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स्थानीयता नीति को लेकर राज्य में छिड़ी बहस, कांग्रेस ने कहा- मिल बैठकर किया जाएगा स्टैंड क्लियर

झारखंड में बनी महागठबंधन की सरकार में स्थानीयता नीति को लेकर अलग-अलग राय देखा जा रहा है. राज्य में सरकार का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक तरफ जहां 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने की बात कही है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस कोटे से मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि डोमिसाइल को लेकर कोई भी निर्णय सभी दल मिल बैठकर करेंगे.

स्थानीयता नीति को लेकर राज्य में छिड़ी बहस, कांग्रेस ने कहा मिल बैठकर किया जाएगा स्टैंड क्लियर
आलमगीर आलम
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Published : Feb 3, 2020, 9:05 PM IST

रांचीः प्रदेश में बनी महागठबंधन की सरकार में स्थानीयता नीति को लेकर नई बहस छिड़ गई है. राज्य में सरकार का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक तरफ जहां 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने की बात कही है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में महागठबंधन की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सोमवार को कहा कि डोमिसाइल को लेकर कोई भी निर्णय सभी दल मिल बैठकर करेंगे.

देखें पूरी खबर

आलमगीर आलम ने कहा की इस मामले में पहले भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 1932 के खतियान को आधार बनाने की बात कही है. लेकिन राज्य में फिलहाल गठबंधन की सरकार है. ऐसे में गठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि नियोजन नीति और डोमिसाइल पॉलिसी कैसी होनी चाहिए.

पिछली सरकार में 1985 रखा गया है कट ऑफ डेट

दरअसल पूर्ववर्त्ती बीजेपी सरकार ने राज्य में स्थानीयता की परिभाषा के लिए 1985 कट ऑफ ईयर तय किया था. साथ ही राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की जिले स्तर की नियुक्तियों में स्थानीय लोगों की ही बहाली का नियम बनाया था. इसको लेकर तत्कालीन विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा में विरोध दर्ज कराया और साथ ही दावा किया कि सत्ता में आने के बाद स्थानीयता नीति में परिवर्तन लाया जाएगा.

और पढ़ें- रांचीः हेमंत सरकार के मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के बाद सचिवालय में बढ़ी रौनक

जेएमएम सरकार के पाले में गेंद

मौजूदा दौर में राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार है ऐसे में स्थानीय नीति को लेकर बस एक बार फिर से छिड़ गई है. हालांकि झारखंड विकास मोर्चा ने साफ कहा कि इससे पहले भी सोरेन सरकार में थे और उन्होंने स्थानीय नीति को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करने की कोशिश की थी.

जेवीएम ने कहा- सरकार क्लियर करे स्टैंड

जेवीएम के केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद शर्मा ने कहा कि सरकार को अपना स्टैंड इसको लेकर क्लियर करना चाहिए. केवल घोषणा करने से नहीं माना जा सकता. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाएगी तब तक ऐसी बातें होती रहेगी.

रांचीः प्रदेश में बनी महागठबंधन की सरकार में स्थानीयता नीति को लेकर नई बहस छिड़ गई है. राज्य में सरकार का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक तरफ जहां 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने की बात कही है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में महागठबंधन की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सोमवार को कहा कि डोमिसाइल को लेकर कोई भी निर्णय सभी दल मिल बैठकर करेंगे.

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आलमगीर आलम ने कहा की इस मामले में पहले भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 1932 के खतियान को आधार बनाने की बात कही है. लेकिन राज्य में फिलहाल गठबंधन की सरकार है. ऐसे में गठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि नियोजन नीति और डोमिसाइल पॉलिसी कैसी होनी चाहिए.

पिछली सरकार में 1985 रखा गया है कट ऑफ डेट

दरअसल पूर्ववर्त्ती बीजेपी सरकार ने राज्य में स्थानीयता की परिभाषा के लिए 1985 कट ऑफ ईयर तय किया था. साथ ही राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की जिले स्तर की नियुक्तियों में स्थानीय लोगों की ही बहाली का नियम बनाया था. इसको लेकर तत्कालीन विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा में विरोध दर्ज कराया और साथ ही दावा किया कि सत्ता में आने के बाद स्थानीयता नीति में परिवर्तन लाया जाएगा.

और पढ़ें- रांचीः हेमंत सरकार के मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के बाद सचिवालय में बढ़ी रौनक

जेएमएम सरकार के पाले में गेंद

मौजूदा दौर में राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार है ऐसे में स्थानीय नीति को लेकर बस एक बार फिर से छिड़ गई है. हालांकि झारखंड विकास मोर्चा ने साफ कहा कि इससे पहले भी सोरेन सरकार में थे और उन्होंने स्थानीय नीति को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करने की कोशिश की थी.

जेवीएम ने कहा- सरकार क्लियर करे स्टैंड

जेवीएम के केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद शर्मा ने कहा कि सरकार को अपना स्टैंड इसको लेकर क्लियर करना चाहिए. केवल घोषणा करने से नहीं माना जा सकता. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाएगी तब तक ऐसी बातें होती रहेगी.

Intro:रांची। प्रदेश में बनी महागठबंधन की सरकार में स्थानीयता नीति को लेकर नई बहस छिड़ गई है। राज्य में सरकार का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक तरफ जहां 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने की बात कही है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में महागठबंधन की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सोमवार को कहा कि डोमिसाइल को लेकर कोई भी निर्णय सभी दल मिल बैठकर करेंगे। उन्होंने कहा की इस मामले में पहले भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 1932 के खतियान को आधार बनाने की बात कही है लेकिन राज्य में फिलहाल गठबंधन की सरकार है। ऐसे में गठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता एकसाथ बैठेंगे और तय करेंगे कि नियोजन नीति और डोमिसाइल पॉलिसी कैसी होनी चाहिए।


Body:पिछली सरकार में 1985 रखा गया है कट ऑफ डेट
दरअसल पूर्ववर्त्ती बीजेपी सरकार ने राज्य में स्थानीयता की परिभाषा के लिए 1985 कट ऑफ ईयर तय किया था। साथ ही राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की जिले स्तर की नियुक्तियों में स्थानीय लोगों की ही बहाली का नियम बनाया था। इसको लेकर तत्कालीन विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा में विरोध दर्ज कराया और साथ ही दावा किया कि सत्ता में आने के बाद स्थानीयता नीति में परिवर्तन लाया जाएगा।

जेएमएम सरकार के पाले में गेंद
मौजूदा दौर में राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार है ऐसे में स्थानीय नीति को लेकर बस एक बार फिर से छिड़ गई है। हालांकि झारखंड विकास मोर्चा ने साफ कहा कि इससे पहले भी सोरेन सरकार में थे और उन्होंने स्थानीय नीति को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करने की कोशिश की थी।


Conclusion:जेवीएम ने कहा सरकार क्लियर करे स्टैंड
झाविमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद शर्मा ने कहा कि सरकार को अपना स्टैंड इसको लेकर क्लियर करना चाहिए। केवल घोषणा करने से नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाएगी तब तक ऐसी बातें होती रहेगी।

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