रांची: कोरोना संक्रमण(Corona infection) की दूसरी लहर में रेमडेसिवर(remdesiver) और फेवी-फ्लू की दवा काफी कारगर साबित हो रही थी. डॉक्टर इन दवाओं को खूब मरीजों पर उपयोग कर रहे थे, लेकिन अब आईसीएमआर के नए निर्देश के बाद इन दवाओं की मांग घट गई है. वहीं. टू-डीजी दवा की मांग बढ़ गई है.
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रिम्स कोविड वार्ड के नोडल पदाधिकारी डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि रेमडेसिवर और फेवी फ्लू दवा संक्रमित मरीजों पर ज्यादा असर नहीं कर रहा था. उन्होंने कहा आंकड़ा का जिक्र करते हुए कहा कि कई ऐसे मरीज हैं जिन्हें रेमडेसिवर का इंजेक्शन दिया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका.
संक्रमित मरीजों को बचाने का किया जा रहा था कोशिश
डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि शुरुआती दिनों में जिस तरह कोरोना के कहर से लोगों की मौत हो रही थी. इस स्थिति में डॉक्टर और वैज्ञानिक रेमडेसिवर के माध्यम से संक्रमित मरीज को बचाने की कोशिश कर रहे थे. रिम्स ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ बी भट्टाचार्य अपना अनुभव बताते हुए कहा कि रेमडेसिवर कोरोना की दूसरी लहर में काफी उपयोगी साबित हुआ है. 500 क्रिटिकल मरीजों का इलाज ट्रामा सेंटर में किया गया और इसमें 350 से ज्यादा मरीजों को रेमडेसिवर इंजेक्शन दिया गया. अधिकतर मरीज ठीक होकर घर लौटे और कुछ मरीजों पर बेअसर रहा.
रेमडेसिवर इंजेक्शन की सप्लाई बंद
रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक और जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा ने बताया कि आईसीएमआर के दिशा निर्देश के बाद रेमडेसिवर इंजेक्शन के उपयोग बंद है, लेकिन यह शोध करने का विषय होगा की रिम्स में भर्ती किन मरीजों के ऊपर इस दवा का असर हुआ और किन मरीज पर बेअसर रहा. दवा व्यापारी कमलेश कुमार बताते है कि रेमडेसिवर सिर्फ सरकार की ओर से सप्लाई की जाती है. फेवी फ्लू की मांग भी काफी घट गई है.
रेमडेसिवर की मांग घटी
ड्रग इंस्पेक्टर प्रतिभा झा कहती है कि वर्तमान में रेमडेसिवर की मांग अस्पतालों से नहीं की जा रही है. इसका वजह है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या काफी कम है. वहीं, आईसीएमआर के निर्देश को देखते हुए भी दवा की मांग कम हो गई है. उन्होंने कहा कि रेमडेसिवर और फेवी फ्लू की जगह टू-डीजी की दवा की मांग बढ़ गयी है.