रांची: झारखंड हाई कोर्ट से नियोजन नीति रद्द होने के बाद हेमंत सरकार ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति (1932 Khatiyan Based Domicile Policy in Jharkhand) को राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजकर 9वीं अनुसूची में शामिल कराने की तैयारी की है. इसपर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि आपकी तरफ से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के दो सदस्यों को नामित करने का आग्रह किया गया है. दीपक प्रकाश ने अपने जवाब में लिखा है (Deepak Prakash letter to CM Hemant Soren) कि 9वीं अनुसूची में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति को शामिल करने की बात करना, न सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों से भागने जैसा बल्कि नौजवानों के भविष्य को अंधकार में धकेलने जैसा भी होगा.
ये भी पढ़ें: राज्यपाल से मिलने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं होगी बीजेपी, सरकार पर लगाया ठगने का आरोप
दीपक प्रकाश ने अपने पत्र में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2007 में आर कोल्हे मामले में स्पष्ट किया है कि 9वीं अनुसूची में शामिल विषयों की भी समीक्षा की जा सकती है. ऐसे में राज्य सरकार को हाईकोर्ट के निर्देशानुसार एक बार फिर 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और नियोजन नीति की विधि सम्मत समीक्षा करनी चाहिए. दीपक प्रकाश ने कहा है कि साल 2001 में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति को लागू किया था. उस वक्त भी हाईकोर्ट ने इसे रद्द करते हुए समीक्षा करने की बात कही थी.
उन्होंने कहा, बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार ने नियोजन नीति बनाई थी जिसे आपकी सरकार ने निरस्त कर नई नीति बनाई, जो 16 दिसंबर 2022 को झारखंड हाई कोर्ट में रद्द हो गई. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जिस नीति को रद्द किया है, उसमें कई विसंगतियां थी. इसमें हिंदी और अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई थी. इसके अलावा 10वीं और 12वीं की परीक्षा राज्य के विद्यालयों से उतीर्ण होने की अनिवार्यता की वजह से भी विसंगतियां खड़ी हुई थी. इधर भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि राज्यपाल से मिलने वाले डेलिगेशन में भाजपा शामिल नहीं होगी.