

आश्वासन नहीं किया जा रहा है पूरा

झारखंड के उच्च शिक्षा विभाग ने एक जनवरी 2021 को जो संकल्प पारित किया है, वह राज्य सरकार की शिक्षा नीति और अनुबंधकर्मियों को दिए गए आश्वासनों के ठीक विपरीत है. जिसके कारण हम सभी शिक्षक राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर विगत 14 दिनों से बैठे हैं. यह स्पष्ट है कि राज्य अपने लोककल्याणकारी भूमिका को भी निभाने में पूरी तरह असमर्थ सिद्ध हो रहा है.

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सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

वर्तमान सरकार ने प्रतिपक्ष में रहते हुए सभी शिक्षकों से वादा किया था कि अगर हमारी सरकार बनेगी तो अनुबंधकर्मियों को सम्मान की जिंदगी मिलेगी, समान कार्य समान वेतन मिलेगा. सम्मान और अधिकार देने के बजाय तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से अनुबंधकर्मी असिस्टेंट प्रोफेसरों को ही हटाने के लिए एक जनवरी 2021 को संकल्प पारित कर दिया गया. उच्च शिक्षा के शिक्षकों को अपनी मांग मनवाने के लिए सड़क पर उतरना पड़े तो निसंदेह यह सरकार की घोर लापरवाही है.

लगातार कर रहे हैं मांग
अनुबंध सहायक प्राध्यापकों का सम्मान करते हुए निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करें. डॉ. मीरा ने कहा कि ये हमारी नैसर्गिक और न्यायोचित मांग है. इन्हीं मांगों को लेकर 28 जनवरी से ही घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठे हैं.

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